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कोरोना काल में नेपाली मजदूरों के 'अकाल' से लड़खड़ाने लगा सेब सीजन, बागवानों की बढ़ी चिंता

सेब सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन नेपाली मजूदरों के वापस नहीं लौटने के कारण बागवानों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. नेपाली मजदूरों का कहना है कि उनके साथी कोरोना के चलते वापस नहीं लौट पा रहे है.

Himachal apple season to begin but Nepal workers shortage
नहीं लौट रहे नेपाली मजदूर
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Published : Jun 27, 2020, 4:49 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 5:13 PM IST

रामपुर: प्रदेश में कोरोना की वजह से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. उद्योग धंधों के साथ-साथ अब खेती-बागवानी पर भी इसका असर पड़ रहा है. प्रदेश में सेब का सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण सेब का सीजन प्रभावित हो सकता है. नेपाली मजदूर भी पलायन कर चुके हैं. ऐसे में बागवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं.

सरकार लगातार बागवानों को लगातार समस्या के समाधान का आश्वासन दे रही है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम इस दिशा में नहीं उठाया गया है. हर साल हिमाचल में लगभग 5 हजार करोड़ का सेब का कारोबार होता है. करीब 6 दशकों से सेब हिमाचल की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्त्रोत माना जाता है. सेब सीजन लगभग नेपाली मजदूरों पर निर्भर रहता है, लेकिन इनके पलायन की वजह से बागवान चिंतित हैं. बागवानों का कहना है कि सारा काम नेपाली मूल के मजदूर ही करते हैं. सेब तुड़ान से लेकर डुलाई और भराई का काम नेपाली मजदूर करते आ रहे हैं.

वीडियो

नंवबर में जाते नेपाल

जानकारी के मुताबिक आमतौर पर मजदूर नवंबर में नेपाल जाते हैं. सेब तुड़ान के लिए मार्च-अप्रैल में लौटना शुरू कर देते हैं. अक्टूबर तक सेब सीजन का पूरा काम करते हैं, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो पाया. अभी भी शिमला में रुके हुए नेपाली मजदूरों ने बताया कि कुछ लोग नेपाल नहीं गए हैं, लेकिन ज्यादातर लोग वापस लौट चुके हैं. कोरोना वायरस के चलते नेपाल गए मजदूर वापस नहीं लौट पा रहे है. कोरोना का असर कम होते ही वापस लौटने की संभावना है.

ये भी पढ़ें : नेपाल ने भारतीय क्षेत्र से हटाया अस्थायी कैंप, 100 मीटर पीछे हटी नेपाली सशस्त्र सेना


रामपुर: प्रदेश में कोरोना की वजह से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. उद्योग धंधों के साथ-साथ अब खेती-बागवानी पर भी इसका असर पड़ रहा है. प्रदेश में सेब का सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण सेब का सीजन प्रभावित हो सकता है. नेपाली मजदूर भी पलायन कर चुके हैं. ऐसे में बागवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं.

सरकार लगातार बागवानों को लगातार समस्या के समाधान का आश्वासन दे रही है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कदम इस दिशा में नहीं उठाया गया है. हर साल हिमाचल में लगभग 5 हजार करोड़ का सेब का कारोबार होता है. करीब 6 दशकों से सेब हिमाचल की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्त्रोत माना जाता है. सेब सीजन लगभग नेपाली मजदूरों पर निर्भर रहता है, लेकिन इनके पलायन की वजह से बागवान चिंतित हैं. बागवानों का कहना है कि सारा काम नेपाली मूल के मजदूर ही करते हैं. सेब तुड़ान से लेकर डुलाई और भराई का काम नेपाली मजदूर करते आ रहे हैं.

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नंवबर में जाते नेपाल

जानकारी के मुताबिक आमतौर पर मजदूर नवंबर में नेपाल जाते हैं. सेब तुड़ान के लिए मार्च-अप्रैल में लौटना शुरू कर देते हैं. अक्टूबर तक सेब सीजन का पूरा काम करते हैं, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो पाया. अभी भी शिमला में रुके हुए नेपाली मजदूरों ने बताया कि कुछ लोग नेपाल नहीं गए हैं, लेकिन ज्यादातर लोग वापस लौट चुके हैं. कोरोना वायरस के चलते नेपाल गए मजदूर वापस नहीं लौट पा रहे है. कोरोना का असर कम होते ही वापस लौटने की संभावना है.

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Last Updated : Jun 27, 2020, 5:13 PM IST
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