शिमला: हिमाचल प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के एक कर्मचारी की विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई. कर्मचारी ने इस ड्यूटी को याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद उक्त कर्मचारी की विधानसभा चुनाव की ड्यूटी पर तैनाती संबंधी आदेश पर रोक लगा दी. यही नहीं, हाईकोर्ट ने 3 नवंबर यानी गुरुवार को राज्य सरकार व प्रदेश निर्वाचन विभाग से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी साफ किया है कि स्थगन आदेश का लाभ केवल प्रार्थी को मिलेगा. (Himachal Pradesh State CoOperative Bank)
हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक में कार्यरत वरिष्ठ प्रबंधक राकेश्वर भारद्वाज की ओर से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किए. याचिका में आरोप लगाया गया है कि डीसी शिमला की ओर से पारित किए गए तैनाती आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद-324 के खिलाफ हैं. इसके अनुसार केवल चुनाव आयुक्त और क्षेत्रीय चुनाव आयुक्त ही चुनाव में कर्मचारियों की तैनाती कर सकता है. याचिकाकर्ता को डीसी शिमला एवं जिला चुनाव अधिकारी ने विधानसभा चुनावी की ड्यूटी में तैनाती के आदेश पारित किए हैं. दलील दी गई है कि हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार राज्य की परिभाषा में नहीं आता है.
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बैंक का गठन साल 1953 में सहकारिता अधिनियम के तहत हुआ था. इसे चलाने के लिए न तो केंद्र सरकार सहायता देती है और न ही राज्य सरकार. अदालत के बहुत सारे निर्णय से यह स्पष्ट है कि सहकारी बैंक राज्य की परिभाषा में नहीं आता है. याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि उसके विधानसभा चुनाव से जुड़ी ड्यूटी में तैनाती के आदेशों को रद्द किया जाए. साथ ही याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है कि चुनाव आयोग को आदेश दिए जाएं कि राज्य सहकारी बैंक के कर्मचारियों को चुनाव में तैनान न किया जाए.