शिमला: शिमला के दिगंबर जैन मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहनकर आने वाले लोगों की एंट्री पर पाबंदी लगाई गई है. मंदिर प्रशासन ने बाकायदा एक नोटिस बोर्ड मंदिर के बाहर लगाया हुआ है, जिसमें आधे-अधूरे और कटी-फटी जीन्स आदि में मंदिर में प्रवेश करने पर मनाही है. मंदिर प्रबंधन का तर्क है कि शिमला में बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं, जिनमें से कई अमर्यादित कपड़ों में आ रहे हैं, इसको देखकर ही यह व्यवस्था की गई है. जैन समुदाय मंदिरों के लिए की गई इस नई व्यवस्था को सही मान रहा है.
मंदिर के बाहर लगाया नोटिस बोर्ड: शिमला के मिडल बाजार में दिगंबर जैन मंदिर है. यहां अब मंदिर में आने वालों के लिए एक तरह का ड्रेस कोड लागू किया गया है. मतलब यहां पर आधे-अधूरे और कटे-फटे जीन्स आदि में नहीं आ सकते हैं. हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, कटी-फटी जींस, नाइट सूट और फ्रॉक इत्यादि पहनने वालों से मंदिर में न आने की अपील की गई है. इसके लिए बकाया मंदिर प्रशासन ने नोटिस बोर्ड भी लगाया है. इस फैसले के बाद अब इस तरह के कपड़े पहनकर आने वाले लोग भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे. मंदिर प्रशासन की तरफ से एंट्री गेट पर जो नोटिस बोर्ड लगाया है, उसमें साफ कहा गया है कि मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहन कर आने पर भीतर एंट्री नहीं मिलेगी.
'कई टूरिस्ट ऐसे कपड़ों में आने लगे थे': जैन मंदिर के पंडित संजय कुमार जैन ने कहा कि कुछ लोग मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहनकर आ रहे हैं. हालांकि पहले इस तरह के लोग नहीं आते थे, लेकिन बाहर से कई टूरिस्ट इस तरह के अमर्यादित कपड़ों में ही मंदिर पहुंच जाते हैं, जिसको देखते हुए जैन सभा ने यह निर्णय लिया है. उनका कहना है कि बाहर से जो लोग आते हैं, वे मंदिर की मर्यादा का ख्याल नहीं रख रहे हैं, ये लोग आधे-अधूरे कपड़ों में ही मंदिर आते हैं. उनका कहना है कि पहले बाहर से बहुत कम लोग आते थे, लेकिन अब जैन मंदिर में बाहर से काफी संख्या में लोग आते हैं. यही वजह है कि जैन सभा ने यह फैसला लिया है. उनका कहना है कि सनातन धर्म में यह व्यवस्था है. ऐसे में सभी को मंदिर या तीर्थ स्थान में जाते समय अपने वस्त्रों का ख्याल रखना चाहिए.
जैन सभा के समर्थन में आए लोग: मंदिर आने वाले लोग जैन सभा के इस फैसले को सही मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि मंदिर की पवित्रता को देखते हुए यह फैसला लिया है, ऐसे में सभी को इसका पालन करना चाहिए. भगवान के दर्शन के लिए मंदिर पहुंची पायल कहती हैं कि जैन सभा का यह फैसला सही है. उनका कहना है कि सभी धार्मिक संस्थानों का अपना ड्रेस कोड रहता है. सैलानियों को भी चाहिए कि छोटा कपड़ा न पहनकर मंदिर न आएं. उनका कहना है कि वे भी स्कर्ट आदि पहनकर बाहर जाती हैं, लेकिन जब मंदिर में आते हैं तो अच्छे और पूरे वस्त्र में आते हैं. ऐसे में सभी लोग मंदिर में मर्यादित ड्रेस में आएं तो यह बेहतर है.
'सभी जगह होनी चाहिए इस तरह की व्यवस्था': दिल्ली से शिमला के जैन मंदिर पहुंचे कमल कहते हैं कि जैन सभा का यह फैसला सही है. उनका कहना है कि मर्यादित कपड़ों से हमारा ध्यान भगवान पर रहता है. इससे अन्य लोगों का भी ध्यान भटकता नहीं है. ऐसे में सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए. उनका कहना है कि दिल्ली के जैन मंदिर में इस तरह की व्यवस्था नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि वहां भी इस तरह को व्यवस्था हो तो अच्छा रहेगा. वहीं युवा हर्ष, मंदिर के इस फैसले को बेहतरीन मान रहे हैं. उनका कहना है कि यह समय की मांग भी है. हर जगह की अपनी मर्यादा और शिष्टाचार है. उनका कहना है कि जगह के हिसाब से वहां मर्यादित वस्त्रों में जाने से हमारा लक्ष्य भी पूरा हो जाता है.
'पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में है लोग': मध्य प्रदेश से शिमला आए राजेश जैन कहते हैं कि जैन सभा का यह फैसला सही है. उनका कहना है कि पहले सब लोग मंदिर की पवित्रता का ध्यान रखते थे और मर्यादित वस्त्रों में आते थे, लेकिन अब पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के कारण लोग मंदिर की पवित्रता का ध्यान नहीं रख रहे हैं. उनका कहना है कि मंदिर एक पवित्र स्थान है और आस्था के केंद्र हैं. अगर अच्छे और शुद्ध वस्त्र पहनकर आएंगे तो मन अच्छे से लगेगा और दूसरों को भी कोई बाधा नहीं होगी. दूसरे धार्मिक संस्थानों में ड्रेस कोड है. कई जगह सिर ढककर जाने की व्यवस्था है, इसलिए जैन मंदिर में भी आने वाले लोग ऐसे वस्त्र पहने जिससे उनको भी अच्छा लगे और अन्य को भी अच्छा फील होना चाहिए. उनका कहना है कि मध्य प्रदेश में भी इस तरह की व्यवस्था है. मंदिरों में पुरुषों के लिए टोपी है और महिलाओं के लिए दुप्पटे की व्यवस्था कर रहती है, ताकि भगवान के दर्शन करने से पहले वे इनको पहने.
रोजाना औसतन 50 श्रद्धालु पहुंचते हैं मंदिर: शिमला के मिडल बाजार स्थित जैन मंदिर में रोजाना करीब 50 लोग पूजा के लिए आते हैं. हालांकि शुक्रवार, शनिवार और रविवार वाले दिन पर्यटकों के भारी संख्या में शिमला आने पर मंदिर में भी इन दिनों करीब 100 लोग रोजाना पहुंचते हैं. जाहिर है कि इनमें अधिकांश पर्यटक ही होते हैं. दिगंबर मंदिर में भी काफी पर्यटक आकर शीश नवाते हैं. यही वजह है कि मंदिर प्रशासन ने अब कटी-फटी पेंट, मिनी स्कर्ट और अमर्यादित कपड़ पहनकर मंदिर में न आने की अपील लोगों से की है.
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