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दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए शिक्षण संस्थानों में सुगम्य लाइब्रेरी की व्यवस्था हो जल्द: अजय श्रीवास्तव - library for visually impaired students

प्रॉ. अजय श्रीवास्तव ने रामपुर के राजकीय महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की जरुरतों पर विचार रखे. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य लाइब्रेरी की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए.

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Published : Sep 18, 2019, 9:41 PM IST

रामपुरः हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने गोविंद वल्लभ पंत राजकीय महाविद्यालय रामपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस कार्यक्रम में प्रो. श्रीवास्तव ने दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकार और शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखे.

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से दृष्टि बाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थी बहुत आसानी से अपनी पढ़ाई कर सकते हैं. दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए स्कूलों एवं कालेजों में सुगम्य लाइब्रेरी की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए.

अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थियों को दया नहीं बल्कि पढ़ाई के लिए आधुनिक सुविधाएं चाहिए. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उत्तर भारत के पहले सुगम्य पुस्तकालय की स्थापना की गई है. शिक्षण संस्थान का यहां कानूनी दायित्व है कि वह सभी तरह के बच्चों के साथ बराबरी का व्यवहार करें.

हम बच्चों के लिए तो शिक्षा संस्थानों में पुस्तकालय होते हैं, लेकिन दृष्टि बाधित विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर टॉकिंग सॉफ्टवेयर से सुसज्जित सुगम्य पुस्तकालय जल्द से जल्द स्थापित किए जाने चाहिए. जिनकी मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थी भी आसानी से सुनकर पढ़ाई कर सकते हैं.

बता दें कि विकलांग जन अधिकार अधिनियम 2016 में दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में 5 प्रतिशत आरक्षण और उसके बाद नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थापित सुगम्य लाइब्रेरी की तर्ज पर सभी स्कूलों और कॉलेजों में यह व्यवस्था किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही कर चुके हैं. अब इस पर शीघ्र अमल करने की जरूरत है.

रामपुरः हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने गोविंद वल्लभ पंत राजकीय महाविद्यालय रामपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की. इस कार्यक्रम में प्रो. श्रीवास्तव ने दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकार और शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखे.

प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से दृष्टि बाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थी बहुत आसानी से अपनी पढ़ाई कर सकते हैं. दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए स्कूलों एवं कालेजों में सुगम्य लाइब्रेरी की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए.

अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थियों को दया नहीं बल्कि पढ़ाई के लिए आधुनिक सुविधाएं चाहिए. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उत्तर भारत के पहले सुगम्य पुस्तकालय की स्थापना की गई है. शिक्षण संस्थान का यहां कानूनी दायित्व है कि वह सभी तरह के बच्चों के साथ बराबरी का व्यवहार करें.

हम बच्चों के लिए तो शिक्षा संस्थानों में पुस्तकालय होते हैं, लेकिन दृष्टि बाधित विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर टॉकिंग सॉफ्टवेयर से सुसज्जित सुगम्य पुस्तकालय जल्द से जल्द स्थापित किए जाने चाहिए. जिनकी मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थी भी आसानी से सुनकर पढ़ाई कर सकते हैं.

बता दें कि विकलांग जन अधिकार अधिनियम 2016 में दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में 5 प्रतिशत आरक्षण और उसके बाद नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थापित सुगम्य लाइब्रेरी की तर्ज पर सभी स्कूलों और कॉलेजों में यह व्यवस्था किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही कर चुके हैं. अब इस पर शीघ्र अमल करने की जरूरत है.

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रामपुर बुशहर, 18 सितंबर मीनाक्षीBody:
हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के सदस्य एवं प्रदेश विश्वविद्यालय के विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा है दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए स्कूलों एवं कालेजों में सुगम्य लाइब्रेरी की व्यवस्था तुरंत की जानी चाहिए। दिव्यांग विद्यार्थियों को दया नहीं बल्कि पढाई के लिए आधुनिक सुविधाएं चाहिए। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में उत्तर भारत के पहले सुगम्य पुस्तकालय की स्थापना की गई है।
प्रो. अजय श्रीवास्तव यहां गोविंद वल्लभ पंत राजकीय महाविद्यालय में "दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकार और शिक्षण संस्थानों की भूमिका" विषय पर विशेष व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम में कालेज के प्रिन्सिपल डॉ. के सी कश्यप, अनेक प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इनमें कालेज में पढ़ रही चार दृष्टिबाधित छात्राओं- चंद्रमणि, आशा, विद्या और सूमा भी शामिल थीं।
उन्होंने कहा कि अधिक टेक्नोलॉजी की मदद से दृष्टि बाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थी बहुत आसानी से अपनी पढ़ाई कर सकते हैं शिक्षण संस्थान का यहां कानूनी दायित्व है कि वह सभी तरह के बच्चों के साथ बराबरी का व्यवहार करें हम बच्चों के लिए तो शिक्षा संस्थानों में पुस्तकालय होते हैं लेकिन दृष्टि बाधित विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर टॉकिंग सॉफ्टवेयर से सुसज्जित सुगम्य पुस्तकालय जल्द से जल्द स्थापित किए जाने चाहिए। इनमें कई तरह के टॉकिंग सॉफ्टवेयर से सुसज्जित कंप्यूटर लगे होते हैं। जिनकी मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थी भी आसानी से सुनकर पढ़ाई कर सकते हैं जो देख नहीं सकते उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों में विकलांग विद्यार्थियों को मुक्त शिक्षा का अधिकार और ऊंची दरों पर छात्रवृत्ति की व्यवस्था हाई कोर्ट में उनकी जनहित याचिका का नतीजा है।विशेष व्याख्यान में प्रो. श्रीवास्तव ने विकलांगता कानूनों और दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में न तो विद्यार्थियों और न ही उनके अभिभावकों को दिव्यांग बच्चों के अधिकारों के बारे में कोई जानकारी होती है। ऐसे में शिक्षकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा की विकलांग जन अधिकार अधिनियम 2016 में दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में 5 प्रतिशत आरक्षण और उसके बाद नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थापित सुगम्य लाइब्रेरी की तर्ज पर सभी स्कूलों और कॉलेजों में यह व्यवस्था किए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही कर चुके हैं।अब इस पर शीघ्र अमल करने की जरूरत है।
इस अवसर पर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. केसी कश्यप ने काह कि उनके कॉलेज में दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकारों पर यह पहला कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि कॉलेज अपने दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग विद्यार्थियों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास करेगा। कार्यक्रम में कॉलेज की दृष्टिबाधित छात्राओं ने भी अपने विचार रखे एवं अन्य विद्यार्थियों ने मुख्य वक्ता से सवाल भी पूछे।
Conclusion:
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