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HPU में अब ऑनलाइन होगी सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन, डिजिटल लॉकर में रखे जाएंगे दस्तावेज

एचपीयू अब नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का हिस्सा बनने जा रहा है. एचपीयू जीसी के नैड में डिग्रियों रखेगा, जिससे छात्रों को उनके दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध हो सकेंगे.

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Published : Jul 8, 2019, 9:54 PM IST

एचपीयू

शिमला: छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एचपीयू अब नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का हिस्सा बनने जा रहा है. एचीपीयू लंबे समय से इस प्रक्रिया को पूरा करने की कोशिश कर रहा था. एचपीयू जीसी के नैड में डिग्रियों रखेगा, जिससे छात्रों को उनके दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध हो सकेंगे.

बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से छात्रों के दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का सहारा लिया जा रहा है. इसके तहत एचपीयू सभी छात्रों की डिग्रियां, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा समेत अन्य दस्तावेजों को डिजिटल लॉकर में रखा जाएगा. वहीं, जो छात्र विश्वविद्यालय से पास होकर निकल रहे हैं, उनकी डिग्रियां भी लॉकर में ही जमा होंगी.

इस डिजिटल लॉकर में छात्रों की डिग्री जमा होने के बाद छात्रों को एक यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा. इसी तरह एक पासवर्ड विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को भी प्राप्त होगा. इस पासवर्ड और यूनिक आईडी की मदद से छात्र अपने दस्तावेज डिजिटल लॉकर में देख सकेंगे. इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि जब भी छात्र को किसी भी तरह की नौकरी के लिए अपने दस्तावेज चाहिए होंगे तो उसकी संबंधित संस्थान ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर सकेंगे. छात्र को अपने दस्तावेज साथ में ले जाकर उन्हें दिखाने की आवश्यकता नहीं रहेगी. छात्र अपने यूनिक आईडी और पासवर्ड से ऑनलाइन ही अपने दस्तावेजों की वेरिफिकेशन करवा सकेगा.

वीडियो

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सबसे बड़ी बात यह है कि इस डिजिटल लॉकर में अपने सर्टिफिकेट रखने के लिए और उनकी वेरिफिकेशन के लिए छात्र को किसी तरह की फीस नहीं चुकानी होगी. ये सुविधा मुफ्त में छात्रों को मुहैया करवाई जा रही है. इस सुविधा से जुड़ने के लिए छात्र को www.nad.gov.in पर पंजीकरण करना होगा. साथ ही विश्वविद्यालय को छात्र से संबंधित डाटा इस पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूजीसी की ओर से सितंबर 2019 तक का समय दिया गया है.

गौरतलब है कि छात्रों की डिग्रियां ओर अन्य दस्तावेज डिजिटल लॉकर में रहने से एक तो फर्जी डिग्रियां नहीं बन पाएंगी. इसके अलावा छात्रों की दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की चिंता भी खत्म हो जाएगी. उल्लेखनीय है कि कई बार घर में दीमक, पानी या अन्य कारणों से छात्रों की डिग्रियां खराब हो जाती हैं. इससे राहत मिलने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी दस्तावेजों को रखने के लिए अलमारी या अन्य संसाधन नहीं रखने होंगे.

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बता दें कि सोमवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में यूजीसी की ओर से आए अधिकारियों शंभू बंधुनी और बृजेश यादव ने योजना से जुड़ी जानकारी विश्वविद्यालय समेत निजी और सरकारी संस्थानों से विश्वविद्यालय में उपस्थित 330 के करीब प्रतिनिधियों को दी. इस कार्यशाला के बाद एचपीयू छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप देकर, उन्हें डिजिटल लॉकर में सुरक्षित करेगा.

शिमला: छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एचपीयू अब नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का हिस्सा बनने जा रहा है. एचीपीयू लंबे समय से इस प्रक्रिया को पूरा करने की कोशिश कर रहा था. एचपीयू जीसी के नैड में डिग्रियों रखेगा, जिससे छात्रों को उनके दस्तावेज डिजिटल रूप से उपलब्ध हो सकेंगे.

बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से छात्रों के दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का सहारा लिया जा रहा है. इसके तहत एचपीयू सभी छात्रों की डिग्रियां, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा समेत अन्य दस्तावेजों को डिजिटल लॉकर में रखा जाएगा. वहीं, जो छात्र विश्वविद्यालय से पास होकर निकल रहे हैं, उनकी डिग्रियां भी लॉकर में ही जमा होंगी.

इस डिजिटल लॉकर में छात्रों की डिग्री जमा होने के बाद छात्रों को एक यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा. इसी तरह एक पासवर्ड विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को भी प्राप्त होगा. इस पासवर्ड और यूनिक आईडी की मदद से छात्र अपने दस्तावेज डिजिटल लॉकर में देख सकेंगे. इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि जब भी छात्र को किसी भी तरह की नौकरी के लिए अपने दस्तावेज चाहिए होंगे तो उसकी संबंधित संस्थान ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर सकेंगे. छात्र को अपने दस्तावेज साथ में ले जाकर उन्हें दिखाने की आवश्यकता नहीं रहेगी. छात्र अपने यूनिक आईडी और पासवर्ड से ऑनलाइन ही अपने दस्तावेजों की वेरिफिकेशन करवा सकेगा.

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सबसे बड़ी बात यह है कि इस डिजिटल लॉकर में अपने सर्टिफिकेट रखने के लिए और उनकी वेरिफिकेशन के लिए छात्र को किसी तरह की फीस नहीं चुकानी होगी. ये सुविधा मुफ्त में छात्रों को मुहैया करवाई जा रही है. इस सुविधा से जुड़ने के लिए छात्र को www.nad.gov.in पर पंजीकरण करना होगा. साथ ही विश्वविद्यालय को छात्र से संबंधित डाटा इस पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूजीसी की ओर से सितंबर 2019 तक का समय दिया गया है.

गौरतलब है कि छात्रों की डिग्रियां ओर अन्य दस्तावेज डिजिटल लॉकर में रहने से एक तो फर्जी डिग्रियां नहीं बन पाएंगी. इसके अलावा छात्रों की दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की चिंता भी खत्म हो जाएगी. उल्लेखनीय है कि कई बार घर में दीमक, पानी या अन्य कारणों से छात्रों की डिग्रियां खराब हो जाती हैं. इससे राहत मिलने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी दस्तावेजों को रखने के लिए अलमारी या अन्य संसाधन नहीं रखने होंगे.

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बता दें कि सोमवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में यूजीसी की ओर से आए अधिकारियों शंभू बंधुनी और बृजेश यादव ने योजना से जुड़ी जानकारी विश्वविद्यालय समेत निजी और सरकारी संस्थानों से विश्वविद्यालय में उपस्थित 330 के करीब प्रतिनिधियों को दी. इस कार्यशाला के बाद एचपीयू छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप देकर, उन्हें डिजिटल लॉकर में सुरक्षित करेगा.

Intro:छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय अब नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का हिस्सा बनने जा रहा है। विश्वविद्यालय लंबे समय से इस प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास कर रहा है लेकिन अब जाकर एचपीयू इस प्रक्रिया के साथ जुड़कर छात्रों के दस्तावेजों को नेशनल एकेडमिक डिपोजिटरी में सुरक्षित करने जा रहा है। एचपीयू जीसी के नैड में छात्रों की डिग्रियों को रखेगा जिससे छात्रों को अपने दस्तावेज डिजिटल रूप से ही उपलब्ध हो सकेंगे। इस प्रक्रिया को किस तरह से संस्थान पूरा करेंगे इसे लेकर एक कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में किया गया जिसमें यूजीसी की ओर से आए अधिकारियों में शंभू बंधुनी और बृजेश यादव ने योजना से जुड़ी जानकारी विश्वविद्यालय सहित निजी और सरकारी संस्थानों से विश्वविद्यालय में उपस्थित 330 के करीब प्रतिनिधियों को दी। इस कार्यशाला के बाद एचपीयू छात्रों के दस्तावेजों को डिजिटल रूप देकर उन्हें डिजिटल लॉकर में सुरक्षित करेगा।


Body:बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से छात्रों के दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी का सहारा लिया जा रहा है। इसके तहत एचपीयू सभी छात्रों की डिग्रियां, सर्टिफिकेट,डिप्लोमा सहित अन्य दस्तावेजों को डिजिटल लॉकर में रखा जाएगा। जो छात्र विश्वविद्यालय से पास होकर निकल रहे हैं उनकी डिग्रियां लॉकर में ही जमा होगी। इस डिजिटल लॉकर में छात्रों की डिग्री जमा होने के बाद छात्रों को एक यूजर आईडी और पासवर्ड दिया जाएगा इसी तरह एक पासवर्ड विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को भी प्राप्त होगा। इस पासवर्ड और यूनिक आईडी की मदद से छात्र अपने दस्तावेज डिजिटल लॉकर में देख सकेंगे। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि जब भी छात्र को किसी भी तरह की नौकरी के लिए अपने दस्तावेज चाहिए होंगे तो उसकी संबंधित संस्थान ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर सकेंगे। छात्र को अपने दस्तावेज साथ में ले जाकर उन्हें दिखाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। छात्र अपने यूनिक आईडी और पासवर्ड से ऑनलाइन ही अपने दस्तावेजों की वेरिफिकेशन करवा सकेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस डिजिटल लॉकर में अपने सर्टिफिकेट रखने के लिए और उनकी वेरिफिकेशन के लिए छात्र को किसी तरह की फीस नहीं चुकानी होगी यह सुविधा मुफ्त में छात्रों को मुहैया करवाई जा रही है। इस सुविधा से जुड़ने के लिए छात्र को www.nad.gov.in पर पंजीकरण करना होगा साथ ही विश्वविद्यालय को छात्र से संबंधित डाटा इस पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूजीसी की ओर से सितंबर 2019 तक का समय दिया गया है।


Conclusion:छात्रों की डिग्रियां ओर अन्य दस्तावेज डिजिटल लॉकर में रहने से एक तो फर्जी डिग्रियां नहीं बन पाएंगी। इसके अलावा जहां अपने दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की चिंता छात्रों को सताती है वह भी समाप्त हो जाएगी। क़ई बार घर में दीमक, पानी या अन्य कारणों से छात्रों की डिग्रियां खराब हो जाती है इससे राहत मिलने के साथ ही शिक्षण संस्थानों को भी दस्तावेजों को रखने के लिए अलमारी या अन्य संसाधन नहीं रखने होंगे।
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