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Mental Health Problem: हिमाचल में बड़ी तादाद में युवा और बच्चों में मानसिक तनाव, जानें कैसे इस समस्या से पा सकते हैं निजात?

हिमाचल प्रदेश में मानसिक तनाव की समस्या गंभीर रूप ले रही है. बड़ी संख्या में युवा और बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं. मानसिक तनाव के कई कारण हैं, लेकिन इसका इलाज भी संभव है. अगर समय पर डॉक्टर को दिखाया जाता है और लोगों से खुल कर बात की जाती है तो इसका इलाज संभव है. (Mental Health Problem in Himachal) (Mental Stress in Youth)

Mental Health Problem in Himachal
हिमाचल के युवाओं में मानसिक तनाव
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 9:37 AM IST

Updated : Oct 11, 2023, 1:27 PM IST

शिमला: आज के भाग-दौड़ भरे दौर में मानसिक तनाव गंभीर समस्या है. मेंटल हेल्थ लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. हिमाचल प्रदेश में भी मानसिक तनाव की समस्या तेजी से लोगों में बढ़ रही है. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के अनुसार हर रोज लगभग 80 से 100 लोग मानसिक तनाव का इलाज कराने अस्पताल आते हैं. वहीं, इन मरीजों में 50 फीसदी युवा शामिल हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि लोगों को मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूक किया जाए.

युवाओं में मानसिक तनाव ज्यादा: आईजीएमसी शिमला में मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. देवेश शर्मा ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी मानसिक दवाब में आ रही है. उनके ओपीडी में लगभग 50 फीसदी युवा ही हैं, जो मेंटल स्ट्रेस में होते हैं. इसके अलावा 10 से 15 फीसदी छोटे बच्चे आते हैं, जो मानसिक दबाव में होते हैं जिनका इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा है.

मानसिक तनाव के कारण: डॉ. देवेश ने बताया कि मानसिक तनाव के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण बेरोजगारी, समय पर जॉब का ना लगना, घर की परेशानी और नशे के आदि होना देखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि नशे के सेवन करने वाले लोग ज्यादातर मानसिक रोगी हैं. उनका कहना था कि उनके ओपीडी में जो भी आता है, उनको समझाया जाता है कि नशे का सेवन न करें और तनाव मुक्त होने में खुद की ही सहायता करें.

मानसिक तनाव का इलाज संभव: डॉ. देवेश ने बताया कि मानसिक तनाव कोई लाइलाज समस्या नहीं है. अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव में रहता है तो उसका इलाज बिल्कुल संभव है. मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को समझाया जा सकता है. मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति अगर अपने घर, परिवार, ऑफिस और दोस्तों से खुल कर बात करते हैं तो इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है. इसके अलावा समय पर अस्पताल जा कर डॉक्टर को दिखाएं, तो इसे ठीक किया जा सकता है.

लोगों को जागरूक करना जरूरी: डॉ. देवेश का कहना है कि आईजीएमसी शिमला की ओपीडी में हर आयु वर्ग के मरीज आते हैं, जो मानसिक तनाव में हैं. उनका कहना है कि स्कूली बच्चे भी मानसिक दबाव में है, जो कि काफी गंभीर समस्या है. ऐसे में लोगों को जागरूक करके इससे बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि लोग आज कल खुद तनाव में रहते हैं, लेकिन किसी और को बताने में शर्म करते हैं. जबकि ऐसे में खुल कर बात करनी चाहिए और समय पर अस्पताल जाकर डॉक्टर से काउंसलिंग करवानी चाहिए.

ये भी पढे़ं: शाहरुख-दीपिका समेत डिप्रेशन का शिकार हो चुके ये 8 स्टार्स, इन 2 ने की थी सुसाइड

शिमला: आज के भाग-दौड़ भरे दौर में मानसिक तनाव गंभीर समस्या है. मेंटल हेल्थ लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. हिमाचल प्रदेश में भी मानसिक तनाव की समस्या तेजी से लोगों में बढ़ रही है. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के अनुसार हर रोज लगभग 80 से 100 लोग मानसिक तनाव का इलाज कराने अस्पताल आते हैं. वहीं, इन मरीजों में 50 फीसदी युवा शामिल हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि लोगों को मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूक किया जाए.

युवाओं में मानसिक तनाव ज्यादा: आईजीएमसी शिमला में मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. देवेश शर्मा ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी मानसिक दवाब में आ रही है. उनके ओपीडी में लगभग 50 फीसदी युवा ही हैं, जो मेंटल स्ट्रेस में होते हैं. इसके अलावा 10 से 15 फीसदी छोटे बच्चे आते हैं, जो मानसिक दबाव में होते हैं जिनका इलाज आईजीएमसी शिमला में चल रहा है.

मानसिक तनाव के कारण: डॉ. देवेश ने बताया कि मानसिक तनाव के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मुख्य कारण बेरोजगारी, समय पर जॉब का ना लगना, घर की परेशानी और नशे के आदि होना देखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि नशे के सेवन करने वाले लोग ज्यादातर मानसिक रोगी हैं. उनका कहना था कि उनके ओपीडी में जो भी आता है, उनको समझाया जाता है कि नशे का सेवन न करें और तनाव मुक्त होने में खुद की ही सहायता करें.

मानसिक तनाव का इलाज संभव: डॉ. देवेश ने बताया कि मानसिक तनाव कोई लाइलाज समस्या नहीं है. अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव में रहता है तो उसका इलाज बिल्कुल संभव है. मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को समझाया जा सकता है. मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति अगर अपने घर, परिवार, ऑफिस और दोस्तों से खुल कर बात करते हैं तो इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है. इसके अलावा समय पर अस्पताल जा कर डॉक्टर को दिखाएं, तो इसे ठीक किया जा सकता है.

लोगों को जागरूक करना जरूरी: डॉ. देवेश का कहना है कि आईजीएमसी शिमला की ओपीडी में हर आयु वर्ग के मरीज आते हैं, जो मानसिक तनाव में हैं. उनका कहना है कि स्कूली बच्चे भी मानसिक दबाव में है, जो कि काफी गंभीर समस्या है. ऐसे में लोगों को जागरूक करके इससे बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि लोग आज कल खुद तनाव में रहते हैं, लेकिन किसी और को बताने में शर्म करते हैं. जबकि ऐसे में खुल कर बात करनी चाहिए और समय पर अस्पताल जाकर डॉक्टर से काउंसलिंग करवानी चाहिए.

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Last Updated : Oct 11, 2023, 1:27 PM IST
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