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लॉकडाउन का हिमाचल पर्यटन पर असर, अर्श से फर्श पर पहुंचा कारोबार

हिमाचल में हर साल 15 अप्रैल से समर सीजन की शुरुआत होती है. इस बार लॉकडाउन के चलते प्रदेश में पर्यटकों की आमद शून्य रही. पर्यटन कारोबारियों से लेकर प्रदेश सरकार को इस वजह से कोरोड़ों की चपत लगी. प्रदेश में समर सीजन में हर साल 50 लाख के करीब देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. इस वर्ष ये आंकड़ा शून्य है.

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Published : May 6, 2020, 9:01 PM IST

Updated : May 7, 2020, 1:05 PM IST

शिमला: वैश्विक महामारी कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा. हिमाचल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका है. ये पहली मर्तबा है जब पर्यटन सीजन पूरी तरह से खाली रहा.

हिमाचल में हर साल 15 अप्रैल से समर सीजन की शुरुआत होती है. इस बार लॉकडाउन के चलते प्रदेश में पर्यटकों की आमद शून्य रही. पर्यटन कारोबारियों से लेकर प्रदेश सरकार को इस वजह से कोरोड़ों की चपत लगी. प्रदेश में समर सीजन में हर साल 50 लाख के करीब देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. इस वर्ष ये आंकड़ा शून्य है. सभी होटल, रेस्तरां, बार और पर्यटन से जुड़ी अन्य इकाइयों में सन्नाटा पसरा है. मौजूदा समय में प्रदेश में पर्यटन से जुड़ी करीब 6 हजार इकाइयां बंद हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

जानकार बतातें हैं अगर सब ठीक रहा तो टूरिज्म इंड्स्ट्री में आए इस स्लो डाउन को खत्म करने के लिए कम से कम डेढ़ साल का समय लगेगा. ये भी तभी संभव होगा जब प्रदेश सरकार टूरिज्म को लेकर पुरानी नितियों में बदलाव करेगी.

बीते दो सालों की बात करें तो हिमाचल में साल 2018 में 1 .64 करोड़ देशी और विदेशी पर्यटक आए थे. वहीं, साल 2019 में 1.72 करोड़ पर्यटक हिमाचल घूमने आए थे. कोरोना महामारी ने इस साल पर्यटन कारोबार को अरस से फर्श तक ला दिया है. क्या शिमला क्या धर्मशाला, मनाली की वादियों से लेकर मिनी स्वीजरलैंड से मशहूर खजियार के प्राकृतिक नजारे मानों सब पर्यटकों की राह ताक रहे हों.

पर्यटन कारोबारी मुश्किल के इस दौर में प्रदेश सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने होटल कारोबारियों को जरूर कुछ रियायतें दी हैं, लेकिन नुकसान कई गुणा ज्यादा है, जिसकी भरपाई के लिए अभी पता नहीं कितना समय लगेगा.

हालांकि नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रदेश सरकार ने टास्क फोर्स बनाई है. जो नुकसान की रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी, जिसके बाद सरकार आगामी नितियां बनाकर पर्यटन कारोबार को पंख लगाने के लिए योजना तैयार करेगी.

शिमला: वैश्विक महामारी कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा. हिमाचल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका है. ये पहली मर्तबा है जब पर्यटन सीजन पूरी तरह से खाली रहा.

हिमाचल में हर साल 15 अप्रैल से समर सीजन की शुरुआत होती है. इस बार लॉकडाउन के चलते प्रदेश में पर्यटकों की आमद शून्य रही. पर्यटन कारोबारियों से लेकर प्रदेश सरकार को इस वजह से कोरोड़ों की चपत लगी. प्रदेश में समर सीजन में हर साल 50 लाख के करीब देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. इस वर्ष ये आंकड़ा शून्य है. सभी होटल, रेस्तरां, बार और पर्यटन से जुड़ी अन्य इकाइयों में सन्नाटा पसरा है. मौजूदा समय में प्रदेश में पर्यटन से जुड़ी करीब 6 हजार इकाइयां बंद हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

जानकार बतातें हैं अगर सब ठीक रहा तो टूरिज्म इंड्स्ट्री में आए इस स्लो डाउन को खत्म करने के लिए कम से कम डेढ़ साल का समय लगेगा. ये भी तभी संभव होगा जब प्रदेश सरकार टूरिज्म को लेकर पुरानी नितियों में बदलाव करेगी.

बीते दो सालों की बात करें तो हिमाचल में साल 2018 में 1 .64 करोड़ देशी और विदेशी पर्यटक आए थे. वहीं, साल 2019 में 1.72 करोड़ पर्यटक हिमाचल घूमने आए थे. कोरोना महामारी ने इस साल पर्यटन कारोबार को अरस से फर्श तक ला दिया है. क्या शिमला क्या धर्मशाला, मनाली की वादियों से लेकर मिनी स्वीजरलैंड से मशहूर खजियार के प्राकृतिक नजारे मानों सब पर्यटकों की राह ताक रहे हों.

पर्यटन कारोबारी मुश्किल के इस दौर में प्रदेश सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने होटल कारोबारियों को जरूर कुछ रियायतें दी हैं, लेकिन नुकसान कई गुणा ज्यादा है, जिसकी भरपाई के लिए अभी पता नहीं कितना समय लगेगा.

हालांकि नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रदेश सरकार ने टास्क फोर्स बनाई है. जो नुकसान की रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी, जिसके बाद सरकार आगामी नितियां बनाकर पर्यटन कारोबार को पंख लगाने के लिए योजना तैयार करेगी.

Last Updated : May 7, 2020, 1:05 PM IST
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