शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नाबालिग से दुराचार के आरोपी को बरी कर दिया है. आरोपी को निचली अदालत ने दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही दस हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था. आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हिमाचल हाई कोर्ट में अपील के जरिए चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. ऐसे में हाई कोर्ट ने आरोपी को तुरंत प्रभाव से रिहा करने के आदेश जारी किए.
मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने की. खंडपीठ ने कांगड़ा निवासी आरोपी प्रदीप की अपील को स्वीकार किया और पुख्ता सबूत के अभाव में उसे तुरंत रिहा करने के आदेश दिए. ट्रायल कोर्ट ने प्रदीप को पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था. इस जुर्म के लिए ट्रायल कोर्ट ने उसे 10 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हिमाचल हाई कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी. हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि निचली अदालत के समक्ष अभियोजन पक्ष अभियोग साबित करने में नाकाम रहा है.
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने 17 साल की एक लड़की से दो बार दुराचार किया है. मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया. हिमाचल हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद कहा कि आरोपी को तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, जब तक उसके खिलाफ पुख्ता सुबूत न हो. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए आरोपी की अपील को स्वीकार किया और उसे तुरंत प्रभाव से बरी करने का आदेश दिए.
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