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कल मनाया जाएगा लोहड़ी का त्योहार, शिमला में सजे बाजार

प्रदेश में लोहड़ी के पर्व के लिए शिमला के बाजार भी सजाए गए हैं. प्रदेश में लोहड़ी का यह पर्व सक्रांति के नाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने-अपने घरों में खिचड़ी भी बनाते हैं और घी के साथ खिचड़ी खाई जाती है. लोहड़ी पर शहर के बाजारों में भी कारोबारी लोहड़ी जलाते हैं और आग में मुंगफली, गच्चक, रेवड़ी का प्रसाद डाला जाता है. जिसके बाद यही प्रसाद लोगों में भी बांटा जाता है. इस बार कोविड की वजह से बाजार में इस तरह के आयोजन नहीं होंगे.

lohri festival Shimla, शिमला में लोहड़ी
lohri festival Shimla, शिमला में लोहड़ी
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Published : Jan 12, 2021, 7:53 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 8:38 PM IST

शिमलाः प्रदेश में लोहड़ी का पर्व धूमधाम से धूमधाम से मनाया जाएगा. इस पर्व के लिए शिमला के बाजार भी सजाए गए है. लोगों ने बाजारों में पहुंचकर खरीदारी भी की. लोगों ने लोहड़ी के लिए जो स्टॉल बाजारों में सजे थे वहां पहुंचकर रेवड़ी, मूंगफली और गच्चक की खरीदारी की.

लोहड़ी के पर्व में रेवड़ी, गच्चक और मूंगफली का खास महत्व है. इसी का प्रसाद लोग लोहड़ी के दिन आग में भेंट करते हैं और खुद भी ग्रहण करते हैं.बाजार में तिल गुड़ के लड्डू के साथ ही अलग-अलग किस्म के लड्डू खास इस पर्व के लिए लाए गए हैं.

वीडियो.

कोविड के चलते बाजार में नहीं होगा कोई आयोजन

लोहड़ी पर शहर के बाजारों में भी कारोबारी लोहड़ी जलाते हैं और आग में मुंगफली,गच्चक, रेवड़ी का प्रसाद डाला जाता है. जिसके बाद यही प्रसाद लोगों में भी बांटा जाता है. इस बार कोविड की वजह से बाजार में इस तरह के आयोजन नहीं होंगे.

यहां तक कि शिमला के गंज मंदिर जहां हर साल लोहड़ी पर विशेष कार्यक्रम होता था उसका भी आयोजन नहीं किया जा रहा है. लोग अपने-अपने घरों में ही लोहड़ी की पूजा करेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे. इस बार कोविड को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि सादे तरीके से ही लोहड़ी का यह पर्व मनाया जाएगा और किसी भी तरह का कोई बड़ा आयोजन इस पर्व पर नहीं किया जाएगा.

शिमला के तत्तापानी में विशेष मेले का आयोजन

लोहड़ी के इस पर्व पर शिमला के तत्तापानी में भी एक विशेष मेले का आयोजन होता है. लेकिन इस साल यहां यह आयोजन नहीं हो रहा है. हर साल यहां लगने वाले मेले में खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है और लोग यहां शाही स्नान के लिए पहुंचते है ओर तुला दान भी करवाते है लेकिन कोविड के चलते इस बार यह गतिविधियां यहां नहीं हो रही है.

प्रदेश में लोहड़ी की जगह संक्रांति के नाम से जाना जाता है पर्व

प्रदेश में लोहड़ी का यह पर्व सक्रांति के नाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने अपने घरों पर अपने-अपने घरों में खिचड़ी भी बनाते है और घी के साथ खिचड़ी खाई जाती हैं. वहीं परंपरा और मान्यता के अनुसार अलग-अलग जगहों पर सक्रांति को लेकर अलग-अलग पकवान बनाए जाते हैं.

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस पर्व के प्रसाद की है महत्वता

लोहड़ी के इस पर्व पर मुंगफली, तिल के लड्डू, गच्चक, रेवड़ी का खास महत्व है. यही प्रसाद लोहड़ी पर आग में भेंट किया जाता है और ग्रहण भी किया जाता है. यह पर्व सर्दियों में आता है ऐसे में यह मुंगफली, तिल के लड्डू, गच्चक, रेवड़ी तासीर को गर्म रखती है जिसके लिए लोग इसका सेवन करते हैं.

ये भी पढ़ेंः प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 की समीक्षा बैठक, CM ने की अध्यक्षता

शिमलाः प्रदेश में लोहड़ी का पर्व धूमधाम से धूमधाम से मनाया जाएगा. इस पर्व के लिए शिमला के बाजार भी सजाए गए है. लोगों ने बाजारों में पहुंचकर खरीदारी भी की. लोगों ने लोहड़ी के लिए जो स्टॉल बाजारों में सजे थे वहां पहुंचकर रेवड़ी, मूंगफली और गच्चक की खरीदारी की.

लोहड़ी के पर्व में रेवड़ी, गच्चक और मूंगफली का खास महत्व है. इसी का प्रसाद लोग लोहड़ी के दिन आग में भेंट करते हैं और खुद भी ग्रहण करते हैं.बाजार में तिल गुड़ के लड्डू के साथ ही अलग-अलग किस्म के लड्डू खास इस पर्व के लिए लाए गए हैं.

वीडियो.

कोविड के चलते बाजार में नहीं होगा कोई आयोजन

लोहड़ी पर शहर के बाजारों में भी कारोबारी लोहड़ी जलाते हैं और आग में मुंगफली,गच्चक, रेवड़ी का प्रसाद डाला जाता है. जिसके बाद यही प्रसाद लोगों में भी बांटा जाता है. इस बार कोविड की वजह से बाजार में इस तरह के आयोजन नहीं होंगे.

यहां तक कि शिमला के गंज मंदिर जहां हर साल लोहड़ी पर विशेष कार्यक्रम होता था उसका भी आयोजन नहीं किया जा रहा है. लोग अपने-अपने घरों में ही लोहड़ी की पूजा करेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे. इस बार कोविड को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि सादे तरीके से ही लोहड़ी का यह पर्व मनाया जाएगा और किसी भी तरह का कोई बड़ा आयोजन इस पर्व पर नहीं किया जाएगा.

शिमला के तत्तापानी में विशेष मेले का आयोजन

लोहड़ी के इस पर्व पर शिमला के तत्तापानी में भी एक विशेष मेले का आयोजन होता है. लेकिन इस साल यहां यह आयोजन नहीं हो रहा है. हर साल यहां लगने वाले मेले में खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है और लोग यहां शाही स्नान के लिए पहुंचते है ओर तुला दान भी करवाते है लेकिन कोविड के चलते इस बार यह गतिविधियां यहां नहीं हो रही है.

प्रदेश में लोहड़ी की जगह संक्रांति के नाम से जाना जाता है पर्व

प्रदेश में लोहड़ी का यह पर्व सक्रांति के नाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने अपने घरों पर अपने-अपने घरों में खिचड़ी भी बनाते है और घी के साथ खिचड़ी खाई जाती हैं. वहीं परंपरा और मान्यता के अनुसार अलग-अलग जगहों पर सक्रांति को लेकर अलग-अलग पकवान बनाए जाते हैं.

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस पर्व के प्रसाद की है महत्वता

लोहड़ी के इस पर्व पर मुंगफली, तिल के लड्डू, गच्चक, रेवड़ी का खास महत्व है. यही प्रसाद लोहड़ी पर आग में भेंट किया जाता है और ग्रहण भी किया जाता है. यह पर्व सर्दियों में आता है ऐसे में यह मुंगफली, तिल के लड्डू, गच्चक, रेवड़ी तासीर को गर्म रखती है जिसके लिए लोग इसका सेवन करते हैं.

ये भी पढ़ेंः प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन-1100 की समीक्षा बैठक, CM ने की अध्यक्षता

Last Updated : Jan 12, 2021, 8:38 PM IST
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