शिमला: सहकारिता विभाग के एक कर्मचारी को ग्रेच्युटी पर ब्याज न देने के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है. अदालत ने न केवल सहकारिता पंजीयक यानी को-ऑपरेटिव रजिस्ट्रार से हिदायत मंगवाई है, बल्कि उन्हें चेतावनी भी जारी की है. हाई कोर्ट ने पूर्व में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा था कि क्यों न ब्याज के चार लाख से अधिक की राशि पंजीयक से वसूले जाएं.
हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ पूर्व में जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आई और कड़ा संज्ञान लिया. मामले पर आगामी सुनवाई 14 मार्च को निर्धारित की गई है. उल्लेखनीय है कि इस साल 10 जनवरी को हाई कोर्ट ने सहकारिता पंजीयक को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न ब्याज के 4,36,078 रुपये उनसे वसूले जाए. साथ ही अदालत ने प्रार्थी को ग्रेच्युटी पर ब्याज के 4,36,078 रुपये अदा करने के आदेश दिए थे.
खंडपीठ ने सचिव सहकारिता को आदेश दिए कि थे वह चार हफ्ते के भीतर मामले की जांच करे। साथ ही कहा था कि दोषी अधिकारियों से ब्याज की राशि वसूली जाए। खंडपीठ ने ये भी कहा था कि वसूली हर हाल में हो, चाहे दोषी अधिकारियों में सहकारिता पंजीयक ही क्यों न हो. मामले के अनुसार सहकारिता विभाग ने प्रार्थी को 29 जून 2017 को निलंबित किया था. निलंबन के अगले दिन यानी 30 जून को प्रार्थी सहायक पंजीयक के पद से सेवानिवृत्त हो गया. फिर 18 जुलाई 2017 को विभाग ने उसके खिलाफ चार्जशीट जारी कर उसके सारे वित्तीय लाभ रोक दिए.
याचिकाकर्ता के खिलाफ विभाग ने आरोप लगाया था कि उसने अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया जिससे हमीरपुर की सहकारी समिति बलूट में करोड़ों रुपयों का घोटाला हुआ. इस चार्जशीट को याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष चुनौती दी. अदालत ने 30 दिसंबर 2021 को विभाग की ओर से जारी चार्जशीट को रद्द कर दिया था. 12 मई 2022 को विधि विभाग ने सलाह दी थी कि हाई कोर्ट के फैसले को लागू करना ही उचित है.
इस मामले में 26 मई 2022 को विभाग ने प्रार्थी की ग्रेच्युटी अदा कर दी, लेकिन इस पर मिलने वाले चार वर्ष का ब्याज देने से इंकार कर दिया. हाई कोर्ट ने पाया कि 5 सितंबर 2022 को सचिव सहकारिता ने पंजीयक सहकारिता को निर्देश दिए थे कि प्रार्थी देरी से दी गई ग्रेच्युटी पर ब्याज का हक रखता है. इसके बावजूद भी पंजीयक ने प्रार्थी को ब्याज देने से इंकार कर दिया. इस पर हिमाचल हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए सहकारिता पंजीयक से हिदायत मंगवाई है.
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