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80 के दशक में शिमला शहर की शोभा बढ़ाती थीं ये मूर्तियां, प्रशासन की अनदेखी से धूमिल हुई पहचान

शिमला शहर में 80 के दशक में लगाई गईं स्कल्पचर खो चुकी हैं अपनी पहचान. सरकार और नगर निगम के रिकॉर्ड में नहीं कोई जानकारी.

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Published : Oct 11, 2019, 8:58 PM IST

शिमला: पद्मश्री विजेता नेक चंद के हाथों बनाए गई मूर्तियां राजधानी शिमला से करीब-करीब गायब हो गई हैं. शहर को सुंदर बनाने के लिए ये स्कल्पचर 80 के दशक में जगह-जगह लगाए गए थे. उस समय 100 के करीब स्कल्पचर तोहफे के रूप में शिमला को मिले थे.

समय बीतने के साथ ये मूर्तियां शहर से गायब हो गईं. हालात ऐसे हैं कि वर्तमान में आठ के करीब ही स्कल्पचर बचे हैं, जिनकी हालत भी दयनीय है. हैरानी की बात है कि शिमला में न तो नगर निगम और न ही प्रदेश सरकार इन मूर्तियों के संरक्षण की ओर कोई ध्यान दे रही है.

वीडियो.

नगर निगम की मेयर से जब मूर्तियों के बारे में पूछा गया तो उनको भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बता दें कि चंडीगढ़ के रॉक गार्डन में भी पद्मश्री नेक चंद की हाथों से बनी हुई मूर्तियां लगी हैं. जिन्हें देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं. वहीं, शिमला में यही मूर्तियां प्रदेश सरकार और नगर निगम की अनदेखी के कारण अपनी पहचान खो चुकी हैं.

शिमला: पद्मश्री विजेता नेक चंद के हाथों बनाए गई मूर्तियां राजधानी शिमला से करीब-करीब गायब हो गई हैं. शहर को सुंदर बनाने के लिए ये स्कल्पचर 80 के दशक में जगह-जगह लगाए गए थे. उस समय 100 के करीब स्कल्पचर तोहफे के रूप में शिमला को मिले थे.

समय बीतने के साथ ये मूर्तियां शहर से गायब हो गईं. हालात ऐसे हैं कि वर्तमान में आठ के करीब ही स्कल्पचर बचे हैं, जिनकी हालत भी दयनीय है. हैरानी की बात है कि शिमला में न तो नगर निगम और न ही प्रदेश सरकार इन मूर्तियों के संरक्षण की ओर कोई ध्यान दे रही है.

वीडियो.

नगर निगम की मेयर से जब मूर्तियों के बारे में पूछा गया तो उनको भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बता दें कि चंडीगढ़ के रॉक गार्डन में भी पद्मश्री नेक चंद की हाथों से बनी हुई मूर्तियां लगी हैं. जिन्हें देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं. वहीं, शिमला में यही मूर्तियां प्रदेश सरकार और नगर निगम की अनदेखी के कारण अपनी पहचान खो चुकी हैं.

Intro:चंडीगढ़ के जिस रॉक गार्डन में लगी पद्मश्री नेक चंद के हाथों से बनाई गई सीमेंट ओर वेस्ट मैटीरियल के बनी हुई मूर्तियों को देखने के लिए विश्वभर से लोग पहुंचते है। यही अलग-अलग आकार और आकर्षक तरिके से बनाई गई मूर्तियां यहां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसी तरह की मूर्तियां राजधानी शिमला में आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र थी और शिमला में भी लोग पद्मश्री नेक चंद की इस अद्भुत कला के नमूनों को देख पाएं इसके लिए उन्होंने 80 के दशक में शिमला को 100 के करीब स्कल्पचर तोहफे के रूप में बिना किसी पैसे के दिए थे। इन स्कल्पचर को कुछ समय तक तो शिमला में जगह-जगह देखा जा सकता था लेकिन अब जैसे-जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे यह स्कल्पचर भी शहर से गायब हो गए है।


Body:100 में से मात्र सात या आठ के करीब ही स्कल्पचर आज के समय में शिमला में नजर आते है जिनकी हालत भी ख़स्ताहाल है। ना तो निगम प्रशासन और ना ही सरकार ना ही भाषा,कला एवं संस्कृति विभाग को इस बात की जानकारी है कि यह स्कल्पचर जो इतनी काफी संख्या में शिमला को भेंट दिए गए थे वह कहां है और उन्हें शहर में कहां लगाया है। यही वजह है कि अब जो स्कल्पचर शहर में बचे भी है उन्हें सहेजने की दिशा में भी कोई किसी तरह का भी प्रयास नहीं किया जा रहा है। 80 के दशक में जब यह स्कल्पचर शिमला को दिए गए थे तो उस समय यह शिमला के माल रोड पर स्थित खादी भंडार के सामने ओर रानी झांसी पार्क के साथ रिज़ को आने वाले रास्ते की शोभा बढ़ा रहे थे। शिमला आने वाले पर्यटकों के साथ ही यहां के स्थानीय लोगों के लिए भी यह स्कल्पचर आकर्षण का केंद्र थे। लोग इन्हें निहारने के साथ ही इनके साथ फोटो खिंचवाना नहीं भूलते थे पर समय की ओर प्रशासन की अनदेखी की ऐसी मार कला के इन अद्भुत नमूनों पर पड़ी है कि अब यह अपनी पहचान को पूरी तरह से खो चुके है।


Conclusion:इन स्कल्पचरों में दो स्कल्पचर माल रोड से रिज़ मैदान को आने वाले मार्ग पर दिखाई देते है। तो वहीं चार से पांच स्कल्पचरों को लक्कड़बाजार में ऐसी जगह पर लगाया गया है जहां इनके चारों ओर बड़ी बड़ी घास उगी है और यह स्कल्पचर किसी को नजर भी नहीं आते है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि शिमला में ना तो नगर निगम प्रशासन को इस बात की जानकारी है ना ही किसी ओर को की इस तरह की अमूल्य संपत्ति शिमला शहर में है तो इसका संरक्षण करना तो बड़ी दूर की बात। मामले पर नगर निगम की मेयर कुसुम सदरेट का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है पद्मश्री नेक चंद की ओर से शिमला को कोई स्कल्पचर भेंट स्वरूप दिए गए थे। इनकी संख्या कितनी थी ओर शहर में इन्हें कहां-कहाँ लगाया गया था और अब कितनी संख्या इनकी रह गई है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही इस बात की जांच करेंगी की कब कितने स्कल्पचर शिमला को भेंट किए गए थे और कितने स्कल्पचर कहां लगाए गए थे उसके बाद इन्हें कहां रखा गया और इनकी हालत में सुधार करने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह बड़ी बात है कि शिमला में इतनी खास मूर्तियां रॉक गार्डन की ही तर्ज पर दी गई थी लेकिन इसके साथ यह दुर्भाग्य भी है इनकी देख-रेख सही तरीके से नहीं हो पाई।
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