शिमला: प्रदेश में 1 जून से एचआरटीसी की बसें करीब अढ़ाई महीने के बाद फिर से सड़कों पर दौड़ेंगी, ऐसे में इन दिनों सभी बसों की मरम्मत की जा रही है. 1 जून से पूरे प्रदेश में 2800 बस चलेगी. अकेले शिमला में ही 80 बसें चलेगी.
वहीं, शिमला प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने भी शहर में बसों को चलाने से मना कर दिया है. निजी बस मालिक 60 फीसदी सवारियों के साथ शहर में बसें चलाने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि एचआरटीसी प्रबंधन ने साफ कह दिया है कि वह हर हाल में एक जून से लगभग 100 बसें शहर में चलाएंगे, ताकि लोगों को प्राइवेट बसों की जरूरत महसूस न हो.
वहीं, दूसरी तरफ प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने 60 प्रतिशत सवारियों को बिठाने की शर्त पर सरकार से किराए में बढ़ोतरी करने की मांग की है, लेकिन सरकार ने पहले ही किराए में बढ़ोतरी करने से इनकार कर दिया है, ऐसे में अब लोगों को सिर्फ एचआरटीसी बसों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.
प्राइवेट बसें न चलने का सबसे बड़ा नुकसान ग्रामीण और उपनगरों में रहने वाले लोगों को होगा, क्योंकि यहां के लिए एचआरटीसी की बसें अपने टाइम टेबल के अनुसार चलती हैं, जबकि प्राइवेट बसें हर 10 मिनट के बाद चलती हैं. शहर में करीब 110 प्राइवेट बसें हैं, जबकि 100 के करीब सरकारी बसें हैं, इनमें 50 इलेक्ट्रिक बसें भी हैं.
100 में से करीब 80 बसें ही रोड पर चलती हैं, जबकि 20 बसें खराब पड़ी हुई हैं. मुद्रिका के तौर पर सिर्फ प्राइवेट बसें ही चलती हैं, जबकि सरकारी बसों के रूट टाइम टेबल के अनुसार तय हैं. हालांकि, शहर के बीचों बीच लोगों को सरकारी बसें हर 10 मिनट बाद मिलती हैं, लेकिन उपनगरों के लिए टाइमिंग के अनुसार ही चलती हैं.
प्राइवेट बसें न चलने का सबसे बड़ा नुकसान उपनगरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उठाना पड़ेगा. इस सम्बन्ध में आरएम एचआरटीसी शिमला देवासेन नेगी ने बताया की प्राइवेट बसें अगर नहीं चलती हैं तो एचआरटीसी की बसों की पर्याप्त संख्या रूटों पर भेजेंगे.