शिमलाः कोरोना के खतरनाक दौर में जब सगे रिश्ते भी तार-तार हो रहे हैं, तो वहीं कुछ लोगों द्वारा इंसानियत के नाते दूसरों की मदद करने का जज्बा समाज को प्रेरणा देता है. ऐसा ही उदाहरण शिमला में दो महिलाओं ने मिसाल पेश करके एक मनोरोगी युवा को चंद घंटों के भीतर उसके परिवार से मिलवा दिया.
महिलाओं ने ऐसे की मदद
उमंग फाउंडेशन की सदस्य सवीना जहां और उनकी पड़ोसी ममता शर्मा को यह युवक लोअर टूटू में दुकान के सामने खड़ा मिला था. पूछने पर वह अपना नाम पता कुछ भी नहीं बता पाया. उन दोनों को लगा कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है. जिसके बाद उन्होंने उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव को सूचित किया. इसके बाद उन्होंने तुरंत बालूगंज थाने के एसएचओ फोन कर जतोग चौकी से पुलिस टीम भिजवाई साथ ही एक एंबुलेंस को भी भेजा.
आईजीएमसी में पहले भी था भर्ती
पुलिस टीम उसे आईजीएमसी अस्पताल में ले गई जहां उसकी देखरेख शुरू की गई. सबसे पहले उसका कोविड-19 टेस्ट कराया जो नेगेटिव निकला. उसके बाद युवक को मनोचिकित्सा विभाग के डॉक्टरों को दिखाया जिन्होंने देखते ही उसे पहचान लिया. युवक वहां मानसिक रोग का इलाज करा चुका था और कुछ वर्ष पहले वहां भर्ती भी रहा था.
3 दिन से घर से था गायब
जतोग चौकी के हेड कांस्टेबल ने मनोचिकित्सा विभाग से युवक के परिवार वालों को फोन कर अस्पताल बुलाया. युवक के भाई ने बताया कि वह शोघी के रहने वाले हैं और उनका भाई 3 दिन से घर से गायब था. उन्होंने कहा कि 2014 में बुरी संगत में फंसकर नशा करने लगा था. जिसके बाद युवक को ब्यूलिया में एक निजी नशा निवारण केंद्र में भी भर्ती कराया था, लेकिन वह पूरी तरह ठीक नहीं हो सका. इसके बाद वह आईजीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग में भी भर्ती रहा. आजकल उसका इलाज बैरियर के पास राज्य मानसिक रोग अस्पताल से चल रहा है.
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