शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एचपीएमसी (एचपी हार्टीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कारपोरेशन) के कर्मचारियों को जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान देने के आदेश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने एचपीएमसी की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि संस्थान की आर्थिक हालत कमजोर है. हाई कोर्ट ने एचपीएमसी को तीन माह के भीतर संशोधित वेतनमान देने के निर्देश दिए.
एचपीएमसी के कर्मचारी सालिग राम चौहान ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. प्रार्थी सालिग राम चौहान की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर किया गया और अदालत ने उपरोक्त आदेश जारी किए. हाई कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को तीन माह के भीतर तय लाभ नहीं दिए गए तो एचपीएमसी को ये देय राशि नौ फीसदी ब्याज सहित चुकानी होगी. एचपीएमसी ने अदालत में आर्थिक हालात ठीक न होने की दलील दी थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया. दलील खारिज करते हाईकोर्ट ने कहा कि जब एचपीएमसी ने अपने कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान देने का निर्णय लिया है तो वित्तीय स्थिति खराब होने के आधार पर वित्तीय लाभ नहीं रोके जा सकते. मामले के अनुसार प्रार्थी सालिग राम चौहान एचपीएमसी से बतौर असिस्टेंट मार्केटिंग ऑफिसर रिटायर हुआ था. सालिग राम को रिटायरमेंट के बाद न न तो लीव-इनकैशमेंट की राशि दी गई और न ही एक जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान का लाभ प्रदान किया गया.
वहीं, इस मामले के लंबित रहते हुए एचपीएमसी ने Leave Encashment की देय राशि तो जारी कर दी, लेकिन संशोधित वेतनमान का लाभ नहीं दिया. मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि दिसम्बर 2022 को एचपीएमसी ने अपने कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ जारी करने का फैसला ले लिया था. अदालत में एचपीएमसी की ओर से आर्थिक हालत खराब होने की दलील देते हुए कहा कि प्रार्थी सहित अपने अन्य कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ देने में वो कठिनाई महसूस कर रहा है. हाई कोर्ट ने एचपीएमसी की इस दलील को स्वीकार नहीं किया और तीन माह के भीतर कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान का लाभ जारी करने को कहा.