सिरमौर: अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए जीना ही इंसानियत है. कुछ ऐसी ही मिसाल हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के रहने वाले अनूप इंसा ने पेश की है, जिनका अपने जिगर का टुकड़ा खुद पीजीआई चंडीगढ़ में बेसुध हालत में उपचाराधीन है, लेकिन इसी बीच उन्होंने एक अन्य व्यक्ति को रक्तदान कर न केवल मानवता की मिसाल कायम की बल्कि एक ऐसे व्यक्ति को जिंदगी दी, जिसे तुरंत इमरजेंसी में खून की जरूरत थी.
खास बात यह है कि अनूप ने 68वीं बार रक्तदान किया. दरअसल अनूप पीजीआई में जब अपने लाडले की तीमारदारी में जुटे थे, तो इसी बीच उन्हें सूचना मिली कि पीजीआई में सिरमौर के ही मरीज जंगली राम को एबी पॉजिटिव खून की सख्त जरूरत आन पड़ी है. सूचना मिलते ही उन्होंने बिना समय गंवाए जरूरतमंद को अपना ब्लड डोनेट किया.
खून की कमी के चलते नहीं हो पाया था मरीज का ऑपरेशन
जंगली राम के रिश्तेदार विक्की नौटियाल ने बताया कि, ' मेरे चाचा को रीढ़ की हड्डी में समस्या थी. इसी के चलते उनकी पीजीआई में सर्जरी होनी थी, लेकिन शरीर में खून की कमी थी डॉक्टरों ने ऑपरेशन से मना कर दिया था. इसके बाद मैंने रक्त दान में सहयोग करने वाली एनजीओ के व्हाट्स एप ग्रुप में संपर्क किया. अनूप इंसा का ब्लड ग्रुप मेरे चाचा के ब्लड ग्रुप से मैच हो गया. इसके बाद उन्होंने पीजीआई में रक्तदान किया.'
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बेटे को नाहन से पीजीआई किया था रेफर
बता दें कि अनूप इंसा का 11 वर्षीय लाडला अद्वित कई दिन से पीजीआई चंडीगढ़ में उपचाराधीन है. उनका बेटा चंद रोज पहले चक्कर खाकर गिर गया था. इसके बाद अचेत अवस्था में गए अपने बेटे को लेकर वो मेडिकल कॉलेज नाहन पहुंचे, जहां बेटे की गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया. उनका बेटा सैमी कोमा में बताया गया था. उसकी हालत ये हो गई थी कि वो अपने परिजनों को भी नहीं पहचान पा रहा था. हालांकि वो बेसुध हालत से निकलकर अब धीरे-धीर रिकवर कर रहा है.
बेंगलुरु भेजे गए हैं बेटे के सैंपल
पिता के अनुसार, बेटे की रीढ़ की हड्डी का सैंपल जांच के लिए बैंगलुरू भेजा गया है. जांच के बाद ही समस्या के बारे में पता लगाया जा सकता है, लेकिन गंभीर अवस्था में जिसका बेटा उपचाराधीन हो, उस पिता की मानसिक स्थिति कैसी होगी. बावजूद इसके अनूप ने अपना मनोबल बढ़ाते हुए मानवता की एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी न केवल पीजीआई, बल्कि सिरमौर में भी प्रशंसा हो रही है. लोग भी अब उनके बेटे के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं.
68वीं बार किया रक्तदान
हालांकि, ये कोई पहला मौका नहीं है, जब अनूप ने रक्तदान कर किसी की अनमोल जिंदगी बचाई हो, बल्कि इससे पहले भी वो कई बार रक्तदान कर चुके हैं. इस बार उन्होंने 68वीं बार रक्तदान किया. बता दें कि अनूप इंसा नाहन विकास खंड की बर्मा पापड़ी पंचायत के रहने वाले हैं. एक निजी स्कूल भी चला रहे हैं. शिक्षा के साथ-साथ वह सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े हैं.
समाज सेवी संस्था बनी माध्यम
अनूप इंसा लंबे समय से रक्तदान में सहयोग करने वाली संस्था से जुड़े हैं. ये संस्था जिला सिरमौर के नाहन में संचालित है, जिससे सैकड़ों लोग जुड़े हैं. ये संस्था न केवल जिला सिरमौर, बल्कि प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में जरूरतमंदों के लिए ब्लड का इंतजाम करवा रहे हैं. संस्था के संचालक ने बताया कि, 'उन्हें सिरमौर के शिलाई से संबंध रखने वाले एक मरीज के पीजीआई में भर्ती होने की सूचना मिली थी, जिसे खून की सख्त आवश्यकता थी. इसे लेकर उन्होंने सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप में ये मैसेज दिया, जिसके बाद पीजीआई में अपने बेटे की तीमारदारी में जुटे अनूप इंसा साथ लगते ब्लड बैंक पहुंचे और उन्होंने संबंधित मरीज को अपना एबी पाजिटिव रक्त दिया.'