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मांगों को लेक अड़े लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र, EC की बैठक बुलाने की मांग

शिमला में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र अपनी मांगों को लेकर बीते दस दिनों से यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों की मांग है कि जब तक कुलपति लिखित में उन्हें आश्वासन नहीं देंगे तब तक वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे.

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र
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Published : Sep 26, 2019, 6:24 PM IST

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र बीते दस दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है विश्वविद्यालय कुलपति के लिखित में आश्वासन देने पर ही छात्र अपने आंदोलन को खत्म करेंगे.

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने शिमला में प्रेस वार्ता के दौरान यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर कई आरोप लगाए. कॉलेज छात्रों का कहना है कि वह यूनिवर्सिटी में अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. छात्रों को आरोप है कि उन्हें संस्थान में मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही. यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के लिए किए जा रहे फैसलों पर किसी तरीके की पारदर्शिता नहीं अपना रहा है.

वीडियो

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कहा कि 2016 में बनी इस यूनिवर्सिटी में उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. छात्रों से हर साल ढाई लाख से ज्यादा की फीस वसूली जा रही है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है. हालात यह है कि हॉस्टलों में पीने के लिए साफ पानी भी उपलब्ध नहीं है.

छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट बॉडी का गठन किया जाए, लेकिन इस मांग को भी प्रशासन मानने को तैयार नहीं है. छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की समस्या का समाधान करे और छात्रों की मांगों पर जल्द से जल्द संज्ञान ले.

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों का आरोप है कि कैंपस में स्पोटर्स एक्टिविटी के लिए कोई खेल मैदान भी नहीं है. वहीं प्रशासन दावा कर रहा है कि यूनिवर्सिटी के भीतर सबकुछ ठीक है. अब छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी कुलपति उनकी मांगों को लेकर लिखित में आश्वासन दे, जिसके बाद ही छात्रों का आंदोलन समाप्त होगा.

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र बीते दस दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है विश्वविद्यालय कुलपति के लिखित में आश्वासन देने पर ही छात्र अपने आंदोलन को खत्म करेंगे.

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने शिमला में प्रेस वार्ता के दौरान यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर कई आरोप लगाए. कॉलेज छात्रों का कहना है कि वह यूनिवर्सिटी में अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. छात्रों को आरोप है कि उन्हें संस्थान में मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही. यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के लिए किए जा रहे फैसलों पर किसी तरीके की पारदर्शिता नहीं अपना रहा है.

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लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कहा कि 2016 में बनी इस यूनिवर्सिटी में उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. छात्रों से हर साल ढाई लाख से ज्यादा की फीस वसूली जा रही है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है. हालात यह है कि हॉस्टलों में पीने के लिए साफ पानी भी उपलब्ध नहीं है.

छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट बॉडी का गठन किया जाए, लेकिन इस मांग को भी प्रशासन मानने को तैयार नहीं है. छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की समस्या का समाधान करे और छात्रों की मांगों पर जल्द से जल्द संज्ञान ले.

लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों का आरोप है कि कैंपस में स्पोटर्स एक्टिविटी के लिए कोई खेल मैदान भी नहीं है. वहीं प्रशासन दावा कर रहा है कि यूनिवर्सिटी के भीतर सबकुछ ठीक है. अब छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी कुलपति उनकी मांगों को लेकर लिखित में आश्वासन दे, जिसके बाद ही छात्रों का आंदोलन समाप्त होगा.

Intro:नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में अपने मागों को लेकर आंदोलनरत छात्रों का प्रदर्शन 10वें दिन में पहुंच गई है। हफ्ते बाद यूनिवर्सिटी को खोला गया है लेकिन छात्रों की कक्षाएं नहीं लग रही है और छात्र कैंपस में प्रदर्शन कर रहे है। ऐसे में अब छात्रों की मांग है कि विश्वविद्यालय कुलपति उनकी मांगों को लेकर लिखित में आश्वासन दे उसके बाद ही छात्र अपने इस आंदोलन को खत्म करेंगे। छात्रों ने कहा कि वह यूनिवर्सिटी में अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने को मजबूर है। छात्रों को आरोप है कि उन्हें संस्थान में मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिल रही है। ना तो किसी तरह की पारदर्शिता यूनिवर्सिटी ने संस्थान ओर छात्रों के लिए किए जा रहे फैसलों को लेकर रखी है।


Body:लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र ने कहा कि 2016 में बनी इस यूनिवर्सिटी अभी तक उन्हें मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिल रही है। छात्र हर साल ढाई लाख से ज्यादा की फीस दे रहा है बावजूद इसके यूनिवर्सिटी में छात्रों को कुछ भी सुविधाएं नहीं दी जा रही है। हालात यह है कि हॉस्टलों में ना तो वाईफाई सही से चलता है ना हो पीने के लिए साफ पानी मिल रहा है। यूनिवर्सिटी के छात्र एस.के चौधरी,शिवारमन,उज्ज्वल ओर पाखी जैन का आरोप है की लाखों की फीस लेने के बाद भी उन्हें घटिया खाना परोसा जा रहा है। यूनिवर्सिटी की कुलपति ने मैस का टेंडर जिस व्यक्ति को दिया था उस से वापिस लेने की बात की थी लेकिन अब जब छात्र वापिस आए है तो वहीं व्यक्ति मैस चला रहा है जो पहले चला रहा था। उन्होंने बताया कि ना तो यूनिवर्सिटी के पास ट्रांसपोटेशन की सुविधा है ना ही मेडिकल सुविधा दी जा रही है। यूनिवर्सिटी में अपनी डिस्पेंसरी तक नहीं है। ऐसे में छात्रों को अगर आईजीएमसी रेफर किया जाता है तो यूनिवर्सिटी प्रशासन यह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं होता है।


Conclusion:ऐसे में छात्रों की मांग है यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट बॉडी का गठन किया जाए लेकिन इस मांग को भी प्रशासन नहीं मान रहा है। स्टूडेंट बॉडी ना बनाने के पीछे की वजह यही है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन यह नहीं चाह रहा है कि छात्र किसी भी तरह से प्रशासनिक मसलों में आए जिससे कि यूनिवर्सिटी को दिक्कत हो। अब छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की समस्या का समाधान करे और छात्रों की मांगों पर संज्ञान ले। उन्होंने कहा की प्रशासन हर बार यही बात छात्रों को कहता है कि उनकी मांगों को लेकर कार्य किया जा रहा है ओर पाइप लाइन में बहुत से काम है जिन्हें जल्द पूरा कर लिया जाएगा लेकिन कोई भी काम यूनिवर्सिटी में नहीं होता है। ना तो छात्रों को प्लेसमेंट के लिए सुविधा मिल रही है ना ही स्पोटर्स एक्टिविटी के लिए कोई खेल मैदान उनके पास है ओर प्रशासन फिर भी यही दावा कर रहा है कि सबकुछ ठीक है। अब छात्रों की मांग है कि यूनिवर्सिटी कुलपति उनकी मांगों को लेकर लिखित में आश्वासन दे उसके बाद ही छात्रों का आंदोलन समाप्त होगा।
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