शिमला: हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के वर्चस्व को बचाने की लड़ाई कोर्ट तक पहुंच गई है. संघ चुनावों को लेकर शुरू हुआ ये विवाद इतना बढ़ गया है कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, लेकिन संघ के पदाधिकारी अभी भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि संघ दो गुटों में बंट गया है.
संघ में ये आपसी तकरार भी राज्यस्तरीय चुनावों को लेकर हुई, जिसमें राजकीय अध्यापक संघ के चुनाव शिमला में आयोजित करवाए गए. वहीं, दूसरे गुट ने इन चुनावों को हमीपुर में करवाया, जिसके बाद शिक्षक संघ में वर्चस्व की ये लड़ाई शुरू हो गई है. अब ये लड़ाई कोर्ट में लड़ी जा रही है.
पूरे मामले में वीरेंद्र चौहान का गुट दूसरे गुट के खिलाफ चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए समांतर चुनाव आयोग का गठन करवाने और संघ के लाखों की सदस्यता शुल्क को जमा ना करवाने के खिलाफ कोर्ट में गया है.
वीरेंद्र चौहान ने कहा कि अब इस मामले में कोर्ट ने निष्काषित सदस्यों को सदस्य शुल्क को खर्च करने पर 30 नवंबर तक कारण बताओ नोटिस और सदस्य शुल्क के खर्च करने पर रोक संबंधी अंतरिम आदेश जारी किए हैं. वीरेंद्र चौहान ने कहा कि निष्काषित सदस्यों को चेताया गया है कि एचजीटीयू के नाम का प्रयोग ना करें और न ही संघ के पैसों का इस्तेमाल किया जाए.वीरेंद्र चौहान ने कहा कि संघ के पैसों को गमन करने के खिलाफ अलग से फौजदारी मुकदमा भी संघ दायर करने जा रहा है. वीरेंद्र चौहान ने कहा कि उन्होंने उक्त सदस्यों के खिलाफ ढली थाना में भी मुकदमा दर्ज करवाया है.
संघ ने पांचवी और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर मांग उठाई है कि इन परीक्षाएं को हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को करवाना चाहिए. इसके साथ स्कूलों में परीक्षाओं के दौरान चल रहे शिक्षकों की ट्रेनिंग और नशा निवारण अभियान को छात्रों की पढ़ाई में बाधा बताया है.