शिमला: भारी बारिश से राजधानी शिमला की सड़कें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित आईएसबीटी बाईपास हुआ है. बीते दिन हुए भारी बारिश के बाद यह सड़क जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई है. हालात यह है कि कई जगह इस सड़क पर वन वे ट्रैफिक चलाना पड़ रहा है. इससे यहां भारी ट्रैफिक जाम लग रहा है और 15 मिनट के सफर में डेढ़ से दो घंटे लग रहे हैं. शिमला में सड़कों की हालात बारिश ने खराब कर दी. शहर की शायद की कोई ऐसी सड़क बची है जहां पर नुकसान न हुआ है, शहर के कार्ट रोड सहित, बाईपास और अन्य संपर्क मार्गों में भूस्खलन हुए हैं. इस कारण इन पर वाहनों की आवाजाही बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
शहर के प्रमुख बाईपास में जगह-जगह भूस्खलन: शिमला शहर की सबसे अहम सड़क मानी जाने वाली आईएसबीटी बाईपास में जगह-जगह भूस्खलन हुए हैं. टूटीकंडी से लेकर ढली टनल तक करीब दर्जनों जगह पर भूस्खलन होने से यह सड़क क्षतिग्रस्त हुई है. सबसे ज्यादा खराब हालात आईएसबीटी से लेकर खलीणी तक की है. यहां पर भी संख्या में पेड़ भूस्खलन के साथ गिरकर सड़क पर आ गए हैं और मलबा सड़क पर आ गया है.
कनलोग में एक तरफ गाड़ियां रोककर चलाना पड़ रहा ट्रैफिक: आईएसबीटी रोड पर कनलोग में सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुआ है. यहां पर बहुत बड़ा भूस्खलन आया है. यहां बीते दिन हुई बारिश में दर्जनों पेड़ गिर गए और इसके ऊपर की बेम्लोई को जाने वाली सड़क का बड़ा हिस्सा गिर गया. इससे यहां गाड़ियों का शो रूम के एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है और कुछ खड़ी गाड़ियां भी चपेट में आईं. यहां इतना बड़ा भूस्खलन आया कि इससे बचने के लिए शोरूम के कर्मचारियों को छलांग लगाकर जान बचानी पड़ी थी. यहां काम करने वाले काजू राम का कहना है कि नाले में कलवट न होने से पानी ने बड़ा भूस्खलन हुआ.
15 मिनट के सफर में लग रहा डेढ़ से दो घंटे: इस बाईपास में टूटीकंडी आईएसबीटी से लेकर खलीणी तक के सफर में मुश्किल से 15 मिनट लगते हैं, लेकिन भूस्खलन के चलते यह सफर डेढ से दो घंटे तक का बन गया है. इस सड़क पर कई जगह ट्रैफिक वन वे चलाना पड़ रहा है क्योंकि भूस्खलन का भारी मलबा गिरा हुआ है. हालांकि इसको हटाने के लिए जेसीबी लगाई गई है. लेकिन मलबा इतना ज्यादा इस सड़क पर आया है कि इसको हटाने में काफी वक्त लग रहा है. ऐसे में लोग यहां ट्रैफिक जाम में फंस रहे हैं.
इसलिए अहम है बाईपास रोड: शिमला का टूटीकंडी-ढली बाईपास रोड शहर का सबसे अहम रोड है. इस सड़क का इस्तेमाल बड़े वाहनों के लिए किया जाता है क्योंकि शहर के अंदर से इन वाहनों को ले जाने की इजाजत नहीं होती. यही नहीं ऊपरी शिमला से आने वाली बसें भी यहीं से आईएसबीटी जाती हैं. इन दिनों शिमला का मुख्य मार्ग कार्ट रोड ओल्ड बस स्टैंड के आगे हिमलैंड में बंद हैं. ऐसे में न्यू शिमला, विकासनगर आदि की ओर भी यहीं से ही बसें चलाई जा रही हैं. यही नहीं छोटी गाडियां भी इसी सड़क मार्ग से इन दिनों चल रही हैं. इससे इस सड़क पर गाड़ियां अधिक हो गई हैं. मगर सड़क की हालात खराब होने से यहां लंबा जाम लग रहा है.यहां से सफर कर रहे लोगों का कहना है कि उनको घंटों इस सफर में लग रहे हैं.
पानी के ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से हो रहे भूस्खलन: लालपानी के पास बड़ी संख्या में पेड़ और मलबा सड़क आ गया. यह मलबा होटल व बैंक्वेट हाल के अंदर भी घुस गया है. होटल मालिक सुधीर सूद का कहना है कि 15 मिनट में ही यहां एक दर्जन से ज्यादा पेड़ आ गए. उनका कहना है कि शहर में उचित ड्रेनेज न होने से नुकसान हो रहा है. निकासी न होने से पानी रिसता रहता है जो कि कई घरों के गिरने का कारण बन रहा है. उनका कहना है कि इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
मेयर ने फील्ड में ही निपटाई दफ्तर की फाइलें: शिमला में सड़कों और रियाहशी इलाकों में हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए मेयर सुरेंद्र चौहान फील्ड में डटे हुए हैं. वह मौके पर जाकर सड़कों की बहाली सुनिश्चित करने में लगे हुए है. हालात यह है कि उनको अपनी फाइलें फील्ड में ही निपटानी पड़ी है. मेयर शहर के भट्टाकुफर, संजौली, सहित कनलोग का दौरा किया. सुरेंद्र चौहान ने कहा कि शहर में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. पेड़ बड़ी संख्या में गिर गये हैं, भवनों को खतरा पैदा हुआ है. कनलोग में ही दर्जनों पेड़ सड़क पर आ गए हैं. एमसी का प्रयास क्षतिग्रस्त सड़कों और अन्य आधारभूत संरचनाओं को बहाल करने की है.
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