शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी बुधवार को सेवानिवृत हो गए. न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की सेवानिवृति पर हाईकोर्ट में फुल कोर्ट रेफरेंस का आयोजन किया गया. इस दौरान न्यायमूर्ति चौधरी ने अपने भावुक संबोधन में स्मृतियों को सांझा किया. उन्होंने कहा कि छोटे से किसान परिवार से हाईकोर्ट के न्यायाधीश तक का सफर अद्भुत रहा है. न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि इस सफर की बुनियाद उनके माता-पिता के संस्कारों ने रखी.
विदाई समारोह में न्यायमूर्ति चौधरी ने धर्मपत्नी और पोते के स्नेह को भी याद किया. जस्टिस चौधरी ने कहा कि वो बेहद ही साधारण किसान परिवार में पैदा हुए. उनके परिवार का कोई भी सदस्य न्यायिक क्षेत्र में नहीं था. अपने पिता स्व. नरोत्तम राम और माता दलतु देवी को याद कर भावुक हुए जस्टिस चौधरी ने कहा कि मां-पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत त्याग किए.
मां-पिता के आशीर्वाद व संस्कारों की बदौलत ही वह इन ऊंचाइयों को छू सके. इस दौरान अपने दो भाइयों के सहयोग को भी उन्होंने याद किया. जस्टिस चौधरी ने हिमाचल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस भवानी सिंह को याद करते हुए कहा कि वे उनके गुरु व आदर्श रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रतिष्ठान लोकतंत्र की रीढ़ हैं साथ ही अधीनस्थ न्यायालय समूची न्यायिक प्रणाली के अहम स्तंभ हैं.
इन न्यायालयों में कार्यरत न्यायाधीश और स्टाफ को हाईकोर्ट से उपयुक्त संरक्षण की जरूरत है, ताकि निष्पक्ष, निर्भीक व बिना किसी द्वेष से न्याय प्रदान किया जा सके. अधीनस्थ जज भी न्याय निष्पादन में वही पावन भूमिका निभाते हैं, जो उच्च न्यायालय के जज निभाते हैं.
जस्टिस चौधरी ने सभी न्यायाधीशों, बार एसोसिएशन के सदस्यों, न्यायिक अधिकारियों और रजिस्ट्री के अधिकारियों का सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. इस अवसर पर प्रदेश महाधिवक्ता अशोक शर्मा, असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल राजेश शर्मा, बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा, बार एसोसिएशन अध्यक्ष एन एस चंदेल ने न्यायाधीश चौधरी के व्यक्तित्व को सराहा.
सभी ने उन्हें लोकप्रिय, न्यायाप्रिय और जूनियर वकीलों को प्रोत्साहित करने वाला बताया. इस दौरान हाईकोर्ट के तमाम न्यायाधीश व हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश पीएस राणा, बार एसोसिएशन के सदस्य और हाई कोर्ट के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे. फुल कोर्ट रेफरेंस के बाद न्यायाधीश चौधरी को गॉर्ड ऑफ ऑनर के साथ विदाई दी गई.