रामपुर: हिमाचल किसान सभा, महिला समिति व एसएफआई ने अखिल भारतीय किसान सभा व किसानों के संयुक्त आंदोलन के समर्थन में शनिवार को रामपुर, दोफडा, निरमंड व ननखड़ी में किसान विरोधी कानूनों की वापसी के लिए प्रदर्शन किया.
कृषि और बिजली कानून में संशोधन को वापस लेने की मांग
इस दौरान मौजदून नेताओं ने कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति सहित 500 से अधिक किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान पर सीटू व हिमाचल किसान सभा ने रामपुर, दोफडा , निरमंड व ननखड़ी ब्लॉक के पांडाधार में काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कृषि कानून और बिजली कानून में संशोधन को वापस लेने की मांग की गई है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा होगी खत्म
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के नए कानूनों से एपीएमसी जैसी कृषि संस्थाएं बर्बाद हो जाएंगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा खत्म हो जाएगी. कृषि उत्पादों की कालाबाजारी, जमाखोरी व मुनाफाखोरी होगी, जिससे न केवल किसानों को नुकसान होगा, बल्कि आम जनता को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी.
कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने का उद्देश्य
नेताओं ने कहा कि यह सब कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. आज जब किसान सड़कों पर अपनी मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं तो केंद्र व कई राज्यों की सरकारों ने किसानों के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं.
किसानों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही सरकार
हिमाचल किसान सभा ने केंद्र और राज्यों की बीजेपी सरकारों द्वारा किसानों के खिलाफ युद्ध सा छेड़ देने की भर्त्सना की है. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं देखा गया कि कोई सरकार अपने ही देश के किसानों अन्नदाताओं के खिलाफ दुश्मनों जैसा बर्ताव करे. आंसू गैस, लाठीचार्ज, पानी की बौछार, सडकों पर गहरी खाइयां खोदना ऐसे ही काम हैं.