शिमलाः आर्थिक संसाधनों की कमी झेल रहे छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं. बजट का एक बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मियों के वेतन और फिर पेंशन पर खर्च हो रहा है. विकास के लिए मात्र 43.94 रुपए ही बच रहे हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को 50192 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. यदि सौ रुपए को मानक माना जाए, तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर सौ रुपए में से 25.31 रुपए खर्च होंगे.
कर्ज के बोझ तले हिमाचल
इसी तरह पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च होंगे. कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल को ब्याज की अदायगी पर ही 10 रुपए, लोन की अदायगी पर 6.64 रुपए चुकाने होंगे. इस तरह विकास कार्यों के लिए केवल 43.94 रुपए ही बचेंगे. यह स्थिति काफी समय से ऐसी ही चल रही है. हिमाचल का राजकोषीय घाटा 7789 करोड़ रुपए अनुमानित है. यह प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.52 फीसदी है. यह स्थिति चिंताजनक है. राजस्व घाटा 1463 करोड़ होगा.
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कर्ज का बोझ 60,500 करोड़ रुपए
यही नहीं, हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़कर 60,500 करोड़ रुपए हो गया है. कर्ज का यह आंकड़ा 60544 करोड़ रुपए है. पिछले साल इसी समय ये आंकड़ा 56107 करोड़ रुपए था. यदि 2013-14 की बात करें, तो कर्ज का ये बोझ 31442 करोड़ रुपए था. यानी आठ साल में ही ये दुगना होने के करीब है. ऐसे में देखा जाए तो साल-दर-साल कर्ज का आंकड़ा चिंताजनक तरीके से बढ़ रहा है.
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