शिमला: हिमाचल की संस्कृति और यहां की कला के चलते हिमाचल विश्व भर में प्रसिद्ध है. यही वजह है कि हिमाचल में आने वाले पर्यटक यहां की संस्कृति और कला से जुड़ी वस्तुओं को अपने साथ एक यादगार के तौर पर ले जाना पसंद करते हैं.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हिमाचल की यादगार के रूप में पर्यटक यहां से समृति चिन्ह ले जा सकें इसके लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचली हैंडीक्राफ्ट के छोटे-छोटे स्वरूप तैयार कर रहा है. इसमें हिमाचल से जुड़े अलग-अलग क्षेत्रों की कला को शामिल किया जा रहा है.
इसी की तरह तर्ज पर कांगड़ा पेंटिंग की आकर्षक बालियां विभाग की ओर से तैयार की गई हैं. कांगड़ा चित्रकला के अलग-अलग विषयों को प्रदर्शित करने के लिए अलग-अलग आकारों की ये बालियां बनाई गई है, जिसमें कांगड़ा पेंटिंग की झलक दर्शाई गई है.
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कांगड़ा पेंटिंग की फ्रेम बड़ी और महंगी होने के चलते पर्यटक ऐसे अपने साथ नहीं ली जा पा रहे थे, जिसके चलते अब इसका लघु स्वरूप अलग तरीके से विभाग की ओर से तैयार किया गया है. इतना ही नहीं बालियों के साथ ही कांगड़ा पेंटिंग के छोटे-छोटे पोस्टर भी तैयार किए गए हैं ताकि शिमला आने वाले पर्यटक इन पोस्टरों को कम कीमत पर खरीद कर अपने साथ यादगार के तौर पर ले जा सकें.
विभाग की ओर से चांदी में अलग-अलग आकार की बालियां कांगड़ा पेंटिंग को लेकर तैयार की गई हैं. इन्हें खरीदारी के लिए पर्यटन विभाग के होटलों, जिसमें आशियाना रेस्तरां रिज मैदान के साथ ही हिमाचली इम्पोरियम सहित स्टेट म्यूजियम में पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है. इनकी कीमत को भी 50 रुपये से शुरू की गई है ताकि पर्यटक इसे आसानी से खरीद सकें.
भाषा,कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ.पूर्णिमा चौहान ने कहा कि हिमाचली हैंडीक्राफ्ट की पर्यटकों को जानकारी दी जा सके और हिमाचल की संस्कृति विरासत व हस्तशिल्प के बारे में पर्यटक जागरूक हो इसके लिए इनके लघु स्वरूप तैयार किए जा रहे हैं. इसी की तर्ज पर कांगड़ा पेंटिंग्स की बालियां और पोस्टर तैयार किए गए हैं.
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बता दें कि हिमाचल में कांगड़ा चित्रकला शैली का अपना एक अलग महत्व और इतिहास है.18 वीं शताब्दी में शुरू हुई इस कला की शुरुआत कांगड़ा से हुई, जिसे यहां के राजपरिवारों की देन माना जाता है. ये चित्रकला 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच राजपूत शासकों की संरक्षित शैली को दिखाती है.