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MMU ने वसूली थी 103 करोड़ रुपए की एक्स्ट्रा ट्यूशन फीस, हाई कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में तलब किया जवाब - HP High Court news

सोलन की महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों से 103 करोड़ रुपए की एक्स्ट्रा ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में जवाब तलब किया है.

सोलन की महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी
सोलन की महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी
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Published : Apr 11, 2023, 9:39 PM IST

शिमला: जिला सोलन में स्थित एमएमयू यानी महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा छात्रों से 103 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने पर हिमाचल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो जवाब तलब किया है. राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते के समय दिया गया है. राज्य सरकार को इस मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं. हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान उक्त आदेश पारित किए.

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार एमएमयू और उससे संबद्ध मर्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज कुमारहट्टी के करीब 1200 छात्र-छात्राओं से 103 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली गई थी. कुल वसूली गई फीस 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए थी. इसकी शिकायत होने पर हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने जांच की थी. नियामक आयोग ने इस अनियमितता के लिए मर्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज पर 45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. हालांकि हाई कोर्ट ने 22 जुलाई 2022 को हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के इस फैसले पर रोक लगा रखी है.

नियामक आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग एक हजार से अधिक एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं से 103 करोड़, 96 लाख, 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली जा चुकी है. एमएमयू की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल राज्य निजी शिक्षा नियामक आयोग की ओर से पारित आदेशों पर पूर्ण कोरम के हस्ताक्षर नहीं किए गए थे.

इस पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि आयोग के दो सदस्यों में से जिन्होंने इस मामले की सुनवाई की थी, एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। शशिकांत शर्मा ने हस्ताक्षर से इंकार करते हुए कहा था कि उनकी बेटी भी यूनिवर्सिटी में नामांकित थी। उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली पर छात्रों ने उचित मंच पर शिकायत की थी। उसके बाद मामला नियामक आयोग से होते हुए हाईकोर्ट पहुंचा था.

ये भी पढ़ें: Paper Leak Case: पेपर लीक प्रकरण में मुख्य आरोपी उमा आजाद के बड़े बेटे की जमानत याचिका खारिज

शिमला: जिला सोलन में स्थित एमएमयू यानी महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा छात्रों से 103 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूलने पर हिमाचल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो जवाब तलब किया है. राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते के समय दिया गया है. राज्य सरकार को इस मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं. हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान उक्त आदेश पारित किए.

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार एमएमयू और उससे संबद्ध मर्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज कुमारहट्टी के करीब 1200 छात्र-छात्राओं से 103 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली गई थी. कुल वसूली गई फीस 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए थी. इसकी शिकायत होने पर हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने जांच की थी. नियामक आयोग ने इस अनियमितता के लिए मर्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज पर 45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था. हालांकि हाई कोर्ट ने 22 जुलाई 2022 को हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के इस फैसले पर रोक लगा रखी है.

नियामक आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग एक हजार से अधिक एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं से 103 करोड़, 96 लाख, 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली जा चुकी है. एमएमयू की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल राज्य निजी शिक्षा नियामक आयोग की ओर से पारित आदेशों पर पूर्ण कोरम के हस्ताक्षर नहीं किए गए थे.

इस पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि आयोग के दो सदस्यों में से जिन्होंने इस मामले की सुनवाई की थी, एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। शशिकांत शर्मा ने हस्ताक्षर से इंकार करते हुए कहा था कि उनकी बेटी भी यूनिवर्सिटी में नामांकित थी। उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूली पर छात्रों ने उचित मंच पर शिकायत की थी। उसके बाद मामला नियामक आयोग से होते हुए हाईकोर्ट पहुंचा था.

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