शिमला: हिमाचल मानसून सत्र के दौरान सत्ता पक्ष द्वारा सदन में पिछले पांच सालों की वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र पेश किया गया. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में श्वेत पत्र पेश कर फाइनेंशियल कंडीशन के बारे में विधानसभा को जानकारी दी. सुखविंदर सरकार ने पूर्व जयराम सरकार पर आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश की कमजोर आर्थिक और खराब वित्तीय स्थिति की जिम्मेदार भाजपा की पूर्व सरकार है.
श्वेत पत्र पर जयराम का पलटवार: जिस पर अब नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने पलटवार किया है. जयराम ठाकुर ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर पेश किए गए सरकार के श्वेत पत्र को "झूठ का पुलिंदा" बताया है. जयराम ने कहा कि सत्ता पक्ष द्वारा सदन में लाया गया श्वेत पत्र बिल्कुल गलत और मनगढ़ंत है. उन्होंने कहा कि राज्य का वित्तीय कुप्रबंधन 1993-1998 में कांग्रेस सरकार से ही शुरू हुआ है. जब कांग्रेस सरकार ने बाजार से उच्च ब्याज दर पर 1000 करोड़ रुपये का ऋण उठाया था.
ऋण मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरा: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2012-2017 के दौरान भी 20 हजार करोड़ रुपये का ऋण उठाया था. उन्होंने कहा कि ये श्वेत पत्र कूड़ेदान में फेंकने लायक है. जयराम ठाकुर ने कहा कि 2017 में जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई थी, तब महंगाई भत्ते की तीन किश्तों की देनदारी थीं. उस समय भाजपा सरकार ने 18 18 प्रतिशत डीए का भुगतान करने के अलावा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को अतिरिक्त 3 प्रतिशत अंतरिम राहत भी दी थी.
सुखविंदर सरकार पर गुमराह करने के आरोप: जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जीएसटी मुआवजा सिर्फ 5 साल के लिए वैध है और सुखविंदर सरकार अपने श्वेत पत्र के साथ इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. सुखविंदर सरकार ने पहले दावा किया था कि केंद्र सरकार ने उसे जीएसटी मुआवजा देना बंद कर दिया है. जिससे राज्य को सालाना 2,642 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा. जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि यूपीए प्रथम और यूपीए द्वितीय के तहत हिमाचल को रेलवे के लिए केवल 108 करोड़ रुपये मिले, जिसे एनडीए शासन के दौरान बढ़ाकर 1,838 रुपये कर दिया गया.
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