शिमलाः भारत-पाक के बीच लड़ा गये कारगिल युद्ध में अपना खून बहा चुके कैप्टन भीम सिंह गुलेरिया ने युवायों को आत्म निर्भर बनने की सीख दी है. उनका कहना है कि कैसी भी विपरीत परिस्थितियां हों हिम्मत नहीं हार कर आत्मनिर्भर बन कर आगे बढ़ना चाहिए. कैप्टन भीम सिंह गुलेरिया ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 1999 में जब कारगिल का युद्ध हुआ तो वह भी लड़ाई में शामिल थे. उनका कहना था कि दुश्मन ऊपर पहाड़ी पर बैठा था और वो अपने जवानों सहित 6 किलोमीटर पैदल ऊपर चढ़ते गए.
ग्लेशियर जैसी बाधा को किया पार
बीच में ग्लेशियर जैसी बाधा को पार करते हुए आगे बढ़े. दुश्मन के खेमें में घुस कर उन्होंने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए. हालांकि दुश्मन भाग गया, लेकिन गुलेरिया उनके 2 सैनिक साथियों को जिंदा पकड़ने में कामयाब हुए. दुश्मनों को पकड़ कर अपनी सेना के हवाले किया. गुलेरिया ने बताया कि इस दौरान उन्हें टांग में गोली लगी. लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ और दुश्मनों को परास्त कर वापस आये.
भीम सिंह गुलेरिया का कहना था कि वो जब उन दिनों को याद करते हैं तो एक सपना सा लगता है. क्योंकि दुश्मनों के बीच घिरे होने के बाद भी उन्हें परास्त कर वापस आना आसान नहीं था. उनका कहना था कि उन्होंने 1979 में सेना ज्वाइन की थी और आसाम में उनकी पहली पोस्टिंग हुई. उसके बाद विभिन्न स्थानों पर सेवाएं देते रहे. 1999 में जम्मू कश्मीर में कारगिल युद्ध भी लड़ा. गुलेरिया का कहना है कि उन्हें उस दौरान आत्म निर्भर रहने की सीख मिली. उन परिस्थितियों में भी गुलेरिया 72 घण्टे तक मैदान में डटे रहे.
युवा पीढ़ी को दी आत्मनिर्भरता की सीख
उन्होंने युवा पीढ़ी को भी आत्मनिर्भर रहने की सीख दी है ओर अपने मन और तन को मजबूत करने की बात की. साथ ही उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं से सेना में शामिल हो कर देश सेवा करने की अपील की. भीम सिंह गुलेरिया हिमाचल के मंडी जिला के रहने वाले हैं और वर्तमान में आईजीएमसी में सीएसओ (चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर) के तौर पर तैनात हैं.
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