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हिमाचल में दांव पर जेपी नड्डा और सुखविंदर सुक्खू की साख, नड्डा चौका मारने को बेताब तो बाजी पलटना चाहेंगे सुक्खू - himachal pradesh politics

जैसे- जैसे देश 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहा है, वैसे ही हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य दोनों पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रहा है. आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों दिग्गज जेपी नड्डा और सुखविंदर सुक्खू की साख दांव पर है. 2022 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के बावजूद, कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में सभी चार संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर..

Lok Sabha Election Battle for JP Nadda and Sukhu
हिमाचल में दांव पर जेपी नड्डा और सुक्खू की साख
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 18, 2023, 9:36 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में 2024 की लड़ाई के प्रमुख चेहरे जेपी नड्डा और सुखविंदर सिंह सुक्खू होंगे. हालांकि हिमाचल चार लोकसभा सीटों वाला छोटा राज्य है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक पावरफुल केंद्रीय मंत्री का राज्य होने के कारण यहां के परिणाम पर सभी की नजरें रहती हैं. फिर पीएम नरेंद्र मोदी भी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं. नरेंद्र मोदी नब्बे के दशक में हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं और उनका यहां से लगाव है. खैर, हिमाचल में चार लोकसभा सीटों की जंग के लिए तैयारी का बिगुल बज चुका है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने अपने गृह राज्य की चारों लोकसभा सीटों को जीतने की चुनौती है. वहीं, एक साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देकर सत्ता का ताज पहनने वाली सुखविंदर सरकार के समक्ष भी साख और नाक का सवाल है. इस तरह हिमाचल की लड़ाई जेपी नड्डा बनाम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कही जा सकती है. हालांकि इस रण के अन्य प्रमुख योद्धाओं में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह आदि भी हैं. कांग्रेस के पास राज्य की सत्ता का आत्मबल है तो भाजपा के पास संगठन की मजबूती का गुमान है. भाजपा के अन्य की-फैक्टर्स में पीएम नरेंद्र मोदी का नाम, केंद्र की योजनाएं, कांग्रेस की अधूरी गारंटियों के खिलाफ पैदा हो रहा जन आक्रोश है.

मिशन-2024 के लिए चुनाव का शोर शुरू हो गया है. इसके साथ ही ये चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि मैदान में कौन-कौन उतरेंगे. भाजपा के लिहाज से देखें तो हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर का चुनाव मैदान में उतरना तय है. शिमला से सुरेश कश्यप के नाम पर फिर मुहर लग सकती है. हालांकि यहां से पूर्व में चुनाव लड़ चुके एचएन कश्यप की भी टिकट को लेकर दबी इच्छा है. इस कड़ी में विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉ. राजेश कश्यप का नाम भी लिया जा सकता है. शिमला सीट से कश्यप परिवार के प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप दो बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में सिरमौर के सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा गया था. वे तब पच्छाद से विधायक थे. उनकी जगह रीना कश्यप भाजपा टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंची थी.

हिमाचल भाजपा के लिहाज से सबसे रोचक समीकरण मंडी सीट को लेकर है. यहां से जयराम ठाकुर को चुनावी जंग में उतारने की चर्चाएं खूब हैं. जयराम ठाकुर ईटीवी से बातचीत में कह चुके हैं कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाया जाएगा, लेकिन मन ही मन वे लोकसभा नहीं जाना चाहते. टीम जयराम का पूरा प्रयास है कि कंगना रणौत को यहां से टिकट मिल जाए. कंगना की सियासी बयानबाजी और गतिविधियां भी इशारा करती हैं कि वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगी. पिछली बार चुनाव लड़े ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और महेश्वर सिंह का नाम भी प्रत्याशी चयन में आ सकता है. फिर बची, कांगड़ा सीट. कांगड़ा में किशन कपूर पिछली बार जीते थे. वे धर्मशाला से विधायक थे और जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री भी, लेकिन उन्हें 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आदेश दिया गया. किशन कपूर स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी जूझ रहे हैं. ऐसे में उनके 2024 में मैदान में आने की संभावनाएं कम हैं. यहां भाजपा अगर गद्दी कम्युनिटी को ही कंसीडर करना चाहेगी तो त्रिलोक कपूर बेहतर चेहरा होंगे. वे जेपी नड्डा के भी करीबी हैं. इसके अलावा विपिन परमार के रूप में छात्र राजनीति से उपजा नाम भी चॉइस हो सकता है. चौंकाने वाले फैसले के रूप में भाजपा अगर युवा चेहरे को आगे करना चाहे तो पूर्व विधायक विशाल नेहरिया भी एक कैंडिडेट हैं, लेकिन सियासी परिस्थितियां उनके पक्ष में अधिक प्रभावी नहीं हैं.

अब बात कांग्रेस की करें तो कांगड़ा में वो ओबीसी चेहरे के रूप में अनुभवी चंद्र कुमार को चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंप सकती है. चंद्र कुमार इस सीट से शांता कुमार को पराजित कर चुके हैं. सुधीर शर्मा को पहले यहां से 2019 में चुनाव लड़ने का आग्रह किया था, लेकिन वे मैदान में नहीं उतरे. इसका खामियाजा उन्हें ये भुगतना पड़ा कि सुखविंदर सरकार में वे कैबिनेट में स्थान नहीं बना सके. कद्दावर नेता जीएस बाली के विधायक बेटे रघुवीर बाली का नाम भी कांगड़ा सीट से टिकट के लिए सुझाया जा रहा है. खैर, कांग्रेस में सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के लिए भी हमीरपुर सीट सबसे बड़ी परीक्षा होगी. कारण ये कि दोनों ही पावरफुल नेता इस संसदीय सीट से आते हैं. यहां सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा की भूमिका भी देखने लायक होगी. यहां कांग्रेस का प्रत्याशी चयन बड़ा सस्पेंस रहेगा. शिमला सीट से विनोद सुल्तानपुरी एक पसंद हो सकती है. शिमला में अन्य कोई नाम ऐसा नहीं दिख रहा, जिसकी चर्चा की जा सके. फिर बात आती है मंडी सीट की. यहां से प्रतिभा सिंह लड़ेंगी या फिर दूसरा गुट विक्रमादित्य सिंह को लड़ाना चाहेगा, ये देखना दिलचस्प होगा. कौल सिंह ठाकुर भी एक विकल्प होंगे. कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन आसान नहीं होगा.

इस समय मंडी सीट के अलावा सभी सीटें भाजपा के पास हैं. मंडी सीट पर रामस्वरूप शर्मा के असमय देहांत के बाद प्रतिभा सिंह उपचुनाव में जीती थीं. 2019 में हिमाचल में भाजपा ने चारों सीटें रिकार्ड मतों से जीती थीं. ऐसा माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर जनता वोट डालती है. इस बार भी जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को जीत का चौका मारने का टास्क दिया है. नड्डा यहां से हर हाल में चारों सीटें जीतना चाहते हैं, ताकि विधानसभा चुनाव में मिला हार का जख्म और उसकी पीड़ा कम हो सके. वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का मानना है कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में वोटर का मूड अलग अलग रहता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीएम मोदी का नाम एक अहम फैक्टर है. वोटर्स उनके नाम पर वोट डालते हैं, ऐसा 2014 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुभव में आया है. प्रत्याशी चयन दोनों ही दलों के लिए चुनौती रहेगा.

ये भी सही है कि 2024 का चुनाव सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए परीक्षा की घड़ी है. उनका सरकार को एक साल पूरा हुआ है. रोजगार और अन्य गारंटियों को लेकर जनता में अब नाराजगी के स्वर सुने जा रहे हैं. ओपीएस के सहारे लोकसभा चुनाव की नैया पार होगी या नहीं, इसमें संशय है. वहीं, भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इस बार भी जीत का चौका लगेगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि जब चुनाव आएंगे तो रणनीति तय की जाएगी. प्रतिभा सिंह का कहना है कि संगठन को सक्रिय किया गया है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जी-जान लगाएगी और बेहतर परिणाम हासिल करेगी. इन दावों-प्रति दावों के बीच 2024 का परिणाम तो जनता के ही हाथ में है.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला में आयोजित होने वाले शीतकालीन सत्र में भाग लेने दिल्ली से धर्मशाला पहुंचे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

शिमला: हिमाचल प्रदेश में 2024 की लड़ाई के प्रमुख चेहरे जेपी नड्डा और सुखविंदर सिंह सुक्खू होंगे. हालांकि हिमाचल चार लोकसभा सीटों वाला छोटा राज्य है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक पावरफुल केंद्रीय मंत्री का राज्य होने के कारण यहां के परिणाम पर सभी की नजरें रहती हैं. फिर पीएम नरेंद्र मोदी भी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं. नरेंद्र मोदी नब्बे के दशक में हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं और उनका यहां से लगाव है. खैर, हिमाचल में चार लोकसभा सीटों की जंग के लिए तैयारी का बिगुल बज चुका है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने अपने गृह राज्य की चारों लोकसभा सीटों को जीतने की चुनौती है. वहीं, एक साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देकर सत्ता का ताज पहनने वाली सुखविंदर सरकार के समक्ष भी साख और नाक का सवाल है. इस तरह हिमाचल की लड़ाई जेपी नड्डा बनाम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कही जा सकती है. हालांकि इस रण के अन्य प्रमुख योद्धाओं में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह आदि भी हैं. कांग्रेस के पास राज्य की सत्ता का आत्मबल है तो भाजपा के पास संगठन की मजबूती का गुमान है. भाजपा के अन्य की-फैक्टर्स में पीएम नरेंद्र मोदी का नाम, केंद्र की योजनाएं, कांग्रेस की अधूरी गारंटियों के खिलाफ पैदा हो रहा जन आक्रोश है.

मिशन-2024 के लिए चुनाव का शोर शुरू हो गया है. इसके साथ ही ये चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि मैदान में कौन-कौन उतरेंगे. भाजपा के लिहाज से देखें तो हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर का चुनाव मैदान में उतरना तय है. शिमला से सुरेश कश्यप के नाम पर फिर मुहर लग सकती है. हालांकि यहां से पूर्व में चुनाव लड़ चुके एचएन कश्यप की भी टिकट को लेकर दबी इच्छा है. इस कड़ी में विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉ. राजेश कश्यप का नाम भी लिया जा सकता है. शिमला सीट से कश्यप परिवार के प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप दो बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में सिरमौर के सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा गया था. वे तब पच्छाद से विधायक थे. उनकी जगह रीना कश्यप भाजपा टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंची थी.

हिमाचल भाजपा के लिहाज से सबसे रोचक समीकरण मंडी सीट को लेकर है. यहां से जयराम ठाकुर को चुनावी जंग में उतारने की चर्चाएं खूब हैं. जयराम ठाकुर ईटीवी से बातचीत में कह चुके हैं कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाया जाएगा, लेकिन मन ही मन वे लोकसभा नहीं जाना चाहते. टीम जयराम का पूरा प्रयास है कि कंगना रणौत को यहां से टिकट मिल जाए. कंगना की सियासी बयानबाजी और गतिविधियां भी इशारा करती हैं कि वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगी. पिछली बार चुनाव लड़े ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और महेश्वर सिंह का नाम भी प्रत्याशी चयन में आ सकता है. फिर बची, कांगड़ा सीट. कांगड़ा में किशन कपूर पिछली बार जीते थे. वे धर्मशाला से विधायक थे और जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री भी, लेकिन उन्हें 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आदेश दिया गया. किशन कपूर स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी जूझ रहे हैं. ऐसे में उनके 2024 में मैदान में आने की संभावनाएं कम हैं. यहां भाजपा अगर गद्दी कम्युनिटी को ही कंसीडर करना चाहेगी तो त्रिलोक कपूर बेहतर चेहरा होंगे. वे जेपी नड्डा के भी करीबी हैं. इसके अलावा विपिन परमार के रूप में छात्र राजनीति से उपजा नाम भी चॉइस हो सकता है. चौंकाने वाले फैसले के रूप में भाजपा अगर युवा चेहरे को आगे करना चाहे तो पूर्व विधायक विशाल नेहरिया भी एक कैंडिडेट हैं, लेकिन सियासी परिस्थितियां उनके पक्ष में अधिक प्रभावी नहीं हैं.

अब बात कांग्रेस की करें तो कांगड़ा में वो ओबीसी चेहरे के रूप में अनुभवी चंद्र कुमार को चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंप सकती है. चंद्र कुमार इस सीट से शांता कुमार को पराजित कर चुके हैं. सुधीर शर्मा को पहले यहां से 2019 में चुनाव लड़ने का आग्रह किया था, लेकिन वे मैदान में नहीं उतरे. इसका खामियाजा उन्हें ये भुगतना पड़ा कि सुखविंदर सरकार में वे कैबिनेट में स्थान नहीं बना सके. कद्दावर नेता जीएस बाली के विधायक बेटे रघुवीर बाली का नाम भी कांगड़ा सीट से टिकट के लिए सुझाया जा रहा है. खैर, कांग्रेस में सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के लिए भी हमीरपुर सीट सबसे बड़ी परीक्षा होगी. कारण ये कि दोनों ही पावरफुल नेता इस संसदीय सीट से आते हैं. यहां सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा की भूमिका भी देखने लायक होगी. यहां कांग्रेस का प्रत्याशी चयन बड़ा सस्पेंस रहेगा. शिमला सीट से विनोद सुल्तानपुरी एक पसंद हो सकती है. शिमला में अन्य कोई नाम ऐसा नहीं दिख रहा, जिसकी चर्चा की जा सके. फिर बात आती है मंडी सीट की. यहां से प्रतिभा सिंह लड़ेंगी या फिर दूसरा गुट विक्रमादित्य सिंह को लड़ाना चाहेगा, ये देखना दिलचस्प होगा. कौल सिंह ठाकुर भी एक विकल्प होंगे. कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन आसान नहीं होगा.

इस समय मंडी सीट के अलावा सभी सीटें भाजपा के पास हैं. मंडी सीट पर रामस्वरूप शर्मा के असमय देहांत के बाद प्रतिभा सिंह उपचुनाव में जीती थीं. 2019 में हिमाचल में भाजपा ने चारों सीटें रिकार्ड मतों से जीती थीं. ऐसा माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर जनता वोट डालती है. इस बार भी जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को जीत का चौका मारने का टास्क दिया है. नड्डा यहां से हर हाल में चारों सीटें जीतना चाहते हैं, ताकि विधानसभा चुनाव में मिला हार का जख्म और उसकी पीड़ा कम हो सके. वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का मानना है कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव में वोटर का मूड अलग अलग रहता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीएम मोदी का नाम एक अहम फैक्टर है. वोटर्स उनके नाम पर वोट डालते हैं, ऐसा 2014 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुभव में आया है. प्रत्याशी चयन दोनों ही दलों के लिए चुनौती रहेगा.

ये भी सही है कि 2024 का चुनाव सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए परीक्षा की घड़ी है. उनका सरकार को एक साल पूरा हुआ है. रोजगार और अन्य गारंटियों को लेकर जनता में अब नाराजगी के स्वर सुने जा रहे हैं. ओपीएस के सहारे लोकसभा चुनाव की नैया पार होगी या नहीं, इसमें संशय है. वहीं, भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इस बार भी जीत का चौका लगेगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि जब चुनाव आएंगे तो रणनीति तय की जाएगी. प्रतिभा सिंह का कहना है कि संगठन को सक्रिय किया गया है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जी-जान लगाएगी और बेहतर परिणाम हासिल करेगी. इन दावों-प्रति दावों के बीच 2024 का परिणाम तो जनता के ही हाथ में है.

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