शिमला: हिमाचल प्रदेश में नगर निगम चुनाव में विधायकों को मतदान का अधिकार देने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. बीजेपी इस मुद्दे पर लगातार राज्य सरकार को घेर रही है. बीजेपी सरकार के इस फैसले को लेकर हमलावर है और इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है. वहीं, मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने सुक्खू सरकार के इस कदम को लोकतंत्र के लिए हेल्दी बताया है. उन्होंने कहा कि यह विधायकों की मांग पर लिया गया कदम है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा लंबे समय से विधायकों की ओर से मांग की जा रही थी कि उन्हें मत देने का अधिकार भी दिया जाना चाहिए. ऐसे में सरकार ने उनकी मांग पर विधायकों को नगर निगम चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार दिया है. नरेश चौहान ने सरकार के इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या करने वाला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के लिए एक हेल्थी फैसला होगा. इससे लोकतंत्र अधिक मजबूत होगा. चंडीगढ़ में भी नगर निगम महापौर उप महापौर के चुनाव में सांसद भी वोट करते हैं. ऐसे में हिमाचल में सरकार ने विधायको को वोटिंग अधिकार देना गलत नहीं है.
वहीं, भाजपा सुक्खू कांग्रेस सरकार पर 10,000 करोड़ से ज्यादा का लोन लेने की बात कहती है, जिस पर नरेश चौहान ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा पूर्व की भाजपा सरकार ने प्रदेश को कर्ज के बोझ में लादा. पूर्व की भाजपा सरकार लगातार डबल इंजन सरकार होने का दवा ठोकती रही, लेकिन यह डबल इंजन सरकार हिमाचल प्रदेश पर केवल भारी भरकम कर्ज का बोझ लाद कर गई. उन्होंने भाजपा के 10,000 करोड़ के कर्ज लेने की बात को खारिज किया.
उन्होने कहा कि केंद्र सरकार ने एक साल में सिर्फ 6,000 करोड़ लोन लेने की सीमा तय कर दी, साथ में विदेशी अनुदान की भी सीमा तय कर दी. जिससे प्रदेश के विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. प्रदेश की जनता को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस दौरान नरेश चौहान ने पूर्व की जयराम सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से वर्तमान कांग्रेस सरकार पर केवल 6000 करोड़ लोन प्रति वर्ष लेने की सीमा लगा दी है. जबकि पूर्व की जयराम सरकार ने एक ही साल में 15000 करोड़ तक का लोन ले लिया था.
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