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Apple Sales Controversy: किलो के हिसाब से ही बिकेगा सेब, ऐसा न करने वाले आढ़तियों के लाइसेंस होंगे रद्द: जगत सिंह नेगी

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने साफ कर दिया है कि सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा और जो आढ़ती इसका पालन नहीं करेगा, उस पर कार्रवाई होगी. वही प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मंडियों में दोनों विकल्प सेब बेचने के लिए दिए हैं. वह अपना सेब किलो के हिसाब से या पेटियों के हिसाब से बेचना चाहते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Jagat Singh Negi Reaction on apple season 2023
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का बयान
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Published : Jul 21, 2023, 4:48 PM IST

मंडियों में सेब कारोबार पर बोले बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी

शिमला: हिमाचल प्रदेश की मंडियों में सेब कारोबार पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. आढ़तियों के हड़ताल खत्म होने के बाद बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने साफ कहा कि मंडियों में सेब किलो के हिसाब से ही बिकेगा. उन्होंने कहा है कि कानून में सेब वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान है, सरकार ने इसे कड़ाई से लागू करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि जो आढ़ती इसका पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और लाइसेंस भी रद्द किए जायेंगे.

वजन के हिसाब से सेब नहीं बेचने पर लाइसेंस होंगे रद्द: दरअसल, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज मार्केटिंग बोर्ड और सभी एपीएमसी को निर्देश दिए हैं कि जो आढ़ती वजन के हिसाब से सेब बेचने से इनकार करते हैं तो, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएं. बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सेब सीजन को चलाने के लिए सरकार बाहर से भी आढ़ती लाने को तैयार है. इसके किए एचपीएमसी को काम में लगाया जाएगा.

एपीएमसी एक्ट में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान: जगत नेगी ने कहा कि आढ़तियों को मुख्यमंत्री ने क्या आश्वासन दिया, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन सेब वजन के हिसाब से ही बिकता रहेगा. क्योंकि यह निर्णय आढ़तियों सहित बागवानों से ही सात से आठ दौर की चर्चा के बाद लिया गया है. उन्होंने कहा कि बीते 15 से 20 दिनों से आढ़ती वजन के हिसाब से सेब बेच रहे थे और अब अचानक वे कह रहे है कि उनके पास जगह की कमी है. उन्होंने कहा कि पराला और परवाणू में नई मंडियों का निर्माण किया जा रहा है. वहां इनके बनने पर उनको अतिरिक्त जगह मिल जायेगी. एपीएमसी एक्ट में भी सेब को वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान है.

आढ़तियों ने सीएम के साथ बैठक के बाद वापस ली थी हड़ताल: इससे पहले बीते शाम मुख्यमंत्री के साथ आढ़तियों की बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद
आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म की थी. प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने बैठक के बाद कहा था कि मुख्यमंत्री ने मंडियों में दोनों विकल्प सेब बेचने के लिए दिए हैं. सरकार ने यह किसानों पर छोड़ दिया है कि वह अपना सेब किलो के हिसाब से या पेटियों के हिसाब से बेचना चाहते हैं. इस तरह यह फैसला आढ़तियों के पक्ष में ही था, क्योंकि बागवान के लिए वजन के हिसाब से बेचना फायदेमंद है. जबकि पेटियों के हिसाब से उनका शोषण होता रहा है.

बता दें, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बैठक के बाद जिस तरह वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म करने की बात सामने आ रही थी उससे बागवान भड़क गए थे. बागवान संगठन इस फैसले को गलत करार दे रहे थे. उनका कहना था कि सेब वजन के हिसाब से बेचने का निर्णय वापस लेने से हतोत्साहित करने वाला है क्योंकि वजन से हिसाब से सेब बेचने की मांग बागवानों की लंबी लड़ाई के बाद किसी सरकार ने पूरी की है. उनका कहना था कि सरकार का फैसला एक तरफा है, सीएम ने बागवानों का पक्ष नहीं सुना.

ये भी पढ़ें: देशभर में महक रही करसोग के सेब की खुशबू, मंडियों में अच्छे दाम मिलने से बागवान मालामाल

मंडियों में सेब कारोबार पर बोले बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी

शिमला: हिमाचल प्रदेश की मंडियों में सेब कारोबार पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. आढ़तियों के हड़ताल खत्म होने के बाद बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने साफ कहा कि मंडियों में सेब किलो के हिसाब से ही बिकेगा. उन्होंने कहा है कि कानून में सेब वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान है, सरकार ने इसे कड़ाई से लागू करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि जो आढ़ती इसका पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और लाइसेंस भी रद्द किए जायेंगे.

वजन के हिसाब से सेब नहीं बेचने पर लाइसेंस होंगे रद्द: दरअसल, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने आज मार्केटिंग बोर्ड और सभी एपीएमसी को निर्देश दिए हैं कि जो आढ़ती वजन के हिसाब से सेब बेचने से इनकार करते हैं तो, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएं. बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सेब सीजन को चलाने के लिए सरकार बाहर से भी आढ़ती लाने को तैयार है. इसके किए एचपीएमसी को काम में लगाया जाएगा.

एपीएमसी एक्ट में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान: जगत नेगी ने कहा कि आढ़तियों को मुख्यमंत्री ने क्या आश्वासन दिया, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन सेब वजन के हिसाब से ही बिकता रहेगा. क्योंकि यह निर्णय आढ़तियों सहित बागवानों से ही सात से आठ दौर की चर्चा के बाद लिया गया है. उन्होंने कहा कि बीते 15 से 20 दिनों से आढ़ती वजन के हिसाब से सेब बेच रहे थे और अब अचानक वे कह रहे है कि उनके पास जगह की कमी है. उन्होंने कहा कि पराला और परवाणू में नई मंडियों का निर्माण किया जा रहा है. वहां इनके बनने पर उनको अतिरिक्त जगह मिल जायेगी. एपीएमसी एक्ट में भी सेब को वजन के हिसाब से बेचने का प्रावधान है.

आढ़तियों ने सीएम के साथ बैठक के बाद वापस ली थी हड़ताल: इससे पहले बीते शाम मुख्यमंत्री के साथ आढ़तियों की बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद
आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म की थी. प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने बैठक के बाद कहा था कि मुख्यमंत्री ने मंडियों में दोनों विकल्प सेब बेचने के लिए दिए हैं. सरकार ने यह किसानों पर छोड़ दिया है कि वह अपना सेब किलो के हिसाब से या पेटियों के हिसाब से बेचना चाहते हैं. इस तरह यह फैसला आढ़तियों के पक्ष में ही था, क्योंकि बागवान के लिए वजन के हिसाब से बेचना फायदेमंद है. जबकि पेटियों के हिसाब से उनका शोषण होता रहा है.

बता दें, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बैठक के बाद जिस तरह वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म करने की बात सामने आ रही थी उससे बागवान भड़क गए थे. बागवान संगठन इस फैसले को गलत करार दे रहे थे. उनका कहना था कि सेब वजन के हिसाब से बेचने का निर्णय वापस लेने से हतोत्साहित करने वाला है क्योंकि वजन से हिसाब से सेब बेचने की मांग बागवानों की लंबी लड़ाई के बाद किसी सरकार ने पूरी की है. उनका कहना था कि सरकार का फैसला एक तरफा है, सीएम ने बागवानों का पक्ष नहीं सुना.

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