शिमला: अगस्त में 250 करोड़ रूपए का कर्ज लेने के बाद जयराम सरकार अब फिर से 400 करोड़ रूपए का कर्ज लेने जा रही है. यह कर्ज दो अलग-अलग मदों में लेने की योजना है. पहली मद में 3 साल के लिए 200 करोड़ और दूसरी मद में 200 करोड़ रुपए का कर्ज 10 साल के लिए लिया जाएगा.
राज्य सरकार पहले से लिए कर्ज को और ब्याज को भी लौटा रही है, लेकिन अगस्त से पहले जयराम सरकार ने जुलाई माह में 750 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. अभी तक की बात करें तो कुल 52,645 करोड़ रुपए का कर्ज वर्तमान सरकार ले चुकी है.
राज्य सरकार ने इस वर्ष सबसे पहले जनवरी महीने में 500 करोड़ रुपए कर्ज लिया. फरवरी माह में फिर से 800 करोड़, अप्रैल माह में 400 करोड़, मई माह में फिर से 400 करोड़, जुलाई में में 750 करोड़, अगस्त में 250 करोड़ और अक्तूबर में अभी तक 200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है. अब हिमाचल पर कर्ज 50 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा. कैग(CAG) पिछले एक दशक से हिमाचल सरकार को चेता रहा है कि राज्य कर्ज के मक्कड़जाल में फंस रहा है. सरकार आर्थिक संसाधन जुटाने में फेल रहती है तो गाड़ी पटरी से उतर जाएगी.
हिमाचल के पास आय के मुख्य संसाधन पावर प्रोजेक्ट्स, शराब की बिक्री से मिलने वाला राजस्व, पर्यटन और बागवानी ही हैं. पहाड़ी राज्य होने और कठिन भौगोलिक परिस्थितियां होने के कारण हिमाचल पूरी तरह से केंद्र की मदद पर निर्भर है. डबल इंजन की सरकार का हिमाचल को कुछ फायदा जरूर हुआ है, प्रदेश सरकार आईपीएच, बागवानी सहित कई अन्य योजनाओं के लिए केंद्र से मदद ले चुकी है.
सरकार का अधिकांश बजट सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है. चिंता की बात ये भी है कि अगले वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर स्थिति और भी विकट हो जाएगी.