शिमला: कोरोना महामारी ने एक ओर जहां दुनिया में लाखों लोगों की जान ले ली है. वहीं, दूसरी ओर कई ऐसे काम भी किये हैं जिन्हें आज तक कोई भी सरकारें नहीं कर पाईं. लॉकडाउन ने पर्यावरण की स्वच्छ करने के साथ-साथ बहुत से लोगों को नशे से भी छुटकारा दिलाया है.
युवा पीढ़ी का नशा छुड़वाने में जो काम बड़े-बड़े नशा मुक्ति केंद्र नहीं कर सके, वो काम लॉकडाउन ने कर दिखाया है. लॉकडाउन के दौरान नशे की लत में फंसे सैकड़ों युवाओं ने नशे को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. इस संबंध में जब ईटीवी भारत संवाददाता ने आईजीएमसी में मनोचिकित्सक विशेषज्ञ डॉ. दिवेश शर्मा से बात की, तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की शुरुआत में अस्पताल में इक्का-दुक्का मामले चिट्ठा व शराब के आये थे, लेकिन अब उनके पास ऐसे मामले नहीं आ रहे हैं.
डॉक्टर दिवेश शर्मा ने बताया कि सबसे आसान तम्बाकू का नशा छोड़ना है. उनका कहना है कि अस्पताल में तंबाकू सेवन के काफी लोग आए हैं, जो लॉकडाउन में तम्बाकू पर प्रतिबंध लगने से तम्बाकू का सेवन नहीं कर सके. डॉ. दिवेश ने बताया कि तम्बाकू का सेवन करने वालों का कहना है कि तम्बाकू छोड़ना बिल्कुल आसान था, सिर्फ इस तरह का मौका नहीं मिला कि तम्बाकू छोड़ सके. ऐसा करने में उन्हें कोई भी समस्या नहीं हुई.
मनोचिकित्सक ने बताया कि शराब का नशा करने वाले कई लोग पेट खराब रहने जैसी साधारण समस्या की शिकायतें लेकर अस्पताल में आए. बाद में उन्होंने शराब छोड़ दी और आज वह काफी खुश हैं. जबकि चिट्टा, भांग का नशा करने वाले युवाओं को कुछ दिन तक परेशानी रही और उसके बाद उनका नशा भी छूट गया. डॉ. दिवेश का कहना है कि लॉकडाउन नशा छुड़वाने में कारगर साबित हुआ है. इस दौरान लोग अपने घरों में ही थे और नशे की दुकानें बंद रही, जिससे नशा छोड़ने में लोगों को आसानी हुई.