शिमला: हिमाचल प्रदेश में 14 अगस्त का दिन आसमान से आफत लेकर आया. सोमवार को शिमला के समरहिल में लैंडस्लाइड होने से शिव मंदिर बावड़ी में बड़ा हादसा हो गया, जिसमें 10 जिंदगियां चली गई. वहीं, इस घटना में भंडार के लिए खीर बनाने गए 4 युवक हादसे के शिकार हो गए, जिसमें 2 की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि 15 अगस्त को मंदिर में भंडारा को लेकर तैयारी चल रही थी, भंडारे में खीर बनाने के लिए 6-7 लोग खीर बनाने के लिए गए थे.
मंदिर खीर बनाने गए युवकों की मौत: स्थानीय निवासी किशोर ठाकुर ने बताया उनके 4 भतीजे भी मंदिर के अंदर थे. जिसमें 2 की मौत हो गई है. उन्होंने कहा मंदिर में हर साल 15 अगस्त को भंडारा होता है. वहीं, 14 अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार था. इसलिए उनके 4 भतीजे सहित छह-सात लोग मंदिर में खीर बनाने के लिए मौजूद थे. इस दौरान लैंडस्लाइड में किशोर ठाकुर के दो भतीजों की मौत हो गई.
सामान घर भूलने से बची जान: शिव मंदिर में खीर बनाए आए नरेश ने बताया कि जब वह सुबह मंदिर आया था, तब यहां सब कुछ ठीक-ठाक था. वह कुछ सामान घर पर भूल गया. इसलिए मंदिर से वह घर सामाने लेने वापस घर गया. जिसकी वजह से उसकी जान बच गई. सामान लेने नरेश जैसे ही दोबारा घर से मंदिर पहुंचा तो लैंडस्लाइड शुरू हो गया था और तबाही का यह मंजर उन्होंने अपनी आंखों के सामने देखा. उन्होंने बताया हादसे के वक्त मंदिर में दो कारपेंटर, एक नेपाली और कुछ लोग मौजूद थे. लोकल लोगों ने नेपाली को उसी वक्त मलबे से निकाल दिया, लेकिन कुछ लोग मंदिर के अंदर फंसे हुए थे.
छोटे बच्चे पूजा के लिए मंदिर गए थे: 14 अगस्त को अंतिम सावन का सोमवार होने के कारण सुबह 6:30 बजे से ही पूजा अर्चना के लिए मंदिर में लोगों की आवाजाही शुरू हो गई थी. मंदिर में पुजारी के अलावा अन्य लोग भी मौजूद थे. स्थानीय लोगों के अनुसार आस पड़ोस के कई बच्चे भी माथा टेकने मंदिर गए थे. सावन के सोमवार में हर बार यहां सुबह से ही लोगों की आवाजाही शुरू हो जाती है.
हादसे के वक्त मंदिर में थे 25-30 लोग: अंदेशा जताया जा रहा है कि जिस समय यह हादसा हुआ, उस समय भी पुजारी समेत 25 से 30 लोग मंदिर में मौजूद थे. भूस्खलन और पेड़ ढहने से मंदिर समेत आसपास का पूरा इलाका मलबे में दब गया. समरहिल रेल लाइन से धमाके के साथ बहकर आया यह मलबा मंदिर से होता हुआ निचली ओर नाले तक जा पहुंचा. कई लोग मलबे के साथ नीचे नाले तक पहुंच गए. नाले से भी कुछ शव बरामद किए गए हैं.
ये है मंदिर का इतिहास: समरहिल के एंदड़ी क्षेत्र में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटना में तबाह हुए शिव बाड़ी मंदिर का इतिहास करीब डेढ़ से 200 साल पुराना है. बताया जाता है कि इसका निर्माण गोरखा शासकों के समय में हुआ था. बाड़ी शिव के लिए समर्पित थी. मंदिर तपस्या और अराधना के लिए उपयुक्त स्थान था, इसमें नियमित रूप से साधु आते रहते थे. बाद में मंदिर परिसर में बनी बाड़ी हिंदुओं के लिए तीर्थ स्थल बन गया. मंदिर में वर्तमान में मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य गढ़वाल के तीन पुजारी करते हैं. मंदिर की एक अलग कमेटी भी बनी है. मंदिर की बाड़ी को लेकर मान्यता है कि यहां निसंतान दंपति पूजा अर्चना करे तो संतान प्राप्ति होती है. बाड़ी के पानी में भक्त स्नान करने आते हैं, इससे चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं.