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अदालती आदेश की अवहेलना पर व्यक्ति को 6 महीने की जेल, कोर्ट से सीधे कारावास भेजा

अदालत के आदेशो के अवहेलना करने के जुर्म में मंडी निवासी ललित कुमार को हिमाचल हाईकोर्ट ने 6 माह की कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोषी को आदेश दिए थे कि वह इसके बाद 10 हजार रुपये की किश्त के हिसाब से प्रॉपर्टी के यूज एंड ऑक्यूपेशन चार्ज हाई कोर्ट के समक्ष जमा करवाता रहे,  लेकिन दोषी ने एक भी रुपया अदालत के समक्ष जमा नहीं करवाया.

himachal high court sentenced 6 months jail to a man for defamation of court order
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Published : Mar 26, 2021, 8:29 PM IST

शिमलाः अदालत के आदेशो के अवहेलना करने के जुर्म में मंडी निवासी ललित कुमार को प्रदेश हाईकोर्ट ने 6 माह की कारावास की सजा सुनाई है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने रेखा देवी और अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए ये सजा सुनाई है.

अदालत ने अपने आदेशो में कहा कि दोषी ललित कुमार ने जानबूझकर अदालत के आदेशो की अवमानना की है और साथ ही अदालत में दर्ज करवाए गए बयानों से भी मनाही की है. मामले के अनुसार दोषी को आदेश दिए गए थे कि वह वर्ष 2014 से 2018 तक के प्रार्थी की प्रॉपर्टी के यूज एंड ऑक्यूपेशन चार्ज हाईकोर्ट के समक्ष 31.12.2018 तक जमा करवाए.

अदालत ने दोषी को आदेश दिए थे कि वह इसके बाद 10 हजार रुपये की किश्त के हिसाब से प्रॉपर्टी के यूज एंड ऑक्यूपेशन चार्ज हाई कोर्ट के समक्ष जमा करवाता रहे, लेकिन दोषी ने एक भी रुपया अदालत के समक्ष जमा नहीं करवाया. यही नहीं, दोषी ने अदालत के समक्ष माना था कि वह 10 हजार रुपये जमा करवाता रहेगा, लेकिन फिर भी उसने पैसे जमा नहीं करवाए.

दोषी द्वारा अदालत के आदेशो के अवमाना करने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए छ: माह की कारावास की सजा के आदेश दिए और अदालत से ही सीधे जेल भेज दिया.

ये भी पढ़ें: कोरोना से लड़ने में हिमाचलियों ने दिल खोलकर दिया दान, खजाने में जमा हुए 84 करोड़, मंडी टॉप पर

शिमलाः अदालत के आदेशो के अवहेलना करने के जुर्म में मंडी निवासी ललित कुमार को प्रदेश हाईकोर्ट ने 6 माह की कारावास की सजा सुनाई है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने रेखा देवी और अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए ये सजा सुनाई है.

अदालत ने अपने आदेशो में कहा कि दोषी ललित कुमार ने जानबूझकर अदालत के आदेशो की अवमानना की है और साथ ही अदालत में दर्ज करवाए गए बयानों से भी मनाही की है. मामले के अनुसार दोषी को आदेश दिए गए थे कि वह वर्ष 2014 से 2018 तक के प्रार्थी की प्रॉपर्टी के यूज एंड ऑक्यूपेशन चार्ज हाईकोर्ट के समक्ष 31.12.2018 तक जमा करवाए.

अदालत ने दोषी को आदेश दिए थे कि वह इसके बाद 10 हजार रुपये की किश्त के हिसाब से प्रॉपर्टी के यूज एंड ऑक्यूपेशन चार्ज हाई कोर्ट के समक्ष जमा करवाता रहे, लेकिन दोषी ने एक भी रुपया अदालत के समक्ष जमा नहीं करवाया. यही नहीं, दोषी ने अदालत के समक्ष माना था कि वह 10 हजार रुपये जमा करवाता रहेगा, लेकिन फिर भी उसने पैसे जमा नहीं करवाए.

दोषी द्वारा अदालत के आदेशो के अवमाना करने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए छ: माह की कारावास की सजा के आदेश दिए और अदालत से ही सीधे जेल भेज दिया.

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