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शारदीय नवरात्र का आठवां दिन, मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना - दुर्गा पूजा नवरात्र

पूरे देश में आज के दिन महाअष्टमी की पूजा की जाएगी. मंदिरों में पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ द्वारा पंचामृत से माता का अभिषेक किया जाएगा. फिर मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा और ब्रह्म मुहूर्त में अगले दिन सुबह 4 बजे आरती के साथ इस अनुष्ठान का समापन होगा.

Maha ashtami
नवरात्र का आठवां दिन
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Published : Oct 24, 2020, 9:55 AM IST

शिमला: नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.

महागौरी का स्वरूप

मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

पापों से मुक्ति दिलाती हैं महागौरी

अष्टमी में मां महागौरी की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि महागौरी माता की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन में विचारों की शुद्धता आती है. महागौरी हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं.इस तरह

प्रसन्न करें मां गौरी को

महागौरी की उपासना से पहले घर में सभी को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. देवी को भी सफेद फूल, बेली, चमेली की माला अर्पित करें. बाद में मां को नारियल का भोग चढ़ाएं. फिर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दें. इसके अलावा पूजन के दौरान माता की विशेष आरती करेंगे तो मां अवश्य प्रसन्न होंगी. साथ ही प्रत्येक दिन की तरह देवी की मंत्र के साथ पूजा करें. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए मां को चुनरी अर्पित करती हैं.

अष्टमी को अर्पित की जाएगी अठवाई

24 अक्टूबर शनिवार को हवन का आयोजन किया जाएगा. हवन की तैयारी भी सभी देवी मंदिरों में लगभग पूरी कर ली गई है. मां महामाया देवी मंदिर में सुबह से माता को अठवाई चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. साथ ही नित्य दिनचर्या वाले आरती स्तुति के बाद अष्टमी का हवन भी सुबह 6 बजे से शुरू हो जाएगा.

शिमला: नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.

महागौरी का स्वरूप

मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

पापों से मुक्ति दिलाती हैं महागौरी

अष्टमी में मां महागौरी की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि महागौरी माता की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन में विचारों की शुद्धता आती है. महागौरी हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं.इस तरह

प्रसन्न करें मां गौरी को

महागौरी की उपासना से पहले घर में सभी को सफेद वस्त्र पहनने चाहिए. देवी को भी सफेद फूल, बेली, चमेली की माला अर्पित करें. बाद में मां को नारियल का भोग चढ़ाएं. फिर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दें. इसके अलावा पूजन के दौरान माता की विशेष आरती करेंगे तो मां अवश्य प्रसन्न होंगी. साथ ही प्रत्येक दिन की तरह देवी की मंत्र के साथ पूजा करें. इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए मां को चुनरी अर्पित करती हैं.

अष्टमी को अर्पित की जाएगी अठवाई

24 अक्टूबर शनिवार को हवन का आयोजन किया जाएगा. हवन की तैयारी भी सभी देवी मंदिरों में लगभग पूरी कर ली गई है. मां महामाया देवी मंदिर में सुबह से माता को अठवाई चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. साथ ही नित्य दिनचर्या वाले आरती स्तुति के बाद अष्टमी का हवन भी सुबह 6 बजे से शुरू हो जाएगा.

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