ETV Bharat / state

सावधान! हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं, 2022 में 117 मामले दर्ज, विभाग ने जारी किया आंकड़ा - हिमाचल में भूस्खलन

हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की कई घटनाओं को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग ने आंकड़ा जारी किया. इन आंकड़ों के मुताबिक बीते दो साल में भूस्खलन के मामलों में 7 गुना बढ़ोतरी हुई है. (Landslide cases in Himachal Pradesh)

हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं
हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं
author img

By

Published : Mar 14, 2023, 1:57 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. हिमाचल प्रदेश में पिछले दो वर्षों में भूस्खलन के मामलों में 7 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में वर्ष 2020 में भूस्खलन के महज 16 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2022 में यह मामले 7 गुना बढ़कर 117 हो गए हैं. जो कि बेहद चिंता का विषय है.

हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल: आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल हैं जिनमें से 675 स्थल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों और बस्तियों के पास हैं. स्थल चंबा (133), मंडी (110), कांगड़ा (102), लाहौल और स्पीति (91), ऊना (63), कुल्लू (55), शिमला (50), सोलन (44), बिलासपुर (37), सिरमौर (21) और किन्नौर (15) में स्थित हैं.

हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल
हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल

क्या है भूस्खलन के मामले बढ़ने का कारण: विशेषज्ञों का कहना है कि भूस्खलन होने के पीछे की मुख्य वजह तेज बारिश और पहाड़ी ढलानों में चट्टानों का कटाव है. भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर ने सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों, जलविद्युत परियोजनाओं और खनन के लिए विस्फोट को भूस्खलन के मामलों में हो रही बढ़ोतरी का मुख्य कारण बताया है.

2022 में 117 भूस्खलन के मामले: जानकारी के अनुसार पिछले साल हिमाचल में 117 मामले भूस्खलन के सामने आए. सबसे ज्यादा भूस्खलन के मामले कुल्लू जिले से सामने आए. जबकि मंडी जिले में 20, लाहौल स्पीति में 18, शिमला जिले में 15, सिरमौर में 9, बिलासपुर में 8, कांगड़ा में 5, किन्नौर में 3, सोलन में 3 और ऊना में 1 मामला दर्ज किया गया. वहीं, हमीरपुर में कोई भी मामला सामने नहीं आया. आपदा प्रबंधन के विशेष सचिव सुदेश मोक्टा ने बताया कि ज्यादातर भूस्खलन के मामले मानसून के दौरान सामने आए हैं.

हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं
हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं

हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील: नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो द्वारा तैयार किए गए लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया के अनुसार हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील हैं. 17 राज्यों में 147 जिलों को कवर करने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में किए गए भूस्खलन जोखिम विश्लेषण में हिमाचल का मंडी जिला 16वें स्थान पर है, इसके बाद हमीरपुर 25, बिलासपुर 30, चंबा 32, सोलन 37, किन्नौर 46, कुल्लू 57, शिमला 61, कांगड़ा 62, ऊना 70, सिरमौर 88 और लाहौल और स्पीति 126वें स्थान पर है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में कहा था कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य में सड़कों के विस्तार के कारण होने वाले भूस्खलन को कम करने और रोकने के उपायों पर सुझाव के लिए अवधारणा पत्र पेश करेगा और जरूरी उपायों पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: मणिकर्ण में सैलानियों के हुड़दंग पर हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश, जांच में सही साबित हुई मीडिया रिपोर्ट्स

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. हिमाचल प्रदेश में पिछले दो वर्षों में भूस्खलन के मामलों में 7 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में वर्ष 2020 में भूस्खलन के महज 16 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2022 में यह मामले 7 गुना बढ़कर 117 हो गए हैं. जो कि बेहद चिंता का विषय है.

हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल: आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल हैं जिनमें से 675 स्थल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों और बस्तियों के पास हैं. स्थल चंबा (133), मंडी (110), कांगड़ा (102), लाहौल और स्पीति (91), ऊना (63), कुल्लू (55), शिमला (50), सोलन (44), बिलासपुर (37), सिरमौर (21) और किन्नौर (15) में स्थित हैं.

हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल
हिमाचल में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल

क्या है भूस्खलन के मामले बढ़ने का कारण: विशेषज्ञों का कहना है कि भूस्खलन होने के पीछे की मुख्य वजह तेज बारिश और पहाड़ी ढलानों में चट्टानों का कटाव है. भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर ने सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों, जलविद्युत परियोजनाओं और खनन के लिए विस्फोट को भूस्खलन के मामलों में हो रही बढ़ोतरी का मुख्य कारण बताया है.

2022 में 117 भूस्खलन के मामले: जानकारी के अनुसार पिछले साल हिमाचल में 117 मामले भूस्खलन के सामने आए. सबसे ज्यादा भूस्खलन के मामले कुल्लू जिले से सामने आए. जबकि मंडी जिले में 20, लाहौल स्पीति में 18, शिमला जिले में 15, सिरमौर में 9, बिलासपुर में 8, कांगड़ा में 5, किन्नौर में 3, सोलन में 3 और ऊना में 1 मामला दर्ज किया गया. वहीं, हमीरपुर में कोई भी मामला सामने नहीं आया. आपदा प्रबंधन के विशेष सचिव सुदेश मोक्टा ने बताया कि ज्यादातर भूस्खलन के मामले मानसून के दौरान सामने आए हैं.

हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं
हिमाचल में बढ़ रही भूस्खलन की घटनाएं

हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील: नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो द्वारा तैयार किए गए लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया के अनुसार हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील हैं. 17 राज्यों में 147 जिलों को कवर करने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में किए गए भूस्खलन जोखिम विश्लेषण में हिमाचल का मंडी जिला 16वें स्थान पर है, इसके बाद हमीरपुर 25, बिलासपुर 30, चंबा 32, सोलन 37, किन्नौर 46, कुल्लू 57, शिमला 61, कांगड़ा 62, ऊना 70, सिरमौर 88 और लाहौल और स्पीति 126वें स्थान पर है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में कहा था कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य में सड़कों के विस्तार के कारण होने वाले भूस्खलन को कम करने और रोकने के उपायों पर सुझाव के लिए अवधारणा पत्र पेश करेगा और जरूरी उपायों पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: मणिकर्ण में सैलानियों के हुड़दंग पर हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश, जांच में सही साबित हुई मीडिया रिपोर्ट्स

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.