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'जोशीमठ की घटना से सबक लेने की जरूरत, अवैज्ञानिक तरीके से न हो टनल की कटिंग' - jagat singh negi news

मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है जिसके पीछे कई कारण हैं. हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है. (landslide in Himachal Pradesh) (Jagat Singh Negi on landslide) (hydel project of Himachal)

Jagat Singh Negi on landslide
मंत्री जगत सिंह नेगी
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Published : Jan 21, 2023, 10:25 PM IST

Updated : Jan 22, 2023, 11:01 PM IST

मंत्री जगत सिंह नेगी

शिमला: किन्नौर से विधायक और प्रदेश के राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वैज्ञानिकों द्वारा 1500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जोन घोषित किया गया है, बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण कर रहे हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है. इस तरह की घटनाओं की वजह हाइडल प्रोजेक्ट के साथ साथ मानवीय गलतियां भी है. जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था, इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रॉजेक्ट का निर्माण किया गया.

मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है जिसके पीछे कई कारण हैं. हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है. जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है जो काफी सस्ती भी है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है. सस्ते के चक्कर में लोगों की जान को खतरे में डाला जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना कि जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए. ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है और मकानों और जमीन धंसने और दरारें का खतरा रहता है. इसलिए परियोजनाओं के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए. जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक का प्रयोग ही किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है.

उल्लेखनीय है किन्नौर जिले में परियोजनाओं के निर्माण के लिए पहाड़ों को काटा गया है. अवैज्ञानिक तरीके से की गई कटिंग से कई जगह पूरे के पूरे पहाड़ दरक रहे हैं. इससे वहां कई जगह लोग इस तरह के निर्माण कार्यों का विरोध भी कर रहे है. वहीं, जोशीमठ की घटना के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते दिनों जिलों के डीसी और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने प्रदेश में धंसाव संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के निर्देश दिए. इस बारे में डीसी से रिपोर्ट मांगी गई है.

ये भी पढ़ें: 'हिमाचल बनेगा ग्रीन स्टेट, 3 जिलों के सरकारी दफ्तरों में चलेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां'

मंत्री जगत सिंह नेगी

शिमला: किन्नौर से विधायक और प्रदेश के राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वैज्ञानिकों द्वारा 1500 से अधिक क्षेत्रों को लैंडस्लाइड जोन घोषित किया गया है, बावजूद इसके लोग अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण कर रहे हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ की घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है. इस तरह की घटनाओं की वजह हाइडल प्रोजेक्ट के साथ साथ मानवीय गलतियां भी है. जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिकों ने हाइडल प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले ही चेताया था, इसके बावजूद भी भवनों का निर्माण और पावर प्रॉजेक्ट का निर्माण किया गया.

मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले के कई इलाके में भूस्खलन की घटनाएं होती है जिसके पीछे कई कारण हैं. हाइडल प्रोजेक्ट भी एक बड़ा कारण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में कई किलो मीटर लंबी सुरंगों का निर्माण होता है. जिसमें ब्लास्टिंग की जाती है जो काफी सस्ती भी है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है. सस्ते के चक्कर में लोगों की जान को खतरे में डाला जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना कि जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए. ब्लास्टिंग के कारण सुरंग के ऊपर वाले हिस्से में कंपन होता है और मकानों और जमीन धंसने और दरारें का खतरा रहता है. इसलिए परियोजनाओं के निर्माण में पर्यावरण प्रेमी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए. जल विद्युत परियोजना के सुरंग निर्माण के दौरान टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक का प्रयोग ही किया जाना चाहिए जो काफी सुरक्षित है.

उल्लेखनीय है किन्नौर जिले में परियोजनाओं के निर्माण के लिए पहाड़ों को काटा गया है. अवैज्ञानिक तरीके से की गई कटिंग से कई जगह पूरे के पूरे पहाड़ दरक रहे हैं. इससे वहां कई जगह लोग इस तरह के निर्माण कार्यों का विरोध भी कर रहे है. वहीं, जोशीमठ की घटना के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते दिनों जिलों के डीसी और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने प्रदेश में धंसाव संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के निर्देश दिए. इस बारे में डीसी से रिपोर्ट मांगी गई है.

ये भी पढ़ें: 'हिमाचल बनेगा ग्रीन स्टेट, 3 जिलों के सरकारी दफ्तरों में चलेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां'

Last Updated : Jan 22, 2023, 11:01 PM IST
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