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अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ के तीन दोषियों को 14 दिन कम्युनिटी सर्विस की सजा, पंचायत में करना होगा समाज सेवा का काम

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 24, 2023, 9:37 PM IST

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ मामले में तीनों दोषियों को अनोखी सजा सुनाई है. हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों को कम्युनिटी सर्विस की सजा सुनाई है. जिसके अनुसार तीनों दोषियों को दो सप्ताह तक पंचायत में समाज सेवा का काम करना होगा. पढ़िए पूरी खबर...

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शिमला: अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने के तीन दोषियों को हाईकोर्ट ने अनूठी सजा सुनाई है. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सजा सुनाते हुए दोषियों को तुरंत जिला ऊना की पंचायत हरोली के प्रधान के समक्ष पेश होने के आदेश दिए. साथ ही अदालत ने ग्राम पंचायत को आदेश दिए कि वह दो माह के भीतर दोषियों से 14 दिन के लिए पंचायत वासियों के लाभ के लिए सेवा से जुड़े काम सौंपे. ये काम रास्ता निर्माण, जलाशय की सफाई आदि का हो सकता है. हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों पर 12-12 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है.

मामले के अनुसार दोषियों के खिलाफ दीवानी अदालत में मुकदमा चलाया गया था. दीवानी अदालत से फैसला उनके खिलाफ आया. इस पर तीनों ने जिला न्यायालय में अपील की. वहां से भी ये केस हार गए. जिला अदालत से हारने के बाद दोषियों ने हाईकोर्ट में दूसरी नियमित अपील दायर की. इस अपील को वे समय पर दायर न कर सके, इसलिए इन्होंने देरी को माफ करने के लिए एक आवेदन भी दाखिल किया. आवेदन में देरी का एक कारण बताते हुए उन्होंने जिला अदालत द्वारा पारित फैसले की प्रति लेट मिलने की बात भी कही थी.

दोषियों का कहना था कि उन्होंने 23 दिसंबर 2015 के फैसले की प्रति पाने के लिए 26 दिसंबर 2015 को आवेदन किया था. इसके बाद उन्हें फैसले की कॉपी 7 नवंबर 2016 को दी गई, जिसकी सत्यापन की तारीख 5 नवंबर 2016 बताई गई. कोर्ट ने प्रतिवादियों के जवाब के बाद दोषियों की कहानी को संदेहास्पद पाया और छानबीन के आदेश दिए. छानबीन में पता चला कि दोषियों ने फैसले की सत्यापित प्रति में सत्यापन की तिथि से छेड़छाड़ की है. उन्होंने 5.1.2016 को असल में सत्यापित की गई प्रति को 5.11.2016 को सत्यापित होना बताया. ये सीधे-सीधे दस्तावेजों से छेड़छाड़ का मामला था. इस पर हाईकोर्ट ने तीनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला पाते हुए 14 दिन की कम्युनिटी सर्विस की सजा सुनाई.

ये भी पढ़ें: वाइल्ड फ्लावर हॉल मामले में एचपीटीडीसी ने वापस लिया अपना पत्र, अब 15 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

शिमला: अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने के तीन दोषियों को हाईकोर्ट ने अनूठी सजा सुनाई है. हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सजा सुनाते हुए दोषियों को तुरंत जिला ऊना की पंचायत हरोली के प्रधान के समक्ष पेश होने के आदेश दिए. साथ ही अदालत ने ग्राम पंचायत को आदेश दिए कि वह दो माह के भीतर दोषियों से 14 दिन के लिए पंचायत वासियों के लाभ के लिए सेवा से जुड़े काम सौंपे. ये काम रास्ता निर्माण, जलाशय की सफाई आदि का हो सकता है. हाईकोर्ट ने तीनों दोषियों पर 12-12 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है.

मामले के अनुसार दोषियों के खिलाफ दीवानी अदालत में मुकदमा चलाया गया था. दीवानी अदालत से फैसला उनके खिलाफ आया. इस पर तीनों ने जिला न्यायालय में अपील की. वहां से भी ये केस हार गए. जिला अदालत से हारने के बाद दोषियों ने हाईकोर्ट में दूसरी नियमित अपील दायर की. इस अपील को वे समय पर दायर न कर सके, इसलिए इन्होंने देरी को माफ करने के लिए एक आवेदन भी दाखिल किया. आवेदन में देरी का एक कारण बताते हुए उन्होंने जिला अदालत द्वारा पारित फैसले की प्रति लेट मिलने की बात भी कही थी.

दोषियों का कहना था कि उन्होंने 23 दिसंबर 2015 के फैसले की प्रति पाने के लिए 26 दिसंबर 2015 को आवेदन किया था. इसके बाद उन्हें फैसले की कॉपी 7 नवंबर 2016 को दी गई, जिसकी सत्यापन की तारीख 5 नवंबर 2016 बताई गई. कोर्ट ने प्रतिवादियों के जवाब के बाद दोषियों की कहानी को संदेहास्पद पाया और छानबीन के आदेश दिए. छानबीन में पता चला कि दोषियों ने फैसले की सत्यापित प्रति में सत्यापन की तिथि से छेड़छाड़ की है. उन्होंने 5.1.2016 को असल में सत्यापित की गई प्रति को 5.11.2016 को सत्यापित होना बताया. ये सीधे-सीधे दस्तावेजों से छेड़छाड़ का मामला था. इस पर हाईकोर्ट ने तीनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला पाते हुए 14 दिन की कम्युनिटी सर्विस की सजा सुनाई.

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