शिमलाः विदेशों से आयात किए गए सेब पौधों का पूरा रख रखाव करने के बावजूद लाखों पौधे सूख गए. विभाग ने वर्ष 2019-20 में विदेशों से करीब 5,79,271 लाख पौधे आयात किए थे. इनमें ग्राफ्टिड पौधे व रूट स्टॉक दोनों ही शामिल थे. इन पौधों को प्रदेश के 5,79,271 अलग जिलों की पीईक्यू साइटस पर रखा गया था.
पौने 6 लाख आयातित पौधों में से 2,04,959 से पौधे सूख गए हैं. यह जानकारी विधानसभा में बागवानी मंत्री महेंद्र ठाकुर ने ठियोग विधानसभा क्षेत्र के विधायक राकेश सिंघा की ओर से पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में दी. राकेश सिंघा ने सवाल किया था कि विभाग ने आयातित सेब के पौधों को क्वारंटाइन पीरियड में कहां प्लांट किया गया है. किस नर्सरी में कितने पौधे रखे गए हैं और किस नर्सरी में कितने पौधे सूख गए हैं. इन पौधों के रख रखाव के लिए कितनी लोग रखे गए और पौधों के स्वास्थ्य की नियमित रिपोर्ट ली जा रही है या नहीं.
इसके जवाब में बागवानी मंत्री ने बताया कि पांच अलग अलग नर्सियों में इन पौधों को संगरोध यानि क्वारंटाइन पीरियड के लिए रखा गया है. इनमें कांगड़ा जिले में पालपमुर, सिरमौर में बगथान, कुल्लू में बजौरा, मंडी में झामर और समराहन की नर्सियों में रखे गए हैं. इनके रखरखाव के लिए सभी नर्सियों में करीब 31 लोग रखे गए हैं. जबकि यूएचएफ व डीआई की ओर से इन नर्सियों में अब तक 14 इंस्पेक्शन की जा चुकी है.
किस नर्सरी में कितने पौधे सूखे
नर्सरी | रोपे गए पौधे | सूख गए पौधे |
पालमपुर | 1,63,749 | 85,547 |
सराहन | 32,398 | 4,321 |
झामर | 15,394 | 1,569 |
बजौरा | 2,13,426 | 58,816 |
बागथन | 1,54,304 | 54, 715 |
कुल | 5,79,271 | 2,04,959 |
विश्व बैंक परियोजना के तहत विभाग ने पिछले दो सालों में 92 करोड़ रुपए की राशि खर्च की है. विधानसभा में यह जानकारी बागवानी मंत्री ने किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी की ओर से पूछे गए प्रश्र के लिखित जवाब में दी. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में विभाग को 49 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 43 करोड़ रुपए के करीब की राशि स्वीकृत हुई थी. इनमें से 92 करोड़ के करीब की राशि खर्च की जा चुकी है.