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Himachal Land Revenue Amendment Bill: विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित, अब अधिकारियों को निर्धारित समय में निपटाने होंगे मामले

हिमाचल विधानसभा में आज भू-राजस्व कानून में संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया. दरअसल,मानसून सत्र के पांचवें दिन सदन में इस बिल पेश किया गया था. इस बिल के पारित होने पर संबंधित कलेक्टर को किसी भी अपील का निपटारा अब निर्धारित समय के भीतर करना होगा. पढ़ें पूरी खबर... (Himachal Land Revenue Amendment Bill) (Himachal Assembly Monsoon Session).

Land Revenue Amendment Bill passed in Himachal
विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 23, 2023, 7:15 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 10:57 PM IST

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान

शिमला: हिमाचल मानसून सत्र में भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया है. अब प्रदेश में निर्धारित समय में राजस्व अधिकारियों को भूमि की निशानदेही और बंदोबस्त सहित अन्य कार्यों को करना होगा. अधिकारियों को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर लोगों के कार्यों को निपटाने होंगे और अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो कार्रवाई होगी. विधेयक में प्रावधान किया गया है कि समय पर कार्य पूरा न करने वाले अधिकारियों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) में नेगेटिव रिमार्क दर्ज होंगे. इसके पारित होने के बाद संशोधित विधेयक में अब अधिकारियों को तकसीम (बंटवारा), मौत और निशानदेही आदि के कार्यों को अधिकतम 9 महीने के भीतर निपटाना पड़ेगा.

दरअसल, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के राजस्व मामलों की लंबित संख्या पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद ही सरकार ने इन मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सरकार ने यह संशोधन लाया है. उन्होंने कहा कि विधेयक में इस संशोधन पर विचार करने के लिए सरकार ने आम लोगों की राय व सुझाव लेने के अलावा पांच कमेटियां भी बनाई थी. इसके बाद ही इसमें संशोधन लाया गया है.

राजस्व के हजारों मामले प्रदेश में लंबित: जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन विधेयक के आने से राजस्व मामलों के निपटारे में तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश में इस समय निशानदेही के 27 हजार 127, बंदोबस्त के 22 हजार 786 और विभाजन के 25 हजार 705 मामले लंबित है. उन्होंने कहा कि लोगों के राजस्व संबंधी लंबे समय तक लंबित रहने के चलते लोगों के साथ न्याय नहीं हो रहा. यही वजह है कि सरकार ने विधेयक में सरकार ने लोगों के साथ न्याय की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ही ये विधेयक लाया है. इसमें राजस्व अधिकारियों को अपना काम निपटाने के लिए 9 महीने का समय काफी है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भू-राजस्व कानून में संशोधन के लिए सरकार ने 6 बैठकें की हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून में आजादी के 69 साल बाद संशोधन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस संशोधन को किसी व्यक्ति विशेष के हित्त को ध्यान में रखते हुए नहीं लाया गया है बल्कि इससे प्रदेश के लाखों लोगों को फायदा होगा. इसके कानून बन जाने से राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि सरकार एक साल तक कानून में किए गए संशोधन के परिणाम देखेगी और अगर जरूरी हुआ तो इसमें आगे भी बदलाव किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- HP High Court: हिमाचल हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, किस नियम के तहत वापस होंगे माननीयों पर दर्ज केस

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान

शिमला: हिमाचल मानसून सत्र में भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया है. अब प्रदेश में निर्धारित समय में राजस्व अधिकारियों को भूमि की निशानदेही और बंदोबस्त सहित अन्य कार्यों को करना होगा. अधिकारियों को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर लोगों के कार्यों को निपटाने होंगे और अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो कार्रवाई होगी. विधेयक में प्रावधान किया गया है कि समय पर कार्य पूरा न करने वाले अधिकारियों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) में नेगेटिव रिमार्क दर्ज होंगे. इसके पारित होने के बाद संशोधित विधेयक में अब अधिकारियों को तकसीम (बंटवारा), मौत और निशानदेही आदि के कार्यों को अधिकतम 9 महीने के भीतर निपटाना पड़ेगा.

दरअसल, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के राजस्व मामलों की लंबित संख्या पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद ही सरकार ने इन मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सरकार ने यह संशोधन लाया है. उन्होंने कहा कि विधेयक में इस संशोधन पर विचार करने के लिए सरकार ने आम लोगों की राय व सुझाव लेने के अलावा पांच कमेटियां भी बनाई थी. इसके बाद ही इसमें संशोधन लाया गया है.

राजस्व के हजारों मामले प्रदेश में लंबित: जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन विधेयक के आने से राजस्व मामलों के निपटारे में तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश में इस समय निशानदेही के 27 हजार 127, बंदोबस्त के 22 हजार 786 और विभाजन के 25 हजार 705 मामले लंबित है. उन्होंने कहा कि लोगों के राजस्व संबंधी लंबे समय तक लंबित रहने के चलते लोगों के साथ न्याय नहीं हो रहा. यही वजह है कि सरकार ने विधेयक में सरकार ने लोगों के साथ न्याय की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ही ये विधेयक लाया है. इसमें राजस्व अधिकारियों को अपना काम निपटाने के लिए 9 महीने का समय काफी है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भू-राजस्व कानून में संशोधन के लिए सरकार ने 6 बैठकें की हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून में आजादी के 69 साल बाद संशोधन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस संशोधन को किसी व्यक्ति विशेष के हित्त को ध्यान में रखते हुए नहीं लाया गया है बल्कि इससे प्रदेश के लाखों लोगों को फायदा होगा. इसके कानून बन जाने से राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि सरकार एक साल तक कानून में किए गए संशोधन के परिणाम देखेगी और अगर जरूरी हुआ तो इसमें आगे भी बदलाव किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- HP High Court: हिमाचल हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, किस नियम के तहत वापस होंगे माननीयों पर दर्ज केस

Last Updated : Sep 23, 2023, 10:57 PM IST
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