शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हुए खूनी संघर्ष मामले में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है. विश्वविद्यालय से 12 छात्रों को निष्कासित किए जाने को लेकर एसएफआई ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. साथ ही एसएफआई ने एचपीयू में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं.
विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई के उपाध्यक्ष हैप्पी ने कहा हम विवि परिसर में काफी लंबे समय से विश्वविद्यालय प्रशासन और पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आंदोलनरत रहे हैं. इसके लिए एसएफआई एचपीयू इकाई प्रदेश सरकार पर लगातार दबाव बनाने का काम कर रही है. क्योंकि प्रदेश सरकार ने सत्ता में आने से पहले विश्वविद्यालय में हो रहे इस पूरे भ्रष्टाचार को खत्म करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब कांग्रेस सरकार इसी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है, जिसके परिणाम स्वरूप एक साल से ज्यादा समय हो जाने के बावजूद भी अभी तक विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई है.
एफएफआई ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन केवल एक विशेष छात्र संगठन के नेताओं को परेशान करने की कोशिश कर रहा है. एसएफआई नियमित रूप से विश्वविद्यालय में फर्जी शिक्षक भर्ती, पीएचडी में भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रही है. प्रवेश, निर्माण गतिविधियों में भ्रष्टाचार और ईआरपी में भ्रष्टाचार जिसके कारण पीड़ित राज्य की निर्दोष आबादी और उनकी युवा पीढ़ी है.
SFI जब लगातार इस भ्रष्टाचार व धांधलियों के खिलाफ लड़ रही थी तो, प्रशासन ने एफएफआई के 12 छात्रों को बिना सूचित किए बिना कारण बताओ नोटिस दिए निष्कासित कर दिया.
हैप्पी ने कहा वर्तमान सरकार से अपेक्षा की गई थी कि वह इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगी, लेकिन दुर्भाग्य से विश्वविद्यालय प्रशासन में वर्तमान लोग अपने भ्रष्ट पूर्ववर्तियों की नीतियों का पालन करते नजर आ रहे हैं. परिसर के शैक्षणिक माहौल को खराब करने और विश्वविद्यालय परिसर के भ्रष्टाचार को दूर करने की एसएफआई की मांगों को भटकाने के लिए बाहर से अपने गुंडों को हथियारों और लाठियों के साथ आमंत्रित करके हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि एसएफआई प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि विश्वविद्यालय में की गई सभी धांधलियों के खिलाफ यदि कोई कार्रवाई नहीं होती है व जल्द स्थाई कुलपति को नियुक्त नहीं किया जाता है तो, एसएफआई प्रदेश और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक उग्र आंदोलन को अंजाम देगी. जिसकी पूरी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी.
ये भी पढ़ें: 'हिमाचल में काम कर रही नालायक सरकार, गारंटियों के नाम पर जनता से ठगी'