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बर्फबारी होने से लकदक ऊपरी क्षेत्र की चोटियां, खेती के लिए साबित होगी वरदान - दिसंबर महीने की बर्फबारी

दिसंबर महीने की बर्फबारी किसानों व बागवानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. बर्फबारी व बारिश से खेतों व बागों में पैदा होने वाले किड़े-मकोड़े भी नष्ट हो जाते है, जो बाद में फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकते है.

upper region of himachal
बर्फबारी होने से लकदख ऊपरी क्षेत्र की चोटियां.
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Published : Dec 13, 2019, 8:14 PM IST

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला, कुल्लू और किन्नौर के ऊचांई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने से घाटियां लकदक हो चुकी हैं. इन घाटियों में लगभग एक फीट से अधिक बर्फबारी हुई है. यह बर्फबारी आने वाले समय के लिए बागवानों व किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

बजूर्गों का कहना है कि दिसंबर महीने की बर्फबारी फल, फुल व खेती-बाड़ी के लिए काफी बहेतर मानी जाती है. दिसंबर महीने में क्षेत्र में अधिक ठड़ हो जाती है और धुप भी कम ही लगती है. ऐसे में पहाड़ों पर बर्फ अधिक समय तक रह सकती है, जो धीरे-धीरे पिघलेगी.

वीडियो रिपोर्ट.

बर्फ का सारा पानी मार्च अप्रैल तक किसानों व बागवानों के खोतों तक पहुंचता है, जो उनकी फसल के लिए नमी का कार्य करता है. ऐसे में बागवानों की फसल भी अच्छी होने की संभावना रहती है.

वहीं, डॉक्टर संजीव पठानियां ने बताया कि पहाड़ों पर हुई बर्फबारी बागवानों व किसानों की फसलों के लिए आने वाले समय में एक अच्छा संदेश है. ऐसे में इस समय की बर्फबारी व बारिश किसानों और बागवानों के लिए सजीवनी बूटी का कार्य करेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि इस समय बर्फबारी व बारिश होने से खेतों व बागों में पैदा होने वाले किड़े-मकोड़े भी नष्ट हो जाते है, जो बाद में फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकते है.

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला, कुल्लू और किन्नौर के ऊचांई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने से घाटियां लकदक हो चुकी हैं. इन घाटियों में लगभग एक फीट से अधिक बर्फबारी हुई है. यह बर्फबारी आने वाले समय के लिए बागवानों व किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

बजूर्गों का कहना है कि दिसंबर महीने की बर्फबारी फल, फुल व खेती-बाड़ी के लिए काफी बहेतर मानी जाती है. दिसंबर महीने में क्षेत्र में अधिक ठड़ हो जाती है और धुप भी कम ही लगती है. ऐसे में पहाड़ों पर बर्फ अधिक समय तक रह सकती है, जो धीरे-धीरे पिघलेगी.

वीडियो रिपोर्ट.

बर्फ का सारा पानी मार्च अप्रैल तक किसानों व बागवानों के खोतों तक पहुंचता है, जो उनकी फसल के लिए नमी का कार्य करता है. ऐसे में बागवानों की फसल भी अच्छी होने की संभावना रहती है.

वहीं, डॉक्टर संजीव पठानियां ने बताया कि पहाड़ों पर हुई बर्फबारी बागवानों व किसानों की फसलों के लिए आने वाले समय में एक अच्छा संदेश है. ऐसे में इस समय की बर्फबारी व बारिश किसानों और बागवानों के लिए सजीवनी बूटी का कार्य करेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि इस समय बर्फबारी व बारिश होने से खेतों व बागों में पैदा होने वाले किड़े-मकोड़े भी नष्ट हो जाते है, जो बाद में फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकते है.

Intro:रामपुर बुशहर, 13 दिसंबर Body:
बर्फबारी होने से लकदख ऊपरी क्षेत्र की चोटियां , पेश कर रही मनमोहक दृष्य

इस समय की बर्फबारी करती है किड़े मकोड़ों को नष्ट , फसल की होती है अच्छी पैदावार



हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला, कुल्लू, किन्नौर क्षेत्र के ऊचांई वाले क्षेत्र में भारी बर्फबारी होने से घाटियां लकदख हो चुकी है। इन घाटियों में लगभग एक फीस से भी अधिक बर्फबारी हुई है। यह बर्फबारी आने वाले समय के लिए बागवान व किसानों के लिए बरदान साबीत हो सकती है।

बजूर्गों का कहना है कि जो बर्फ दिसंबर महिने में होती है वह फल, फुल व खेली बाड़ी के लिए बहेतर मानी जाती है। क्योंकि अब क्षेत्र में अधिक ठड हो जाती है और धुप भी कम ही लगती है ऐसे में बर्फ पहाड़ों पर अधिक समय तक रह सकती है जो धीरे-धीरे पीघलेगी। इसका सारा पानी मार्च अप्रैल तक किसानों व बागवानों के खोतों तक पहुंचता है जो उनकी फसल के लिए नमी का कार्य करता है। ऐसे में बागवानों की फसल भी अच्छी होने की संभावना रहती है। वहीं इस बारे में डाक्टर संजीव पठानियां ने बताया कि पहाड़ों पर खुब बर्फबारी होने से बागवानों व किसानों की फसल के लिए आने वाले समय के लिए अच्छा संदेश है। ऐसे में किसानों व बागवानों की इस समय में बर्फबारी व बारिश सजीवनी बूटी का कार्य करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस समय बर्फबारी व बारिश होने से खेतों व बागों में पैदा होने वाले किड़े-मकोड़े भी नष्ट हो जाते है जो बाद में फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

Conclusion:
बर्फबारी होने से लकदख ऊपरी क्षेत्र की चोटियां , पेश कर रही मनमोहक दृष्य
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