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CM, मिनिस्टर्स और विधायकों के आगे टच स्क्रीन, इस तरह काम करती है देश की पहली ई-विधानसभा

हिमाचल की ई-विधानसभा को लेकर नवनिर्वाचित विधायकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम अब पूरा हो चुका है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया की अगुवाई में हिमाचल विधानसभा में पहली बार चुनकर आए 23 विधायकों को प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण सत्र में विधायकों को ई-विधानसभा की प्रणाली के बारे में बताया गया. साथ ही सदन के वरिष्ठ सदस्यों ने भी विधानसभा के अपने अनुभव साझा किए.

How Himachal e vidhansabha works
How Himachal e vidhansabha works
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Published : Feb 1, 2023, 9:55 AM IST

शिमला: हिमाचल में नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया है. चौदहवीं विधानसभा का बजट सत्र नजदीक है. पहली बार निर्वाचित विधायकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण पूरा हो गया है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया की अगुवाई में हिमाचल विधानसभा में पहली बार चुनकर आए 23 विधायकों को प्रशिक्षण दिया गया. इनमें तीन विधायक वो भी शामिल थे, जो इससे पूर्व उपचुनाव में जीत कर आए थे. चूंकि इस बार वे पहली बार पांच साल के लिए निर्वाचित हुए थे, लिहाजा वे भी प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा थे.

प्रशिक्षण सत्र में विधायकों को ई-विधानसभा की प्रणाली के बारे में बताया गया. साथ ही सदन के वरिष्ठ सदस्यों तथा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर व हर्षवर्धन चौहान सहित विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने भी विधानसभा के अपने अनुभव साझा किए. ऐसे में सहज ही ये जिज्ञासा पैदा होती है कि ई-विधान प्रणाली है क्या और कैसे काम करती है तथा इसके क्या लाभ हैं. हिमाचल विधानसभा में सारी कार्यवाही पेपरलेस होती है. यहां विधानसभा अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा उपाध्यक्ष व विधायकों के सामने टच स्क्रीन लगी होती है.

इसके अलावा मीडिया कर्मियों की गैलेरी में भी टच स्क्रीम वाला सिस्टम होता है. उसमे विधानसभा के सेशन के दौरान की सारी प्रोसीडिंग होती है. प्रश्नकाल से लेकर सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेज और विधानसभा में पेश होने वाले बिल भी सिस्टम में ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं. जैसे ही सत्ता पक्ष की तरफ से बिल पेश किया जाता है, तय समय बाद वो ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है. यही नहीं, सदन की कार्यवाही के दौरान किस विधायक ने कितने समय अपनी बात रखी, वो समय भी दर्ज होता है.

इसके अलावा सदन के भीतर व परिसर में एलईडी स्क्रीम लगी हुई हैं. उनमें विधानसभा के भीतर की कार्यवाही का लाइव प्रसारण जारी रहता है. पूर्व मुख्यमंत्री व सदन में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन अपने संस्मरण साझा किए. जयराम ठाकुर ने कहा कि समय के साथ संसदीय प्रणाली में कई परिवर्तन आए हैं. हिमाचल विधानसभा ई-विधान प्रणाली वाली देश की पहली विधानसभा है. पहले के समय में और अब के समय में दिन-रात का अंतर है. अब सदन की कार्यवाही ऑनलाइन है और इसकी रिकार्डिंग होती है.

यदि कोई सदस्य सदन में झपकी ले रहा हो तो वो भी रिकार्ड हो जाती है. ऐसे में चुने हुए जन प्रतिनिधियों को सजगता रखनी चाहिए. जिस जनता ने चुनकर भेजा है, उन तक संदेश जाता है कि इन्हें इलाके की समस्याओं को उठाने के लिए निर्वाचित किया था और वे सदन में झपकी ले रहे हैं. कहने का तात्पर्य है कि ई-विधान प्रणाली अपनी विशेषताओं को लेकर अलग महत्व रखती है. पहले विधानसभा की कार्यवाही में प्रश्नकाल से लेकर सदन में पेश होने वाले बिल कागजों के पुलिंदे के रूप में होते थे.

अब सारा रिकार्ड ऑनलाइन है. विधायकों या मंत्रियों ने सदन में क्या कहा, वे बाद में उसकी वीडियो रिकार्डिंग निकाल कर अपने सोशल मीडिया पन्ने पर डाल देते हैं, ताकि जनता को बता सकें कि वे सदन में उनकी आवाज उठा रहे हैं. पहले आम जनता को सदन की कार्यवाही के बारे में अगले दिन अखबार में पढ़ने को मिलता था. बजट में मुख्यमंत्री ने सदन में क्या कहा, उसका ब्यौरा अगले दिन प्रिंट के माध्यम से मिलता था. अब बजट लाइव दिखाया जाता है. पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई की सुविधा से लैस है. मंत्रियों के विधानसभा परिसर वाले कार्यालयों में भी एलईडी स्क्रीन लगी हुई हैं और निरंतर लाइव कार्रवाई दिखाई देती है. प्रश्नकाल के दौरान सारे तारांकित व अतारांकित सवाल तथा संबंधित मंत्रियों द्वारा उनके जवाब ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं और टच स्क्रीम पर स्क्रॉल कर उन्हें देखा जा सकता है.

कैसे अस्तित्व में आई ई-विधानसभा: केंद्र में यूपीए सरकार के समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी। अगस्त 2014 में केंद्र की मदद से हिमाचल विधानसभा टोटली हाईटैक हो गई थी. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौर में बीबीएल बुटेल विधानसभा अध्यक्ष थे। तब से लेकर ई-विधान प्रणाली सुचारू रूप से काम कर रही है और अब ये एक दशक का सफर पूरा करने वाली है। इस पर 8.12 करोड़ रुपए की लागत आई। ई-विधान प्रणाली से हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं। इससे सालाना 15 करोड़ रुपए की बचत होती है।

देश ही नहीं विदेश में भी डंका: हिमाचल विधानसभा की ई- प्रणाली का डंका देश ही नहीं विदेश में भी बजा है. देश के कई राज्यों ने यहां से ई-विधान प्रणाली को समझा है. इसके अलावा पिछले साल अक्टूबर महीने में इटली, जर्मनी, सेनेगल, पनामा, कोलंबिया व स्विटजरलैंड से आए 21 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने ई-विधान सिस्टम को समझा. देश के दक्षिणी राज्यों यथा कर्नाटक से लेकर नार्थ-ईस्ट राज्यों सहित पड़ौसी राज्यों पंजाब, हरियाणा सहित यूपी के अफसरों ने यहां की प्रणाली को समझा है.

ये भी पढ़ें: CBI Raid in Himachal: पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में CBI की देशभर में दबिश, कई अहम दस्तावेज बरामद

शिमला: हिमाचल में नई सरकार ने कामकाज संभाल लिया है. चौदहवीं विधानसभा का बजट सत्र नजदीक है. पहली बार निर्वाचित विधायकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण पूरा हो गया है. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया की अगुवाई में हिमाचल विधानसभा में पहली बार चुनकर आए 23 विधायकों को प्रशिक्षण दिया गया. इनमें तीन विधायक वो भी शामिल थे, जो इससे पूर्व उपचुनाव में जीत कर आए थे. चूंकि इस बार वे पहली बार पांच साल के लिए निर्वाचित हुए थे, लिहाजा वे भी प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा थे.

प्रशिक्षण सत्र में विधायकों को ई-विधानसभा की प्रणाली के बारे में बताया गया. साथ ही सदन के वरिष्ठ सदस्यों तथा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर व हर्षवर्धन चौहान सहित विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने भी विधानसभा के अपने अनुभव साझा किए. ऐसे में सहज ही ये जिज्ञासा पैदा होती है कि ई-विधान प्रणाली है क्या और कैसे काम करती है तथा इसके क्या लाभ हैं. हिमाचल विधानसभा में सारी कार्यवाही पेपरलेस होती है. यहां विधानसभा अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा उपाध्यक्ष व विधायकों के सामने टच स्क्रीन लगी होती है.

इसके अलावा मीडिया कर्मियों की गैलेरी में भी टच स्क्रीम वाला सिस्टम होता है. उसमे विधानसभा के सेशन के दौरान की सारी प्रोसीडिंग होती है. प्रश्नकाल से लेकर सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेज और विधानसभा में पेश होने वाले बिल भी सिस्टम में ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं. जैसे ही सत्ता पक्ष की तरफ से बिल पेश किया जाता है, तय समय बाद वो ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है. यही नहीं, सदन की कार्यवाही के दौरान किस विधायक ने कितने समय अपनी बात रखी, वो समय भी दर्ज होता है.

इसके अलावा सदन के भीतर व परिसर में एलईडी स्क्रीम लगी हुई हैं. उनमें विधानसभा के भीतर की कार्यवाही का लाइव प्रसारण जारी रहता है. पूर्व मुख्यमंत्री व सदन में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन अपने संस्मरण साझा किए. जयराम ठाकुर ने कहा कि समय के साथ संसदीय प्रणाली में कई परिवर्तन आए हैं. हिमाचल विधानसभा ई-विधान प्रणाली वाली देश की पहली विधानसभा है. पहले के समय में और अब के समय में दिन-रात का अंतर है. अब सदन की कार्यवाही ऑनलाइन है और इसकी रिकार्डिंग होती है.

यदि कोई सदस्य सदन में झपकी ले रहा हो तो वो भी रिकार्ड हो जाती है. ऐसे में चुने हुए जन प्रतिनिधियों को सजगता रखनी चाहिए. जिस जनता ने चुनकर भेजा है, उन तक संदेश जाता है कि इन्हें इलाके की समस्याओं को उठाने के लिए निर्वाचित किया था और वे सदन में झपकी ले रहे हैं. कहने का तात्पर्य है कि ई-विधान प्रणाली अपनी विशेषताओं को लेकर अलग महत्व रखती है. पहले विधानसभा की कार्यवाही में प्रश्नकाल से लेकर सदन में पेश होने वाले बिल कागजों के पुलिंदे के रूप में होते थे.

अब सारा रिकार्ड ऑनलाइन है. विधायकों या मंत्रियों ने सदन में क्या कहा, वे बाद में उसकी वीडियो रिकार्डिंग निकाल कर अपने सोशल मीडिया पन्ने पर डाल देते हैं, ताकि जनता को बता सकें कि वे सदन में उनकी आवाज उठा रहे हैं. पहले आम जनता को सदन की कार्यवाही के बारे में अगले दिन अखबार में पढ़ने को मिलता था. बजट में मुख्यमंत्री ने सदन में क्या कहा, उसका ब्यौरा अगले दिन प्रिंट के माध्यम से मिलता था. अब बजट लाइव दिखाया जाता है. पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई की सुविधा से लैस है. मंत्रियों के विधानसभा परिसर वाले कार्यालयों में भी एलईडी स्क्रीन लगी हुई हैं और निरंतर लाइव कार्रवाई दिखाई देती है. प्रश्नकाल के दौरान सारे तारांकित व अतारांकित सवाल तथा संबंधित मंत्रियों द्वारा उनके जवाब ऑनलाइन उपलब्ध होते हैं और टच स्क्रीम पर स्क्रॉल कर उन्हें देखा जा सकता है.

कैसे अस्तित्व में आई ई-विधानसभा: केंद्र में यूपीए सरकार के समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी। अगस्त 2014 में केंद्र की मदद से हिमाचल विधानसभा टोटली हाईटैक हो गई थी. वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौर में बीबीएल बुटेल विधानसभा अध्यक्ष थे। तब से लेकर ई-विधान प्रणाली सुचारू रूप से काम कर रही है और अब ये एक दशक का सफर पूरा करने वाली है। इस पर 8.12 करोड़ रुपए की लागत आई। ई-विधान प्रणाली से हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं। इससे सालाना 15 करोड़ रुपए की बचत होती है।

देश ही नहीं विदेश में भी डंका: हिमाचल विधानसभा की ई- प्रणाली का डंका देश ही नहीं विदेश में भी बजा है. देश के कई राज्यों ने यहां से ई-विधान प्रणाली को समझा है. इसके अलावा पिछले साल अक्टूबर महीने में इटली, जर्मनी, सेनेगल, पनामा, कोलंबिया व स्विटजरलैंड से आए 21 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने ई-विधान सिस्टम को समझा. देश के दक्षिणी राज्यों यथा कर्नाटक से लेकर नार्थ-ईस्ट राज्यों सहित पड़ौसी राज्यों पंजाब, हरियाणा सहित यूपी के अफसरों ने यहां की प्रणाली को समझा है.

ये भी पढ़ें: CBI Raid in Himachal: पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में CBI की देशभर में दबिश, कई अहम दस्तावेज बरामद

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