शिमला: हिमाचल प्रदेश की जुब्बल कोटखाई एक मात्र ऐसी सीट है, जिसने हिमाचल को दो-दो मुख्यमंत्री दिए. जुब्बल कोटखाई का वोटर हिमाचल के जागरूक वोटरों में जाना जाता है. यही एक मात्र सीट ऐसी रही हैं जहां पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी हारे हैं. अबकी बार यहां से पूर्व मुख्यमंत्री स्व ठाकुर रामलाल के पोते रोहित ठाकुर फिर चुनावी मैदान में है, तो दूसरी ओर भाजपा ने पूर्व बागवानी मंत्री स्व नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा को चुनावी मैदान में उतारा है. यह 8 दिसंबर को पता चलेगा कि इस बार जनता हाथ का साथ देती है या फिर कमल का फूल खिलाती है.
राज्य के औसत से ज्यादा रहा मतदान: जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार राज्य के औसत से ज्यादा मतदान रहा है. यहां पर मतदान की प्रतिशतता 79.28 रही. इस क्षेत्र के कुल 73,190 मतदाताओं में से 58,022 मतदाताओं ने मतदान किया, जिनमें 29,669 पुरुष और 28,353 महिला मतदाता शामिल हैं. इस बार यहां से छह उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें कांग्रेस के रोहित ठाकुर, भाजपा के चेतन बरागटा, सीपीएम के विशाल शांकटा, बीएसपी के रामपाल, आप से श्रीकांत और निर्दलीय सुमन कदम शामिल हैं.
दो मुख्यमंत्री देने वाला एकलौती विधानसभा सीट जुब्बल-कोटखाई: जुब्बल-कोटखाई एक मात्र सीट ऐसी है, जिसने हिमाचल को दो मुख्यमंत्री दिए हैं. कांग्रेस के ठाकुर रामलाल साल 1977 में यहां से दूसरी बार जीते और यहां से पहली बार मुख्यमंत्री बने. फिर साल 1980 में शांता सरकार को गिराकर ठाकुर रामलाल दूसरी बार यहां से मुख्यमंत्री बने. साल 1982 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रिपीट किया और जुब्बल कोटखाई से विधायक ठाकुर रामलाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. वीरभद्र सिंह भी यहीं से पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.
हिमाचल की राजनीति में यहीं से आए थे वीरभद्र सिंह: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहले सांसद थे और केंद्र की राजनीति में थे. वीरभद्र सिंह हिमाचल की राजनिति में साल 1983 में इसी हल्के से आए. उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव जुब्बल-कोटखाई हलके से लड़ा और वह मुख्यमंत्री बने. इस बीच वीरभद्र सिंह ने विधानसभा जल्दी भंग करवा दी और 1985 में ही विधानसभा चुनाव करवा दिए. इस विधानसभा चुनाव में भी वीरभद्र सिंह ने अपना चुनाव क्षेत्र जुब्बल कोटखाई को ही बनाया. इन चुनावों में वीरभद्र सिंह जीत गए और दूसरी बार मुख्यमंत्री भी बन गए. इस तरह जुब्बल कोटखाई को दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर वीरभद्र सिंह मिले.
यहां से वीरभद्र सिंह भी हारे: साल 1990 में वीरभद्र सिंह हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में उतरे. वह उस चुनाव में दो सीटों से रोहड़ू और जुब्बल कोटखाई उन्होंने चुनाव लड़ा. हालांकि, रोहड़ू से तो वीरभद्र सिंह जीत गए लेकिन जुब्बल कोटखाई में करीब पंद्रह सौ वोट से हार गए. ठाकुर रामलाल को कुर्सी से हटाकर वीरभद्र सिंह पहली बार सीएम बने थे. मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ठाकुर रामलाल को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया था. इस तरह प्रदेश की राजनीति से एक तरह से वह दूर हो गए थे. इससे ठाकुर रामलाल और कांग्रेस के बीच धीरे-धीरे खाई बनती गई और ठाकुर रामलाल जनता दल में शामिल हो गए. साल 1990 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर रामलाल ने जनता दल से टिकट पर जुब्बल-कोटखाई से चुनाव लड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को करीब पंद्रह सौ वोटों से हरा दिया.
जुब्बल कोटखाई से अधिकांश बार कांग्रेस ही जीती: कांग्रेस इस सीट पर 9 बार कांग्रेस ही जीती है. 1972, 1977 और 1982 में इस सीट से लगातार तीन बार कांग्रेस के कद्दावर नेता ठाकुर रामलाल चुने गए. 1985 में यहां से कांग्रेस से वीरभद्र सिंह जीते. इसके बाद 1993 और 1998 में कांग्रेस से ठाकुर रामलाल लगातार दो बार यहां से जीते. साल 2003 में यहां से रामलाल ठाकुर को पोते रोहित ठाकुर कांग्रेस से जीते. इसके बाद 2012 में कांग्रेस की टिकट पर फिर से रोहित ठाकुर जीते. 2021 के उपचुनाव में रोहित ठाकुर ने कांग्रेस को यह सीट दिलाई. भाजपा दो बार 2007 और 2017 में यहां से जीती है. दोनों बार नरेंद्र बरागटा भाजपा की झोली में इस सीट को डालने में कामयाब रहे हैं. ठाकुर राम लाल ठाकुर ने यहां से जनता दल के टिकट पर 1990 में यह सीट जीती.
2019 के उपचुनाव में बेजीपी प्रत्याशी की जमानत हुई थी रद्द: जयराम सरकार के कार्यकाल में 2019 में हिमाचल में तीन विधानसभा क्षेत्रों और मंडी के संसदीय क्षेत्र की एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. विधानसभा की जो तीन सीटें कांग्रेस ने इस उपचुनाव में जीतीं, उनमें जुब्बल कोटखाई की सीट भी थी. इस उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई में कुल 56,612 मत पड़े, जिसमें से कांग्रेस के रोहित ठाकुर ने 29,955 मत हासिल किए. प्रदेश में सत्तासीन जयराम सरकार की प्रत्याशी नीलम सरैईक यहां अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई, उनको महज 2644 मत ही मिल पाए. दूसरे नंबर पर पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा रहे, जिन्होंने निर्दलीय 23662 मत हासिल किए. इस तरह कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर अपने निकटतम प्रतिदवंदी चेतन बरागटा से 6,293 मतों से विजयी रहे. निर्दलीय प्रत्याशी सुमन कदम को 175 मत, जबकि 176 मत नोटा में पड़े. इस बार भाजपा ने यहां से चेतन बरागटा को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबला कड़ा बनाया है.
रोहित ठाकुर बरकार रख पाएंगे जीत: कांग्रेस ने यहां से अबकी बार भी रोहित ठाकुर को चुनावी मैदान में हैं. रोहित ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के पोते हैं. ठाकुर रामलाल कुल छह बार जुब्बल कोटखाई से विधायक रहे है. इस तरह रोहित ठाकुर को राजनीति विरासत में मिली है. रोहित ठाकुर पहली बार 2003 जीते. इसके बाद 2012 के चुनाव और 2021 के विधानसभा उपचुनाव में रोहित ठाकुर जीत दर्ज की. इस तरह वे चौथी बार चुनावी मैदान में है. देखना कि अबकी बार वह अपनी जीत बरकार रख पाते हैं कि नहीं.
चेतन के पिता स्व. नरेंद्र बरागटा ने खिलाया था यहां कमल: अबकी बार भाजपा ने चेतन बरागटा को चुनावी मैदान में यहां से उतारा है. चेतन बरागटा पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे हैं. चेतन पूर्व में भाजपा आईटी सेल के प्रमुख रह चुके हैं. हालांकि, नरेंद्र बरागटा के आकस्मिक निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में यहां से चेतन बरागटा को टिकट नहीं दिया गया. दरअसल, उनका टिकट आखिरी समय काटा गया. इस पर वह निर्दलीय ही चुनाव लड़े थे और कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर रहे भी. हालांकि, अबकी बार भाजपा ने उनको पार्टी से टिकट थमाया है. चेतन बरागटा को राजनीति विरासत में मिली है. दरअसल जुब्बल कोटखाई में कमल खिलाने वाले पहले नेता उनके पिता स्व. नरेंद्र बरागटा ही थे.
जुब्बल-कोटखाई वो विधानसभा क्षेत्र है, जहां कमल खिलाना भाजपा के लिए कभी आसान नहीं रहा. साल 2003 में नरेंद्र बरागटा ने इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा, मगर वे जीत नहीं पाए. इसके बाद वह 2007 के चुनाव में जीते और पहली बार यहां कमल खिला. 2017 में भी इस विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र बरागटा ही जीते. इस बीच उनका आक्सिक निधन हो गया. अब भाजपा ने उनके बेटे चेतन को यहां से उतारा है.
अबकी बार चुनाव में सेब रहा मुख्य मुद्दा: जुब्बल-कोटखाई सेब बहुल इलाका है, जहां हर परिवार सेब की बागवानी से जुड़ा है. इस बार यहां पर सेब ही प्रमुख मुद्दा रहा है. सेब के दाम अबकी बार जिस तरह से गिरे हैं और कार्टन पर जीएसटी बढ़ाया गया है, उसको विपक्ष ने चुनावी मुद्दा बनाया. हालांकि, यह मुद्दा कितना प्रभावी होती है यह तो मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा.
जेपी नड्डा, सचिन पायलट ने की चुनावी जनसभाएं: अबकी बार भाजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यहां खुद चुनावी सभा के लिए पहुंचे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इस इलाके में गए और भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगे. कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट ने यहां पर जनसभा की. इसके अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अल्का लांबा ने भी कोटखाई में चुनावी जनसभा की.
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