शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भू-राजस्व कानून में संशोधन से संबंधित बिल पेश किया. राजस्व से जुड़े मामलों का तय समय अवधि में निपटारा करने के मकसद से ये बिल लाया गया है. बिल के पारित होने के बाद प्रदेश की जनता को राजस्व मामलों के निपटारे में हो रही देरी से निजात मिल सकेगी. मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन में बिल पेश किया गया. इस बिल के पारित होने पर संबंधित कलेक्टर को किसी भी अपील का निपटारा तीस दिन के भीतर करना होगा. वहीं, कमिश्नर के पास अपील का निपटारा करने के लिए दो महीने की समय अवधि होगी. इससे ऊपर वित्तायुक्त यानी फाइनेंस कमिश्नर के को किसी भी राजस्व से जुड़े मामले का निपटारा 90 दिन यानी तीन महीने में करना होगा.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में राजस्व मामलों में समन की तामील न होने पर केस सालों-साल तक अदालतों में लंबित रहते हैं. ऐसे में राज्य सरकार अमेंडमेंट बिल के जरिए समन की तामील के तरीकों को भी बदलेगी. किसी केस में संबंधित व्यक्ति के उपस्थित न होने की स्थिति में उसके अंतिम रहने के स्थान पर समन को चस्पा किया जाएगा. यहीं नहीं, उसके क्षेत्राधिकार वाली भूमि के समीप भी समन को चिपकाने का प्रावधान होगा. इसके अलावा राजस्व मामलों में डाक के जरिए भी व्यक्ति को समन भेजा जा सकेगा. डाक से समन भेजने की व्यवस्था के तहत व्यक्ति के डाक पते पर रजिस्टर्ड लेटर भेजा जाएगा. भू राजस्व कानून में संशोधन के बाद एक माल अधिकारी दूसरे के खिलाफ रिपोर्ट भी दे सकेगा. संशोधन के बाद सरकार ऐसी जमीनों का लैंड रिकार्ड भी बना सकेगी जिनका मौजूदा समय में भी कोई अभिलेख नहीं है.
बिना चर्चा के पास हुए तीन बिल: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से विधानसभा में गुरुवार को पेश किए गए तीन संशोधन विधेयक शुक्रवार को बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित हो गए. पारित किए गए संशोधन विधेयकों में हिमाचल प्रदेश (सड़क द्वारा कतिपय माल के वहन पर) कराधान संशोधन विधेयक-2023, हिमाचल प्रदेश नगरपालिका सेवा (संशोधन) विधेयक-2023 तथा हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2023 शामिल है. इससे पूर्व गुरुवार को सदन में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटीज ऑफ एग्रीकल्चर, हार्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री अमेंडमेंट बिल पर अभूतपूर्व हंगामा हुआ था. बिल पर चर्चा का समय और अवसर न दिए जाने पर भाजपा विधायक स्पीकर के आसन के सामने आकर नारेबाजी कर रहे थे. उक्त बिल कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने पेश किया था और गुरुवार को पारित करने के लिए सदन में रखा था. जोरदार हंगामे के बीच ही सदन में ये बिल पारित हो गया था.
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