रामपुर: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला, कुल्लू और किन्नौर के ऊचांई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने से घाटियां लकदक हो चुकी हैं. इन घाटियों में लगभग एक फीट से अधिक बर्फबारी हुई है. यह बर्फबारी आने वाले समय के लिए बागवानों व किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
बजूर्गों का कहना है कि दिसंबर महीने की बर्फबारी फल, फुल व खेती-बाड़ी के लिए काफी बहेतर मानी जाती है. दिसंबर महीने में क्षेत्र में अधिक ठड़ हो जाती है और धुप भी कम ही लगती है. ऐसे में पहाड़ों पर बर्फ अधिक समय तक रह सकती है, जो धीरे-धीरे पिघलेगी.
बर्फ का सारा पानी मार्च अप्रैल तक किसानों व बागवानों के खोतों तक पहुंचता है, जो उनकी फसल के लिए नमी का कार्य करता है. ऐसे में बागवानों की फसल भी अच्छी होने की संभावना रहती है.
वहीं, डॉक्टर संजीव पठानियां ने बताया कि पहाड़ों पर हुई बर्फबारी बागवानों व किसानों की फसलों के लिए आने वाले समय में एक अच्छा संदेश है. ऐसे में इस समय की बर्फबारी व बारिश किसानों और बागवानों के लिए सजीवनी बूटी का कार्य करेगी.
उन्होंने यह भी बताया कि इस समय बर्फबारी व बारिश होने से खेतों व बागों में पैदा होने वाले किड़े-मकोड़े भी नष्ट हो जाते है, जो बाद में फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सकते है.