शिमला: हाल ही में शिमला के उपनगर टुटू के पास बंदरों के हमले के डर से एक युवती अपनी जान गंवा बैठी थी. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने इस दर्दनाक हादसे पर स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वो बंदरों को वर्मिन घोषित करने को लेकर स्थिति स्पष्ट करे. यही नहीं, हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को भी केस में प्रतिवादी बनाया है.
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में स्वत संज्ञान लिया है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि बंदरों को वर्मिन घोषित करने को लेकर अभी मौजूदा क्या स्थिति है और राज्य सरकार क्या कर रही है. अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अलावा राज्य सरकार के वन विभाग के प्रधान सचिव, जिला शिमला के डीसी, नगर निगम शिमला के कमिश्नर और वन्य जीव विभाग के डीएफओ को भी प्रतिवादी बनाया है.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले शिमला के उपनगर टुटू के ढांडा क्षेत्र में एक युवती की बंदरों के हमले के डर से गिर कर मौत हो गई थी. इलाका वासी अशोक शर्मा की बेटी हिमांशी कपड़े सुखाने के लिए घर की तीसरी मंजिल पर गई थी. वहां मौजूद बंदर हमला करने की नीयत से युवती की तरफ लपके. युवती डर गई और तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी. तीसरी मंजिल से गिरने पर हिमांशी को गहरी चोटें आईं.
खून से लथपथ हिमांशी को तुरंत इलाज के लिए आईजीएमसी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्य से उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर्स ने बताया कि युवती की मौत हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि शिमला व राज्य में बंदरों के हमले में ये पहली मौत नहीं है. इससे पहले भी बंदरों के हमलों में लोग जान गंवा चुके हैं. मीडिया में इस मामले में आई खबरों पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया और राज्य सरकार को उचित निर्देश जारी कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.
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