कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों से जहां मौसम खराब चल रहा है तो वहीं, इसका खामियाजा हिमाचल प्रदेश के किसानों व बागवानों को झेलना पड़ रहा है. जिला कुल्लू में भी अप्रैल माह में जमकर बारिश व ओलावृष्टि हुई. जिला कुल्लू में 3 माह में हुई बारिश व ओलावृष्टि के चलते से सेब, नाशपाती और प्लम की फसल को नुकसान हुआ है और बागवानी विभाग के द्वारा इस नुकसान का आकलन 5 करोड़ 11 लाख रुपए आंका गया है. इसमें अकेले सेब की फसल को ही 4 करोड़ 39 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में से सेब बागवानों को ओलावृष्टि का ज्यादा नुकसान हुआ है और बीते साल के मुकाबले मुकाबले में इस बार सेब की फसल भी कम है.
जिला कुल्लू में नाशपाती की फसल को 30 लाख और प्लम की फसल को 33 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. ऐसे में अब बागवानों को ओलावृष्टि से हुए नुकसान के कारण साल भर के खर्च की चिंता भी सता रही है, क्योंकि जिला कुल्लू में सेब की फसल आर्थिकी का मुख्य जरिया है. मौसम विभाग के द्वारा आने वाले दिनों में भी मौसम खराब होने की चेतावनी जारी की गई है. ऐसे में बाकी बची हुई फसल के खराब होने की भी अब आशंका बढ़ गई है.
जिला कुल्लू में कई जगह पर बागवानों के द्वारा एंटी हेलमेट लगाए गए हैं, लेकिन ओलावृष्टि के कारण एंटी हेलमेट भी फट गए और सेब की पेड़ों की टहनियां टूट गई. मौसम में अचानक आए बदलाव के चलते घाटी में ठंडी हो रही है और ठंड के कारण से फल के साइज पर भी इसका बुरा असर होगा. वहीं, बागवान को अभी तक फसल के नुकसान का भी कोई मुआवजा भी नहीं मिल पाया है.
जिला कुल्लू के बागवान रमेश ठाकुर, दौलत सिंह, श्याम सिंह का कहना है कि फरवरी-मार्च अप्रैल माह में लगातार बारिश होती रही और ओलावृष्टि के कारण उनकी फसलों का नुकसान होता रहा है. ऐसे में बागवानी विभाग के द्वारा जो सर्वे किया गया है उसके तहत अब बागवानों को मुआवजा भी जारी किया जाना चाहिए. वहीं, उद्यान विभाग के उपनिदेशक बीएम चौहान का कहना है कि आंधी ओलावृष्टि के कारण 3 माह में 5 करोड़ 11 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है. इनमें सेब की फसल को काफी नुकसान हुआ है. इस बार सेब उत्पादन भी बीते साल की अपेक्षा कम है. अब नुकसान की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेजी जाएगी.
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