शिमला: हिमाचल प्रदेश जल शक्ति विभाग में कार्यरत जल रक्षकों ने प्रदेश सरकार से मानदेय बढ़ाने की मांग की है. जल रक्षकों की मांग है कि उनका मानदेय कम से कम 9300 रुपए तक बढ़ाया जाए. अपनी मांगों को लेकर जल रक्षकों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की. इसके अलावा जल रक्षकों ने अनुबंध काल को 12 साल से घटाकर 8 साल करने की भी मांग प्रदेश सरकार के सामने रखी है. जल रक्षकों का कहना है कि वह लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रख रहे हैं. अगर अब इनकी सुनवाई नहीं होती है तो विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर परिवार सहित धरने पर बैठेंगे.
सीएम से मिला जल रक्षक संघ: हिमाचल प्रदेश जल रक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में सीएम से भेंट की. जल रक्षकों ने इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अपना मानदेय बढ़ाने की मांग की. जल रक्षकों ने कहा कि बजट सत्र में सभी का मानदेय बढ़ाया गया, लेकिन उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया. जिससे उनके हाथ निराशा लगी है.
जल रक्षक संघ की मांग: जल रक्षकों का कहना है कि उनका मानदेय मात्र 4500 रुपए हैं जो कि आज की महंगाई के दौर में बहुत कम है. इसे कम से कम 9300 रुपए प्रति माह किया जाए. इसके साथ ही जल रक्षकों ने अनुबंध के अंतर्गत सेवा काल का समय 12 साल से घटाकर 8 साल करने की मांग की. जल रक्षकों का कहना था कि उनमें से कई कर्मचारी 12 साल कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, लेकिन उनको अभी तक अनुबंध पर नहीं लिया गया है. ऐसे में प्रदेश सरकार और जल शक्ति विभाग द्वारा जल्द से जल्द उनको अनुबंध पर लाया जाए और साथ में इस अवधि को घटाकर 8 साल किया जाए.
जल रक्षक संघ की चेतावनी: जल रक्षक संघ के अध्यक्ष ज्वालू राम ने कहा कि उनके अनुबंध का समय 12 साल से घटाया जाना चाहिए. वहीं, जो कर्मचारी 12 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें तुरंत अनुबंध पर लाया जाए. उनका मानदेय भी 4500 रुपए बढ़ाकर 9300 किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष में रहते हुए भाजपा सरकार के कार्यकाल में समय-समय पर उनकी आवाज उठाई है, ऐसे में जल रक्षक उम्मीद कर रहे हैं कि वे इनकी मांगों पर गौर करेंगे. वहीं, उन्होंने कहा कि अगर आगामी कैबिनेट बैठक में उनकी मांगों पर फैसला नहीं होता है तो विधानसभा के मानसून सत्र का परिवार सहित घेराव करेंगे.
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