शिमला: हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस समय दिल्ली में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जयराम ठाकुर मुलाकात कर चुके हैं. इस मुलाकात में गर्मजोशी है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चेहरे पर आत्मविश्वास भी है. मीटिंग का जो आउटकम आया है, वो भी सीएम जयराम ठाकुर के लिए उत्साह बढ़ाने वाला है.
जैसे, सीएम जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 111 मेगावाट क्षमता की सावड़ा-कुड्डू जलविद्युत परियोजना (Sawra-Kuddu Hydroelectric Project) का उद्घाटन करने के अलावा सतलुज जल विद्युत निगम (Satluj Jal Vidyut Nigam) के 210 मैगावाट लुहरी स्टेज-1 और 66 मैगावाट की धौलासिद्ध परियोजनाओं के शिलान्यास का आग्रह किया है. इससे पता चलता है कि हिमाचल में आने वाले समय में भाजपा की धुरी जयराम ठाकुर के इर्द-गिर्द ही घूमेगी, लेकिन उनके कैबिनेट का हुलिया या रंग-रूप या यूं कहें कि चेहरा बदल सकता है.
कहने का तात्पर्य ये है कि दिल्ली में इस बात पर मंथन होगा कि क्या नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों (Non performing ministers) के विभागों में फेरबदल किया जाए? इसके पीछे कुछ कारण हैं और यहां उन्हीं कारणों का विश्लेषण करते हैं. हिमाचल प्रदेश में कुछ समय से संगठन और सरकार की कई गतिविधियां हुईं. शिमला के पीटरहॉफ में चिंतन शिविर हुआ. इसमें पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह शामिल हुए. फिर बाद में धर्मशाला में संगठन और सरकार में चर्चा हुई. इसमें बीएल संतोष भी शामिल हुए. प्रेम कुमार धूमल के अलावा शांता कुमार भी थे और संगठन के पदाधिकारी भी.
इसी मीटिंग में मंत्रियों और विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर चर्चा हुई. कुछ मंत्रियों की परफार्मेंस अप टू दि मार्क (performance up to the mark) नहीं पाई गई है. विधायकों को भी अपने तीन साल के कामकाज की रिपोर्ट देनी है. मंत्रियों को फील्ड में जाने के निर्देश हुए हैं. धर्मशाला की मीटिंग के बाद जयराम सरकार के मंत्रियों ने दौरे भी शुरू कर दिए. चर्चा ये है कि कुछ मंत्रियों की परफार्मेंस उन पर भारी पड़ सकती है.
हाईकमान ये विचार कर रहा है कि ये बदलाव कब किया जाए. क्योंकि चुनावी साल में सरकार के पास काम करने का समय भी होना चाहिए और ये समय अभी है. चुनावी साल में 2022 में तो बदलाव के बाद काम करने का समय भी चाहिए. इस समय राजीव बिंदल के अनुभव का पार्टी लाभ उठा सकती है. इसी तरह कोई नया चेहरा जो युवा हो और सक्रियता के साथ काम कर सके, इस पर भी विचार किया जा रहा है. पार्टी राजीव बिंदल के अनुभव का लाभ उठाना चाहती है. जहां तक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की बात है तो हाईकमान उनके काम से संतुष्ट है. कारण ये है कि कोरोना संकट के इस दौर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष विकट परिस्थितियां थीं.
आर्थिक मोर्चे पर और कोरोना पर नियंत्रण के लिहाज से औसत से जयराम सरकार ने अच्छा काम किया, ऐसा हाईकमान का मानना है. स्वास्थ्य महकमे पर अधिक जिम्मेदारी थी. इस विभाग के मुखिया से हाईकमान और अधिक सक्रियता की उम्मीद कर रहा था. इसी तरह से दो और मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा के दौरान उसे अधिक उत्साहजनक नहीं पाया गया. विधायकों को तो कह ही दिया गया है कि आगामी चुनाव में टिकट परफॉर्मेंस के आधार पर ही मिलेगा. देखा जाए तो इससे पहले कैबिनेट में जब फेरबदल हुआ था तो कुछ मंत्रियों को प्रमोट किया गया था. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी के दौर में पार्टी हाईकमान परफॉर्मेंस को ही अहमियत दे रहा है. केंद्रीय मंत्रिमंडल (central cabinet) में फेरबदल से ये साफ होता है.
फिलहाल, मुख्यमंत्री के दिल्ली से वापस लौटने पर ही सारी स्थितियां स्पष्ट होंगी. आने वाले समय में पार्टी को चार उपचुनाव लड़ने हैं. एक लोकसभा और तीन विधानसभा चुनाव सामने हैं. ये चुनाव जयराम ठाकुर सरकार का भाग्य तय करेंगे. मिशन 2022 को पूरा करने के लिए हाईकमान को अगर कैबिनेट में फेरबदल करना पड़ा तो इसके लिए जरा सा भी नहीं हिचकेगा. मंत्रियों को न केवल अपना विभाग चलाना है, बल्कि पूरे प्रदेश को एकसमान विकास के नजरिए से देखना है. उन्हें केवल अपने ही निर्वाचन क्षेत्र (constituency) को ही प्राथमिकता नहीं देनी है. साथ ही, विकास के लक्ष्य तय समय पर पूरे करने हैं. जुलाई माह में ही जयराम ठाकुर कैबिनेट (jairam cabinet reshuffle) का नया रूप देखने को मिल सकता है.
ये भी पढ़ें- CM जयराम ठाकुर ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मुलाकात, प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा