शिमला: कर्ज के मर्ज से लगातार जूझ रही हिमाचल सरकार (Government of Himachal) एक बार फिर एक हजार करोड़ रुपए का लोन (Loan) लेने जा रही है. इस बारे में औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. दिसंबर महीने में भी सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए का लोन लिया था. इस तरह ये लगातार दूसरा महीना है, जब सरकार अपने खर्च चलाने के लिए एक हजार करोड़ रुपए का लोन (Loan) ले रही है.
आंकड़ों पर गौर करें तो इस वित्तीय वर्ष में सरकार पांच हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. तय नियमों के अनुसार हिमाचल सरकार की कर्ज लेने की लिमिट इस वित्तीय वर्ष के लिए 6500 करोड़ रुपए है. इस वित्तीय वर्ष की ये अंतिम तिमाही है. जिस तरह से प्रदेश की वित्तीय स्थिति है, उससे ये साफ है कि अंतिम तिमाही में सरकार बाकी बचे 1500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने पर मजबूर होगी.
करीब 58 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है
राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये का लोन (Loan) लेने के लिए प्रक्रिया पूरी कर ली है. हिमाचल पर अब करीब 58 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है. चिंता की बात है कि हिमाचल प्रदेश में खजाने का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मियों की तनख्वाह और सेवानिवृत कर्मियों के पेंशन पर खर्च हो जाता है. हालांकि केंद्र से भी मदद मिलती है, लेकिन खुद के आर्थिक संसाधन कम होने के कारण हिमाचल के लिए कर्ज लेना मजबूरी है.
फिर शुरू होगा जनमंच, 30 जनवरी को आयोजन
हिमाचल सरकार का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम जनमंच फिर से शुरू हो रहा है. कोविड संकट के कारण ये आयोजन नहीं हो पा रहे थे. राज्य सरकार ने जनमंच के लिए 30 जनवरी का समय तय किया है. चूंकि 30 जनवरी के जनमंच में सरकार के दो कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर और बिक्रम सिंह ठाकुर अपने पूर्व कार्यक्रमों के कारण शामिल नहीं हो पाएंगे, लिहाजा कांगड़ा व मंडी में बाद में जनमंच का आयोजन किया जाएगा.
ये भी पढ़ें- पंचायत चुनाव: अंतिम चरण में 81 फीसदी मतदान, महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से अधिक