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Himachal High Court: कानूनी फैसले लागू करने में देरी पर हाईकोर्ट की सरकार को फटकार, मुख्य सचिव को भी चेतावनी - Himachal Pradesh Staff Selection Commission

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालत के आदेशों पर समय पर अमल न करने को लेकर राज्य सरकार पर नाराजगी जताई है और कानूनी फैसलों को लागू करने में हो रही देरी को लेकर भी हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार और मुख्य सचिव को फटकार लगाई है. (Himachal High Court)

Himachal High Court on Govt for delay in legal decisions.
हिमाचल हाईकोर्ट ने कानूनी फैसलों में देरी के लिए सरकार को लगाई फटकार.
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Published : Jun 29, 2023, 6:54 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेश पर अमल करने को लेकर सरकार द्वारा की जा रही देरी पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कानूनी फैसले लागू करने में देरी पर फटकार भी लगाई है. हमीरपुर के भंग हो चुके कर्मचारी चयन आयोग के एक कर्मचारी की पात्रता से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी चेतावनी दी है. अदालत ने मुख्य सचिव से मामले में अनुपालना रिपोर्ट तलब की है. समय पर रिपोर्ट पेश न करने की सूरत में मुख्य सचिव को प्रतिकूल आदेश जारी करने की चेतावनी भी दी है. अदालत ने राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणियां भी की हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालती फैसलों को लागू करने में देरी होना प्रदेश के शासन के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं हैं.

आदेश पर अमल में देरी से हाईकोर्ट नाराज: हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने अपने आदेश में कहा कि पक्षकारों के साथ न्याय करने के लिए सरकार का यह पहला दायित्व है कि वो अदालत के निर्णय पर जल्द से जल्द अमल करे. अदालत के आदेश पर अमल करने के लिए उचित व्यवस्था और तरीकों को विकसित करना आवश्यक है. हिमाचल हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी भी की है कि कानून के राज की स्थापना के लिए सरकार की यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि अदालती आदेश की समय पर अनुपालना हो. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए कि वह 31 जुलाई तक अदालती आदेश की अनुपालना के लिए जरूरी तंत्र अथवा तौर तरीकों को विकसित करे. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से अनुपालना रिपोर्ट तलब करते हुए, उन्हें चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश भी पारित हो सकते हैं.

क्या है पूरा मामला: हाईकोर्ट के समक्ष आए मामले के अनुसार अदालत ने 29 नवंबर 2022 को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को आदेश दिए थे कि वो 10 जनवरी 2023 तक प्रार्थी भरत भूषण शाह की जूनियर प्रोग्रामर पोस्ट के लिए पात्रता पर निर्णय ले. आयोग ने 10 जनवरी तक कोई निर्णय नहीं लिया. इस बीच, 21 फरवरी को हिमाचल की नवनिर्वाचित सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया. उसके बाद प्रार्थी भरत भूषण ने 25 मार्च को हाईकोर्ट के आदेश पर अमल के लिए अनुपालना याचिका दायर की. इस याचिका पर 21 जून को मुख्य सचिव की ओर से पत्राचार के जरिए से अदालत को बताया गया कि इस बारे में भंग हो चुके हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग का ओएसडी अकेले फैसला नहीं कर सकता.

मुख्य सचिव को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार: पत्राचार के माध्यम से मुख्य सचिव ने तर्क देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अमल के लिए उचित तंत्र अथवा तौर तरीका विकसित करने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने की बात कही. इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि चयन आयोग को भंग हुए 4 महीने बीत गए हैं और 3 महीने याचिका दायर किए हुए भी हो चुके हैं. ऐसे में उचित तंत्र के अभाव में आयोग को दिए आदेशों पर अमल न होना हिमाचल सरकार के शासन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. हाईकोर्ट ने अब मामले पर सुनवाई 8 अगस्त को निर्धारित की है. इस अवधि में यदि मुख्य सचिव की तरफ से अनुपालना रिपोर्ट और उचित तंत्र की बाबत कोई ठोस पहल न हुई तो उन्हें अदालत की सख्ती का सामना करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: वाटर सेस मामले में सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब किया दाखिल, 16 अगस्त को अगली सुनवाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेश पर अमल करने को लेकर सरकार द्वारा की जा रही देरी पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कानूनी फैसले लागू करने में देरी पर फटकार भी लगाई है. हमीरपुर के भंग हो चुके कर्मचारी चयन आयोग के एक कर्मचारी की पात्रता से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी चेतावनी दी है. अदालत ने मुख्य सचिव से मामले में अनुपालना रिपोर्ट तलब की है. समय पर रिपोर्ट पेश न करने की सूरत में मुख्य सचिव को प्रतिकूल आदेश जारी करने की चेतावनी भी दी है. अदालत ने राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणियां भी की हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालती फैसलों को लागू करने में देरी होना प्रदेश के शासन के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं हैं.

आदेश पर अमल में देरी से हाईकोर्ट नाराज: हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने अपने आदेश में कहा कि पक्षकारों के साथ न्याय करने के लिए सरकार का यह पहला दायित्व है कि वो अदालत के निर्णय पर जल्द से जल्द अमल करे. अदालत के आदेश पर अमल करने के लिए उचित व्यवस्था और तरीकों को विकसित करना आवश्यक है. हिमाचल हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी भी की है कि कानून के राज की स्थापना के लिए सरकार की यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि अदालती आदेश की समय पर अनुपालना हो. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए कि वह 31 जुलाई तक अदालती आदेश की अनुपालना के लिए जरूरी तंत्र अथवा तौर तरीकों को विकसित करे. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से अनुपालना रिपोर्ट तलब करते हुए, उन्हें चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश भी पारित हो सकते हैं.

क्या है पूरा मामला: हाईकोर्ट के समक्ष आए मामले के अनुसार अदालत ने 29 नवंबर 2022 को हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को आदेश दिए थे कि वो 10 जनवरी 2023 तक प्रार्थी भरत भूषण शाह की जूनियर प्रोग्रामर पोस्ट के लिए पात्रता पर निर्णय ले. आयोग ने 10 जनवरी तक कोई निर्णय नहीं लिया. इस बीच, 21 फरवरी को हिमाचल की नवनिर्वाचित सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग को भंग कर दिया. उसके बाद प्रार्थी भरत भूषण ने 25 मार्च को हाईकोर्ट के आदेश पर अमल के लिए अनुपालना याचिका दायर की. इस याचिका पर 21 जून को मुख्य सचिव की ओर से पत्राचार के जरिए से अदालत को बताया गया कि इस बारे में भंग हो चुके हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग का ओएसडी अकेले फैसला नहीं कर सकता.

मुख्य सचिव को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार: पत्राचार के माध्यम से मुख्य सचिव ने तर्क देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अमल के लिए उचित तंत्र अथवा तौर तरीका विकसित करने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने की बात कही. इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि चयन आयोग को भंग हुए 4 महीने बीत गए हैं और 3 महीने याचिका दायर किए हुए भी हो चुके हैं. ऐसे में उचित तंत्र के अभाव में आयोग को दिए आदेशों पर अमल न होना हिमाचल सरकार के शासन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. हाईकोर्ट ने अब मामले पर सुनवाई 8 अगस्त को निर्धारित की है. इस अवधि में यदि मुख्य सचिव की तरफ से अनुपालना रिपोर्ट और उचित तंत्र की बाबत कोई ठोस पहल न हुई तो उन्हें अदालत की सख्ती का सामना करना पड़ेगा.

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