शिमला: हिमाचल सरकार के मुखिया समेत तमाम मंत्री इस वक्त दिल्ली में है और लोकसभा चुनाव की रणनीति बना रहे हैं. लेकिन इस बीच मंगलवार को हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने कारोबारी निशांत मामले में डीजीपी और कांगड़ा एसपी को हटाने के आदेश दे दिए. कोर्ट के इस आदेश पर सरकार का फिलहाल कोई रिएक्शन नहीं आया है लेकिन इस आदेश के बाद सरकार के पास क्या ऑप्शन हैं और क्या इस मामले में 4 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई से पहले हिमाचल में नया डीजीपी जिम्मेदारी संभालेगा. अगर ऐसा हुआ तो कौन है हिमाचल का डीजीपी बनने की रेस में कौन-कौन शामिल है.
सरकार के पास क्या हैं रास्ते- हाइकोर्ट ने अपने आदेश में सरकार पर भी सवाल उठाए हैं और इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए डीजीपी को पद से हटाने की बात कही है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि गृह सचिव आंखे मूंदे रहे. अदालत की ये टिप्पणी सीधे सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है. जानकार मानते हैं कि अदालत के इस आदेश पर डीजीपी का बदलना तय है और ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हो रहा है. सरकार के पास डीजीपी संजय कुंडू को लंबी छुट्टी पर भेजने या फिर पद से हटाने के दो रास्ते मौजूद हैं. दोनों ही विकल्पों में सरकार को नया डीजीपी चुनना ही होगा.
अप्रैल में रिटायर होने वाले थे कुंडू- दरअसल नए डीजीपी का सवाल सरकार के सामने आने वाला था लेकिन वो इस तरह की किरकिरी के साथ आएगा ये किसी ने नहीं सोचा था. दरअसल 1989 बैच के आईपीएस अफसर संजय कुंडू अप्रैल में रिटायर होने वाले हैं, सरकार को कुछ महीनों बाद नए डीजीपी के सवाल से जूझना पड़ता लेकिन अब सरकार को जल्द से जल्द इस सवाल का हल ढूंढना होगा. कारोबारी निशांत से जुड़े मामले की सुनवाई 4 जनवरी को होनी है और फिलहाल मुख्यमंत्री दिल्ली दौरे पर हैं. उनके वापस लौटने पर ही इसका फैसला होगा.
डीजीपी की रेस में कौन-कौन- हिमाचल प्रदेश का डीजीपी बनने के लिए लॉबिंग भी शुरू हो गई है. इस रेस में जो कुछ नाम चल रहे हैं उसमें एक नाम हिमाचल की पहली महिला आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी का है. जो इसी साल संजय कुंडू की गैरमौजूदगी में ये जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं. गौरतलब है कि संजय कुंडू 13 जून 2023 से 14 जुलाई 2023 तक छुट्टी पर थे, इस दौरान सतवंत अटवाल को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था. 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल मौजूदा समय में स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो की एडीजी हैं. अगर सरकार को आनन-फानन में कोर्ट के आदेश की अनुपालना करते हुए कुछ वक्त के लिए नए अधिकारी को पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी देनी है तो सतवंत अटवाल इस भूमिका में फिट बैठती हैं.
एसआर ओझा रेस में सबसे आगे- कोर्ट के आदेश के बाद अगर सुक्खू सरकार इस मसले का परमानेंट सॉल्यूशन देखती है तो एसआर ओझा हिमाचल के अगले डीजीपी हो सकते हैं, जो पिछले महीने ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे हैं. 1989 बैच के ही एसआर ओझा मौजूदा समय में समय में डीजी जेल हैं. एसआर ओझा मई 2025 में रिटायर होंगे, ऐसे में सरकार के पास संजय कुंडू और एसआर ओझा की कुर्सियां भी बदलकर नए डीजीपी के सवाल का जवाब ढूंढ सकती है. यानी अगर सरकार संजय कुंडू को लंबी छुट्टी पर नहीं भेजती तो उन्हें डीजी जेल की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
सरकार के पाले में गेंद- DGP संजय कुंडू भाजपा सरकार के दौरान भी प्रभावशाली भूमिका में रहे हैं. IPS अफसर होने के बावजूद जयराम सरकार ने उन्हें सीएम का प्रधान सचिव बनाया था. यही नहीं एक्ससाइज का विभाग भी उन्हीं के पास था. बाद में उन्हें DGP बनाया गया, यानी मूल कैडर के महकमे में भेज दिया गया. कांग्रेस जब विपक्ष में थी तब संजय कुंडू पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. सत्ता में आने के बाद सुक्खू सरकार ने उन्हें नहीं बदला, जबकि कांग्रेस विपक्ष में रहकर उनके खिलाफ रही. अब ऐसी परिस्थितियां बनी हुआ कि हाई कोर्ट के आदेश से उन्हें हटाना ही पड़ेगा. नए डीजीपी को लेकर अब गेंद सरकार के पाले में है. हाइकोर्ट से मिली फटकार के बाद किरकिरी झेल रही सरकार के पास 4 जनवरी तक का वक्त है. कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने से पहले सरकार को नए डीजीपी पर फैसला लेना है. सरकार के पास ऑप्शन भी सीमित हैं और वक्त भी, ऐसे में सबकी नजरें अब सुखविंदर सुक्खू पर टिकीं हैं.